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कोरोना वायरस के बहाने चीन की चाल, दलाई लामा के आधिकारिक आवास को किया बंद

तिब्बत स्थित पोटाला पैलेस बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए आस्था का अहम केंद्र है. यहां पर बड़ी संख्या में लोग आध्यात्मिक शांति और पर्यटन  के उद्देश्य से आते हैं. चीन ने तर्क दिया है कि कोरोना वायरस का फैलाव रोकने के लिए इस महल को बंद कर दिया गया है.

बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा (फाइल फोटो-पीटीआई) बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा (फाइल फोटो-पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST

  • चीन ने तिब्बत का पोटाला पैलेस किया बंद
  • कोरोना वायरस से चीन में अबतक 80 की मौत

कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने की आड़ में चीन सरकार ने रणनीतिक फैसला लिया है. चीन सरकार ने तिब्बत में स्थित बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के आधिकारिक निवास पोटाला पैलेस को आज से अनिश्तिकाल तक के लिए बंद कर दिया है. चीन का कहना है कि खतरनाक कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पोटाला महल को बंद किया गया है. पोटाला पैलेस बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र रहा है. चीन सरकार ने ये स्पष्ट नहीं किया है कि पोटाला पैलेस को कब तक बंद रखा जाएगा.

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80 की मौत, 3000 लोग चपेट में

चीन में कोरोना वायरस से अबतक 80 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 3000 लोग इस बीमारी की चपेट में हैं. चीन के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि नया वायरस खतरनाक है और तेजी से फैल रहा है. चीन का वुहान शहर इस बीमारी का केंद्र है. यहां से ही ये बीमारी पूरी दुनिया में फैली.

तिब्बत का मुख्य आकर्षण केंद्र है पोटाला पैलेस

पोटाला पैलेस तिब्बत में सैलानियों का मुख्य आकर्षण केंद्र है. यहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक हर साल आते हैं. चीन की सरकार ने कहा है कि पोटाला पैलेस को बंद करने का फैसला बड़े पैमाने पर लोगों के मूवमेंट को रोकने के लिए किया गया है, ताकि बीमारी और न फैल सके. चीन ने सभी ट्रेवल एजेंसियों को घरेलू और विदेशी विमानन कंपनियों के टिकट न बेचने को कहा है.

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बौद्ध धर्म का केंद्र

दलाई लामा का महल तकरीबन 13 मंजिल ऊंचा है. इसमें लगभग एक हजार से ज्यादा कमरे हैं. इस महल में लगभग दो लाख मूर्तियां स्थित हैं. तिब्बत-चीन संघर्ष के दौरान इस महल को काफी नुकसान पहुंचा था. 1959 तक ये महल बौद्ध आस्था का प्रमुख केंद्र रहा, बौद्ध यहां साधना और पूजा के लिए आते रहे लेकिन चीन से लड़ाई के दौरान 14 वें दलाई लामा तेनजिन ग्यास्टो भारत आ गए. इसके बाद इस महल पर चीनी शासन का अधिकार है. 1961 में चीन ने इसे राष्ट्रीय महत्व का सांस्कृतिक स्मारक घोषित किया.

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हालांकि चीनी कब्जे के बावजूद तिब्बती बौद्ध इस महल से भावनात्मक और धार्मिक लगाव रखते हैं. तिब्बत से निर्वासित जीवन जी रहे बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा और दुनिया भर में रह रहे लाखों बौद्ध तिब्बत में चीनी कब्जे के खिलाफ सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं.

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