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कोर्ट का आदेश बेअसर! ट्रंप प्रशासन ने सैकड़ों अवैध प्रवासियों को अल सल्वाडोर किया डिपोर्ट

शनिवार को अमेरिकी जिला न्यायाधीश जेम्स ई. बोआसबर्ग ने अवैध प्रवासियों के निर्वासन पर रोक लगाने का आदेश जारी किया. लेकिन इससे पहले ही दो विमान अवैध प्रवासियों को लेकर रवाना हो चुके थे. एक एल साल्वाडोर और दूसरा होंडुरास के लिए. न्यायाधीश ने मौखिक रूप से आदेश दिया कि इन विमानों को वापस बुलाया जाए, लेकिन यह आदेश लिखित में नहीं दिया गया. परिणामस्वरूप, विमान अपनी निर्धारित मंजिल तक पहुंच गए और निर्वासन की प्रक्रिया को अमल में लाया गया.

डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर: Reuters) डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर: Reuters)
aajtak.in
  • वाशिंगटन,
  • 16 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 2:36 AM IST

अमेरिका से अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने की प्रक्रिया जारी है. इस क्रम में ट्रंप प्रशासन ने सैकड़ों प्रवासियों को अल सल्वाडोर भेज दिया, जबकि एक संघीय न्यायाधीश ने इस प्रकार की निर्वासन प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगाने का आदेश दिया था. यह निर्वासन एक 18वीं सदी के युद्धकालीन कानून के तहत किया गया, जिसका उद्देश्य वेनेजुएला के गैंग "ट्रेन डे अरागुआ" के सदस्यों को अमेरिका से बाहर निकालना था. हालांकि, इस फैसले की वैधता पर कई सवाल उठ रहे हैं.

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दरअसल, शनिवार को अमेरिकी जिला न्यायाधीश जेम्स ई. बोआसबर्ग ने प्रवासियों के निर्वासन पर रोक लगाने का आदेश जारी किया. लेकिन इससे पहले ही दो विमान प्रवासियों को लेकर रवाना हो चुके थे. एक अल सल्वाडोर और दूसरा होंडुरास के लिए. न्यायाधीश ने मौखिक रूप से आदेश दिया कि इन विमानों को वापस बुलाया जाए, लेकिन यह आदेश लिखित में नहीं दिया गया. परिणामस्वरूप, विमान अपनी निर्धारित मंजिल तक पहुंच गए और निर्वासन की प्रक्रिया को अमल में लाया गया.

अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति का तंज

अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले, जो ट्रंप के करीबी माने जाते हैं, ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने अमेरिकी न्यायाधीश के फैसले वाली खबर को साझा करते हुए लिखा, "Oops… बहुत देर हो गई!". इस पोस्ट को व्हाइट हाउस के कम्युनिकेशन डायरेक्टर स्टीवन चेउंग ने भी शेयर किया, जिससे संकेत मिलता है कि ट्रंप प्रशासन इस फैसले से प्रभावित नहीं हुआ.

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एसीएलयू ने प्रशासन की जवाबदेही मांगी

अमेरिकी नागरिक अधिकार संगठन ACLU ने न्यायालय के आदेश के उल्लंघन पर चिंता जताई है. संगठन के प्रमुख वकील ली गेलरेंट ने रविवार को कहा, "हमने सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अदालत के आदेश का पालन किया गया है या नहीं, और इस संबंध में अपनी स्वतंत्र जांच भी कर रहे हैं." हालांकि, न्याय विभाग की प्रवक्ता ने इस मामले पर कोई स्पष्ट बयान देने से इनकार कर दिया और केवल अटॉर्नी जनरल पाम बॉंडी का पहले दिया गया बयान दोहराया, जिसमें उन्होंने न्यायालय के फैसले की आलोचना की थी.

वेनेजुएला सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया

वेनेजुएला की सरकार ने ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू किए गए इस कानून की निंदा की और इसकी तुलना "दासता और नाजी यातना शिविरों के अंधकारमय युग" से की. सरकार ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह प्रवासियों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रहा है और बिना उचित जांच के लोगों को अपराधी करार दे रहा है.

क्या ट्रेन डे अरागुआ गैंग के सदस्य थे निर्वासित प्रवासी?

ट्रंप प्रशासन ने दावा किया कि निर्वासित किए गए प्रवासी "ट्रेन डे अरागुआ" गैंग के सदस्य थे, लेकिन इस बात का कोई ठोस प्रमाण पेश नहीं किया गया. प्रशासन ने केवल यह जानकारी दी कि दो शीर्ष MS-13 गिरोह के सदस्यों को भी एल साल्वाडोर भेजा गया है. हालांकि, मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि सरकार बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के आम वेनेजुएली नागरिकों को भी गैंग से जोड़कर निर्वासित कर रही है.

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