
संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता यानी सीओपी 26 की बैठक खत्म हो चुकी है. इस सम्मेलन में दुनिया के कई देशों ने क्लाइमेट चेंज को लेकर कई वादे किए हैं. हालांकि, इस सम्मेलन के खत्म होने के बाद आलोक शर्मा का नाम सुर्खियों में है. सीओपी 26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा भारत और चीन को लेकर अपने बयानों से चर्चा में हैं. COP26 की बैठक खत्म होने के बाद आलोक शर्मा ने कोयले के इस्तेमाल को लेकर भारत और चीन के रुख की आलोचना की थी. दरअसल, भारत ने सम्मेलन में कोयले के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक की जगह उसके इस्तेमाल में धीरे-धीरे कमी लाने की बात कही थी. भारत को इस मुद्दे पर कई देशों का समर्थन मिला.
आलोक शर्मा ने द गार्डियन को दिए इंटरव्यू में कहा था कि दोनों देशों को अपने फैसले के बारे में जलवायु परिवर्तन के लिहाज से असुरक्षित देशों को समझाना होगा. उन्होंने ये भी कहा कि ये सम्मेलन कोई नाकामी नहीं है बल्कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.
आलोक को जलवायु सम्मेलन की शुरुआत तक ब्रिटेन में भी खास लोकप्रियता हासिल नहीं थी लेकिन इस सम्मेलन के खत्म होने के बाद से वे सुर्खियों में हैं. ब्रिटेन के पूर्व बिजनेस सेक्रेटरी आलोक शर्मा ने कहा कि लोग मुझे कभी-कभी नो ड्रामा शर्मा भी कहते हैं. ये नाम उन्हें अपने नो नॉनसेंस एटीट्यूड के लिए मिला है. साल 2020 में उन्हें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सीओपी 26 के लिए नियुक्त किया था. हालांकि इसके बाद कोरोना महामारी ने दुनिया भर को परेशान किया. लेकिन शर्मा ने इस दौरान छोटे द्वीप देशों के साथ ही चीन और भारत जैसे देशों की यात्रा की और अपनी संतुलित लीडरशिप के लिए उन्हें अपने कई प्रतिनिधियों से प्रशंसा भी हासिल हुई.
भगवद गीता की प्रति हाथ में लेकर शपथ ली थी शर्मा ने
साल 1967 में शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ था. इसके पांच साल बाद शर्मा का परिवार लंदन में बस गया था.शर्मा ने उत्तर पश्चिम में सैलफोर्ड विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद उन्होंने अकाउंटेंट का प्रशिक्षण लिया था और कॉरपोरेट फाइनेंस में नौकरी की थी.
शर्मा की स्वीडिश पत्नी ने उन्हें राजनीति में करियर बनाने का सुझाव दिया था. इसके बाद वे 2010 में बोरिस जॉनसन की पार्टी से सांसद का चुनाव लड़े थे और जीते थे. ब्रिटेन के राजनेता ऋषि सुनक की तरह ही आलोक शर्मा ने भी भगवद गीता की प्रति हाथ में रखकर शपथ ली थी. जुलाई 2019 में बोरिस जॉनसन के पीएम का पद ग्रहण करने के बाद शर्मा को अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री के कैबिनेट स्तर का पद मिला था. इससे पहले वे कई जूनियर सरकारी पदों पर काम कर चुके हैं. हालांकि शायद ही किसी को अंदाजा था कि शर्मा क्लाइमेट चेंज को लेकर इतना गंभीर होंगे और इस मुद्दे पर इतनी गंभीर भूमिका निभाएंगे.