
अब अमेरिका के सुर बदले नजर आ रहे हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने ट्वीट कर कहा है कि हम मजबूती से भारत के साथ खड़े हैं और वहां की सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हम भारत के लोग और भारत के हेल्थ केयर हीरोज को जल्दी से अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराएंगे.
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने भारत में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को लेकर चिंता जताई और कहा कि हम अपने सहयोगी को अधिक से अधिक सहयोग देने के लिए 24 घंटे काम कर रहे हैं जिससे वे इस आपदा से बहादुरी से लड़ सकें. बहुत जल्द कुछ होगा.
पूर्व डिप्लोमेट अशोक सज्जनहार ने कहा कि अमेरिका पहले ही अपनी आधी आबादी को वैक्सीन का पहला और करीब 40 फीसदी आबादी को दूसरा शॉट लगा चुका है. उसके पास अपनी कुल आबादी के वैक्सीनेशन से अधिक वैक्सीन उपलब्ध है. भारतीय मूल के अमेरिकी उद्योगपति विनोद खोसला के साथ ही अमेरिका के लॉ मेकर राजा कृष्णमूर्ति ने उपयोग नहीं की गई एस्ट्राजेनेका वैक्सीन भारत भेजने की वकालत करते हुए कहा कि अकेले भारत में ही आज करीब 3.5 लाख कोरोना के केस सामने आए हैं. जब भारत के लोगों को मदद की जरूरत है, हम वैक्सीन को वेयरहाउस में रखकर बैठे नहीं रह सकते. हमें इसे वहां भेजने की जरूरत है जहां जिंदगियां बचाई जा सके.
यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल और यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स बिजनेस कम्युनिटी के साथ कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई में सहयोग कर रहा है. एक दिन पहले ही यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बयान जारी कर सरकार से एस्ट्राजेनेका वैक्सीन और अन्य जीवन रक्षक दवाएं महामारी से पीड़ित भारत और अन्य देशों को भेजने की मांग की थी.
गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश मंत्री का यह बयान उनके ही मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान को लेकर भारी नाराजगी के बाद आया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 22 अप्रैल को कहा था कि अमेरिका के पास अमेरिकी लोगों की भी विशेष जिम्मेदारी है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत को वैक्सीन और कच्चा माल मुहैया कराने से जुड़े सवाल के जवाब में कहा था कि यह केवल हमारे नहीं, पूरी दुनिया के हित में है कि अमेरिकी नागरिकों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है.