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कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में चीन से कैसे पिछड़ गया भारत

कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से दुनियाभर में फैला है, लेकिन अब वहां लगभग इसे नियंत्रित कर लिया गया है. चीन से तुलना करें तो भारत में शुरू में संक्रमण की दर काफी धीमी रही और रिकवरी रेट अच्छी रही, लेकिन मई आते-आते यह स्थिति उलट गई.

कोरोना वायरस का कहर (फाइल फोटो-PTI) कोरोना वायरस का कहर (फाइल फोटो-PTI)
निखिल रामपाल
  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2020,
  • अपडेटेड 11:32 PM IST

  • कोरोना संक्रमण के मामले में चीन को पछाड़ने वाला 11वां देश बना भारत
  • चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस ने भारत समेत दुनिया को जकड़ा

भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप की शुरुआत काफी धीमी रही थी. शुरुआती 45 दिनों में करीब 100 केस सामने आए थे. हालांकि, बाद में कोरोना वायरस के मामले अचानक तेजी से बढ़े और सिर्फ मई के शुरुआती 15 दिनों में कोरोना वायरस के 45,000 नए मामले जुड़ गए. कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से दुनियाभर में फैला है, लेकिन अब वहां लगभग इसे नियंत्रित कर लिया गया है. चीन से तुलना करें तो भारत में शुरू में संक्रमण की दर काफी धीमी रही और रिकवरी रेट (मरीजों के ठीक होने की दर) अच्छी रही. मई आते आते यह स्थिति उलट गई.

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भारत शनिवार को कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में चीन को पीछे छोड़ने वाला 11वां देश बन गया. 16 मई की सुबह तक भारत में करीब 86,000 कोरोना मरीज सामने आ चुके हैं. इनमें से 2,750 मौतें हुई हैं और 30,000 से अधिक लोग रिकवर हो चुके हैं. हालांकि, भारत में करोना वायरस से मरने वालों की संख्या चीन से कम है.

चीन के हुबेई प्रांत के शहर वुहान से कोरोना वायरस का फैलना शुरू हुआ था. अगर चीन के आंकड़ों पर भरोसा किया जाए, तो उसने वुहान को लगभग तीन महीने तक बंद रखा और वायरस को सफलतापूर्वक नियंत्रित कर लिया. इंडिया टुडे की डाटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने दोनों देशों के कोरोना वायरस से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया और कोरोना के मामलों में वृद्धि और रिकवरी दर आदि के मामले में दोनों देशों की तुलना की.

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प्रति 10 हजार केस पर दिनों की संख्या

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में पहला कोरोना का केस 17 नवंबर, 2019 को सामने आया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की दैनिक स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने एक फरवरी को यानी 76 दिनों के भीतर 10,000 का आंकड़ा पार किया. भारत में पहला केस 30 जनवरी को केरल में सामने आया और 14 अप्रैल को भारत ने 10,000 का आंकड़ा पार किया. यानी भारत में 10,000 केस होने में 75 दिन लगे.

शुरुआती 10,000 केस के बाद चीन में संक्रमण काफी तेजी से फैला. यह संख्या अगले तीन दिनों में 10 हजार से 20 हजार, फिर अगले दो दिनों में 20 हजार से 30 हजार, फिर अगले चार दिनों में 30 हजार से 40 हजार और फिर अगले तीन दिनों में 40 हजार से 50 हजार हो गई. चीन में 12 फरवरी को 50 हजार का आंकड़ा पार किया था और अगले दिन 60 हजार और उसके अगले दो दिनों में 70 हजार तक पहुंच गया. इसके बाद चीन में नियंत्रण में आने लगी.

भारत में कोरोना मामलों की संख्या 60 हजार पहुंचने तक इसकी संख्या में वृद्धि चीन की तुलना में धीमी थी. हालांकि, दोनों ही देशों में 60 हजार से 70 हजार केस तक पहुंचने में सिर्फ दो दिन लगे. हालांकि, चीन के उलट भारत की स्थिति में कोई सुधार की स्थिति नहीं है.

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चीन में 70,000 केस के बाद 80,000 पहुंचने में 15 दिन लगे थे. 3 मार्च को चीन में 80,151 केस दर्ज हुए थे. तब से लेकर 15 मई (74 दिन) तक चीन में 4,029 मामले बढ़े हैं. भारत में सिर्फ तीन दिनों में कोरोना के मामले 70,000 से बढ़कर 80,000 तक पहुंच गए. इसके बाद एक ही दिन में आंकड़ा 85,000 पहुंच गया.

रिकवरी रेट

रिकवरी रेट यानी कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने के मामले में भारत की तस्वीर थोड़ा अच्छी है. चीन में जब 10,000 केस थे, तब रिकवरी रेट 2.3 प्रतिशत था, जबकि 10,000 केस के साथ भारत का रिकवरी रेट 11 था. 40,000 केस पर चीन में रिकवरी रेट 9.25 प्रति​शत रहा, जबकि भारत में यह 27 प्रतिशत रहा. यह चीन की तुलना में करीब तीन गुना ज्यादा है.

चीन के 70,000 का आंकड़ा पार करने के बाद हालात बदल गए. संक्रमण की गति धीमी हो गई और ठीक होने की गति भी तेज होने लगी. 70,000 केस पर चीन में रिकवरी रेट 15 प्रतिशत था, जबकि भारत में यह 31 प्रतिशत रहा. हालांकि, 80,000 के आंकड़े तक चीन का रिकवरी रेट 56 प्रतिशत हो गया, जबकि भारत में रिकवरी रेट 34 प्रतिशत ही रहा.

वायरस को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के बाद जब चीने ने वुहान से लॉकडाउन हटाया, तब इसका रिकवरी रेट 94 प्रतिशत तक पहुंच गया था. भारत 18 मई से लॉकडाउन को एक और विस्तार देने को ​तैयार है ​क्योंकि भारत अभी तक वायरस को नियंत्रित नहीं कर सका है और रिकवरी रेट चीन की तुलना में बहुत कम है.

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रोजाना नए केस

डीआईयू ने चीन और भारत में रोज नए दर्ज होने वाले कोरोना मामलों की औसत गति की तुलना की. चूंकि रोजाना होने वाली वृद्धि समान नहीं होती, इसलिए हम सात दिन के रोलिंग एवरेज का इस्तेमाल करते हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि चीन में मामलों में तेजी से वृद्धि हुई, तो उसने कड़े उपाय लागू किए और नए केसों में कमी आई.

कोरोना वायरस के महामारी घोषित होने के करीब दो सप्ताह बाद यानी फरवरी के मध्य में चीन में औसत वृद्धि अपने चरम पर थी. चीन में 12 फरवरी को औसत वृद्धि 4,467 मामलों तक पहुंच गई. इसका एक कारण यह हो सकता है कि 11 फरवरी को चीन में एक ही दिन में 15,000 नए केस दर्ज किए गए थे.

फरवरी के अंत तक चीन में रोजाना वृद्धि काफी हद तक कम हो गई थी. एक मार्च को चीन में रोजाना नए मामलों का औसत 363 था. 8 अप्रैल को जब वुहान को फिर से खोल दिया गया, तब चीन में रोजाना नए मामलों का औसत 66.65 हो गया. मई के पहले 15 दिनों में चीन में सिर्फ 70 नये मामले दर्ज हुए.

हालांकि केस की संख्या की दृष्टि से भारत अब चीन से आगे निकल गया है, लेकिन अब भी यह अपने चरम पर नहीं पहुंचा है. हमने पाया कि रोजाना 500 नए केस जुड़ने के बाद से भारत में यह कभी नीचे नहीं आया. 15 मई तक भारत में हर दिन औसतन 3,667 नये मामले दर्ज हो रहे हैं. चीन के उलट भारत ने मई के शुरुआती 15 दिनों में करीब 45,000 नए मामले दर्ज किए हैं. इससे पहले कि भारत कोरोना वायरस को नियंत्रित कर सकने का दावा कर पाए, रोजाना नए मामलों की संख्या में गिरावट लाने की जरूरत है.

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