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ग्रीस और तुर्की के बीच छिड़ेगी जंग? नाटो के दो ताकतवर देश होंगे आमने-सामने

यूरोप के महत्वपूर्ण देशों में शामिल इन दोनों के पास सबसे अधिक सैन्य ताकत हैं. तुर्की की संसद ने घोषणा की है कि यदि ग्रीस UNCLOS ( संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि ) द्वारा अधिकृत अपने मौजूदा 6 से 12 नॉटिकल मील से ज्यादा जलीय क्षेत्र का विस्तार करेगा तो उसे युद्ध की शुरुआत माना जाएगा.

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन
सुदीप कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:10 AM IST

नाटो समूह (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के दो ताकतवर देश तुर्की और ग्रीस के बीच विवाद चरम पर है. ग्रीस और तुर्की नाटो के दो सबसे पुराने सदस्य हैं. दोनों देश 1952 में एक साथ नाटो में शामिल हुए थे. लेकिन उनके रिश्ते नाटो में शामिल होने के पहले से ही खराब हैं. सदस्यता लेने के बाद दोनों देशों के रिश्ते मधुर बनाने के लिए काफी काम किया गया है. लेकिन एजियन सागर पर अधिकार को लेकर दोनों देश एक बार फिर आमने-सामने हैं. जिससे नाटो समूह के अंदर पहला युद्ध होने की आशंका जताई जा रही है.

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दोनों देश नाटो समूह में ताकतवर 
दक्षिण पूर्वी यूरोपीय देश तुर्की और ग्रीस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है. इन दोनों देशों के पास नाटो समूह की सबसे बड़ी सैन्य ताकत मौजूद है. तुर्की के साथ लगातार विवाद होने के कारण ग्रीस कई वर्षों से रक्षा क्षेत्र में अपना खर्च जीडीपी का 2% से अधिक रखता रहा है. ग्रीस नाटो के उन गिने चुने देशों में आता है जो अपना रक्षा बजट जीडीपी का 2% से ज्यादा रखता है. 2022 में ग्रीस का रक्षा बजट जीडीपी के हिस्से से नाटो समूह में सबसे ज्यादा था. 

ग्रीस की तैयारी पूरी 
ग्रीस अपनी सैन्य ताकत में विशेष रूप से वायु सेना और नौसैनिक बेड़े पर जोर दे रहा है. 2020 के बाद से ग्रीस ने फ्रांस से 24 राफेल जेट और 4.5 जेनरेशन के मल्टीरोल फाइटर्स खरीदा है, जो किसी भी तुर्की विमान से ज्यादा सक्षम और तकनीकी रूप से बेहतर माना जाता है.  ग्रीस अपने F-16s फाइटर जेट के जखीरे में से 84 को नई तकनीक वाइपर कॉन्फिगरेशन से अपडेट कर रहा है. 

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तुर्की के बड़े-बड़े ड्रोन्स का मुकाबला करने के लिए ग्रीस ने अपने पूर्वी एजियन द्वीप पर इजरायल के आयरन डोम को तैनात किया है. ग्रीस ने सात MH-60R पनडुब्बी रोधी युद्ध हेलीकॉप्टर खरीदने की भी योजना बनाई है. ग्रीस के पास सभी नाटो देशों की अपेक्षा टैंक फोर्स भी सबसे ज्यादा मौजूद है. हालांकि, इसमें कई टैंक पुराने मॉडल के हैं.

तुर्की भी कम नहीं 
ग्रीस से जंग के लिए तुर्की भी कमर कस चुका है. तुर्की के पास अमेरिका के बाद नाटो समूह में दूसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकतें हैं. टैंक और तोपों की संख्या में भी ग्रीस का स्थान अमेरिका के बाद दूसरा है. तुर्की की वायु सेना की तुलना ग्रीस से की जाती रही है.

हालांकि, F-35 फाइटर जेट प्रोग्राम से बाहर होना, F-16 जेट के अपग्रेड पर अमेरिका की रोक और 2016 में देश में तख्तापलट की कोशिशों में शामिल तुर्की पायलटों को निकाले जाने के कारण तुर्की की सेना ग्रीस की तुलना में थोड़ी कमजोर नजर आती है.

फिर भी, तुर्की की उन्नत ड्रोन इंडस्ट्री के कारण उसके द्वारा निर्मित विमान नाटो देशों में सबसे बेहतर माना जाता है. तुर्की द्वारा बनाया गया TB-2 Bayraktar ड्रोन ने तुर्की युद्ध में अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. 

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तुर्की के पास अन्य नाटों देशों की तुलना में सबसे बड़ी नौसेना और भारी संख्या में लड़ाकू जहाज मौजूद हैं. तुर्की ने आने वाले दिनों में अपने नौसेना के जखीरे में चार से सात पुराने एंटी एयरक्राफ्ट के स्थान पर नए को शामिल करने की योजना बनाई है.

ग्रीस के Type 214 पनडुब्बियों का मुकाबला करने के लिए तुर्की भी जर्मनी से डिफेंस डील के तहत छह Type 214 पनडुब्बी डिलीवरी का इंतजार कर रहा है. ग्रीस के पास चार Type 214 पनडुब्बी मौजूद है.

तुर्की का रक्षा बजट प्रतिशत के हिसाब से भले ही ग्रीस से कम हो लेकिन तुर्की की अर्थव्यवस्था ग्रीस के अनुपात में बड़ी है. तुर्की 2024 से अपना रक्षा बजट बढ़ाने पर विचार कर रहा है. हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन  ने 2023 में रक्षा खर्च के लिए अतिरिक्त 26 बिलियन डॉलर की घोषणा की है.

इससे पहले भी दोनों देश आपस में भिड़ चुके हैं. 1974 में भी साइप्रस युद्ध के दौरान और 1996 में इमिया संकट के दौरान दोनों देशों के बीच संघर्ष चरम पर था. 2020 में पूर्वी भूमध्य सागर में तनातनी के दौरान ग्रीस और तुर्की के युद्धपोत टकरा गए थे. 

क्या है विवाद
दोनों देशों के बीच विवाद का एक कारण साइप्रस विभाजन है. लेकिन सबसे ज्यादा विवाद एजियन और पूर्वी भूमध्य सागर के द्वीपों पर अधिकार को लेकर है. तुर्की का दावा है कि इस द्वीप पर उसका अधिकार है जबकि ग्रीस का दावा है कि इस क्षेत्र पर हमारा भी अधिकार है.

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ग्रीस UNCLOS ( UN Convention on the Law of the Sea ) के समुद्र कानून का हवाला देते हुए तर्क देता है कि सैकड़ों एजियन द्वीप के विशेष आर्थिक क्षेत्र पर हमारा भी अधिकार है. जबकि तुर्की का कहना है कि द्वीपीय भूमि और मुख्य भूमि पर समान क्षेत्रीय अधिकार नहीं होता है. 

दोनों देश अक्सर अपने-अपने क्षेत्र में हवाई उल्लंघन का आरोप लगाते रहते हैं. एजियन में मुठभेड़ के दौरान दोनों देश कई फाइटर जेट और पायलट को खो चुके हैं.

दोनों देश आमने-सामने 
तुर्की की संसद ने घोषणा की है कि यदि ग्रीस UNCLOS ( UN Convention on the Law of the Sea )  द्वारा अधिकृत अपने मौजूदा 6 से 12 नॉटिकल मील से ज्यादा जलीय क्षेत्र का विस्तार करेगा तो उसे युद्ध की शुरुआत मानी जाएगी.

एर्दोआन  ने सितंबर में कहा था कि ग्रीस एजियन द्वीपों पर कब्जा कर रहा है. उन्होंने कहा "हम वह करेंगे जो आवश्यक होगा." जिसके जवाब में ग्रीस के प्रधानमंत्री कायरियाकोस मित्सोटाकिस ने कहा कि ग्रीस किसी प्रकार को कोई हमला नहीं करेगा. लेकिन अगर तुर्की ने हमला किया तो ग्रीस भी विनाशकारी प्रतिक्रिया देगा. 

विशेषज्ञों का मानना है कि नाटो अगर चाहे तो इस विवाद को समाप्त कर सकता है. लेकिन यूरोपीय संघ और अमेरिका  एजियन द्वीप के मुद्दे पर ग्रीस का समर्थन करता है. तुर्की इस समर्थन को पक्षपात के रूप में देखता है. इसलिए दोनों देशों के बीच दुश्मनी जारी रहने की संभावना है.

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