
चीन में अब एक नए वायरस HMPV ने दस्तक दी है. इससे पहले करीब 5 साल पहले वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई थी. इस वायरस ने पूरी दुनिया को 'लॉक' और 'डाउन' कर दिया था. इसके प्रकोप से करीब 71 लाख लोगों की मौत हुई थी. ऐसे में अब ये सवाल उठता है कि आखिर चीन से ही क्यों खतरनाक वायरस फैलते हैं. इसके पीछे क्या कारण हैं? अबतक कितने खतरनाक वायरस चीन से फैल चुके हैं....
जब-जब चीन ने पूरी दुनिया को 'खतरे' में डाला
इस बात में कोई शक नहीं है कि दुनिया के कई खतरनाक वायरस चीन की धरती से ही फैले हैं. भले ही आपको लगता हो कि चीन से फैलने वाली सबसे खतरनाक बीमारी कोरोना है. लेकिन ऐसा नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार, चीन से उभरने वाली सबसे विनाशकारी महामारी प्लेग या ब्लैक डेथ थी जिसने 1346 से 1353 तक अफ्रीका, एशिया और यूरोप को तबाह कर दिया था. अनुमान है कि इसमें 75 से 200 मिलियन लोगों की जान चली गई थी.
छठी, 14वीं और 19वीं शताब्दी में दुनिया को तबाह करने वाली प्लेग की बड़ी लहरें चीन से ही शुरू हुई थीं. वहीं, पिछले 100 सालों की बात करें तो चीन से 1918, 1957, 2002 और 2019 में महामारी फैल चुकी है.
1957 में आई महामारी की कहानी...
1957-1959 के बीच भी दुनिया में एक भयानक तबाही आई थी. इस महामारी का नाम 'एशियन फ्लू' रखा गया. क्योंकि यह चीन से पूरी दुनिया में फैला था. इस महामारी के प्रकोप का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महज 2 साल के भीतर ही इस फ्लू से दुनिया भर में करीब 20 लाख लोगों की मौत हुई थी.
उससे पहले 1918 में आई थी तबाही
1918 में एक महामारी आई थी जिसे 'स्पेनिश फ्लू' के रूप में जाना जाता है. हालांकि, ये महामारी ऐसे समय में आई थी जब दुनिया में पहले विश्व युद्ध की चर्चा थी. ऐसे में तमाम सेंसरशिप के कारण ये स्पष्ट नहीं है कि आखिर ये महामारी दुनिया में कैसे फैली. लेकिन तमाम रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि इसकी उत्पत्ति भी चीन में हुई थी.
बता दें कि 1918 की महामारी को सदी की सबसे घातक महामारी बताया गया है. इस महामारी के चलते वैश्विक स्तर पर 20 मिलियन से 50 मिलियन लोग मारे गए थे. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स इस आंकड़े को 100 मिलियन के करीब बताती हैं. अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, लगभग 500 मिलियन लोग, यानी उस समय दुनिया की लगभग 30% आबादी इस महामारी की चपेट में थी. इसी तरह 2002 में फैली सार्स नामक महामारी ने भी तबाही मचाई थी और ये भी चीन से ही फैला था.
आखिर चीन से ही क्यों फैलता है वायरस
दुनिया की कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन से ही वायरस फैलने के पीछे उसकी घनी आबादी है, जो जानवरों की कई प्रजातियों के साथ खुले तौर पर संपर्क में है. जबकि वहां स्वच्छता को लेकर भी काफी समस्या है.
इकोहेल्थ एलायंस के अध्यक्ष डॉ. पीटर दासजक ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि दक्षिण मध्य चीन वायरस के लिए एक 'मिक्सिंग वेसल' है. वहां स्वच्छता में भारी कमी और लचीली निगरानी के साथ बड़े पैमाने पर पशु पालन होता है. उन्होंने बताया था कि किसान अक्सर अपने पशुओं को 'वेट मार्केट' में लाते हैं जहां वे सभी प्रकार के विदेशी जानवरों के संपर्क में आ सकते हैं.
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चीन के सांस्कृतिक कारण भी जिम्मेदार
रिपोर्ट बताती हैं की चीन के सांस्कृतिक कारण भी वहां वायरस फैलने के लिए जिम्मेदार हैं. दरअसल, चीन में ताजे मीट की खपत कहीं ज्यादा है. चीनी लोगों का मानना है कि ताजे मीट फ्रोजन की तुलना में ज्यादा स्वादिष्ट हैं. यहां खुले में मीट काटना आम है, जिससे हमेशा वायरस फैलने का खतरा बना रहता है.
वहीं, चीन के लोगों की एक और आम आदत है. यहां जब कोई शख्स बीमार होता है तो ज्यादातर लोग पहले पारंपरिक चीनी चिकित्सा (TCM) की तलाश करते हैं. जहां लोगों को इलाज के नाम पर एक्यूपंक्चर या अप्रभावी हर्बल के साथ ही जानवरों से जुड़े उपाय बताए जाते हैं. इससे ज्यादा संख्या में जानवर भी मारे जाते हैं और साथ ही लोगों में वायरस फैलने का खतरा भी बढ़ता है.
वहीं, चीन अपनी गलत सूचना, गोपनीयता और सेंसरशिप के लिए भी जाना जाता है, जिससे नई बीमारियों के पनपने और फैलने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसा कोरोना महामारी के समय भी देखने को मिला. जानवरों के साथ चीनी वैज्ञानिकों के प्रयोग भी हमेशा सवालों के घेरे में रहे हैं.
एक कारण ये भी...
कुछ एक्सपर्ट्स दावा करते हैं एशिया और अफ्रीका में बड़े पैमाने पर आबादियों के गांवों से शहरों में शिफ्टिंग के कारण भी वायरस फैलते हैं. पूरे एशिया और प्रशांत क्षेत्रों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है, जहां दुनिया का 60% हिस्सा पहले से ही रहता है. विश्व बैंक के अनुसार, 21वीं सदी के पहले दशक के दौरान पूर्वी एशिया में लगभग 200 मिलियन लोग शहरी क्षेत्रों में चले गए. इसमें चीन में सबसे बड़े स्तर पर माइग्रेशन हुआ. इतने बड़े पैमाने पर लोगों के एक जगह से दूसरे जगह पर शिफ्ट होने के कारण जंगलों को खत्म किया गया है. इससे पारिस्थितिकी पूरी तरह से बदल गई.
ताजा वायरस क्या है...
चीन में फैले इस वायरस का नाम ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस या एचएमपीवी (HMPV) है. इसके लक्षण काफी हद तक सामान्य सर्दी-जुकाम के समान होते हैं. सामान्य मामलों में यह खांसी या गले में घरघराहट, नाक बहने या गले में खराश का कारण बनता है. छोटे बच्चों और बुजुर्गों में HMPV का संक्रमण गंभीर हो सकता है.