
दुनिया में इस वक्त अगर किसी एक मुद्दे को लेकर सबसे ज्यादा आंदोलन और प्रदर्शन चल रहे हैं तो वह ‘क्लाइमेट चेंज’ के मसले पर हैं. भारत से लेकर फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया से लेकर अमेरिका हर जगह जलवायु परिवर्तन का मसला उठ गया है. यही एक बड़ा कारण बना है कि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने ‘Climate Emergency’ को ही 2019 का वर्ड ऑफ द ईयर चुना गया है.
इस साल वर्ड ऑफ द ईयर की रेस में कई ऐसे शब्द थे जो जलवायु परिवर्तन से जुड़े थे, इनमें क्लाइमेट इमरजेंसी के अलावा ‘क्लाइमेट एक्शन’, ‘क्लाइमेट डिनायल’, ‘इको-एनेक्स्टी’, ‘एक्सनिक्शन’ और फ्लाइट शेम शामिल रहे.
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की तरफ से हर साल एक नए शब्द को वर्ड ऑफ द ईयर चुना जाता है, जिसका उपयोग साल में सबसे ज्यादा बार हुआ हो और उसके सामाजिक मायने भी रहे हों. वर्ड ऑफ द ईयर का मकसद किसी एक शब्द जिसने पिछले साल के कार्यों, वैश्विक माहौल को उजागर किया हो और जिसमें ये क्षमता हो कि वह समाज में नई ऊर्जा लाने के लिए लायक है.
पिछले कुछ वर्ड ऑफ द ईयर में टोक्ज़िक, यूथक्वेक, पोस्ट ट्रूथ और वेप जैसे शब्दों को चुना गया है. ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार, अक्सर शब्दों को शॉर्टलिस्ट किए जाने में काफी तरह की वैराइटी देखी जाती है लेकिन इस बार सबसे ज्यादा विवाद और शब्दों का उजागर क्लाइमेट से जुड़े शब्दों का हुआ है.
पूरी दुनिया में गर्म रहा क्लाइमेट का मुद्दा
बता दें कि दुनिया के कई देशों में क्लाइमेट चेंज को लेकर काफी प्रदर्शन हो रहे हैं. इनमें 16 साल की स्वीडन गर्ल ग्रेटा थनबर्ग इस मसले पर एक बड़ी हस्ती बनकर उभरी, जिसने यूरोप के कई देशों में आंदोलन की अगुवाई की. इतना ही नहीं यूनाइटेड नेशन में भी उन्होंने संबोधन दिया और अमेरिका-चीन जैसे बड़े देशों को पर्यावरण को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया.