
तुर्की, सीरिया में आए भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 33,000 हो गई है. जबकि तुर्की में मरने वालों की संख्या बढ़कर 29,605 हो गई. 80,000 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं. आने वाले समय में ये आंकड़ा और बढ़ सकता है. लगभग 12,000 से अधिक इमारतें जमींदोज हो गई हैं. भूकंप से सीरिया में मरने वालों की संख्या 3,500 से अधिक हो गई है और 5,200 से अधिक घायल हो गए हैं.
तुर्की के राजदूत फिरात सुनेल ने एक भारतीय द्वारा भेजे गए 100 कंबल का जिक्र करते हुए ट्वीटर पर लिखा कि कभी-कभी शब्दों का अर्थ शब्दकोश में उनके अर्थ से कहीं अधिक गहरा होता है. उन्होंने भारतीय द्वारा भेजे गए ग्रीटिंग की तस्वीर भी पोस्ट की.
तुर्की में आए भीषण भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है जिसमें भारत बड़ी भूमिका निभा रहा है. भारत तुर्की को 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत मदद पहुंचा रहा है. तुर्की ने भारत की तरफ से दी जा रही मदद के लिए उसका आभार जताते हुए उसे अपना सच्चा दोस्त कहा है. तुर्की और भारत के रिश्ते पिछले कुछ दशकों में ठीक नहीं रहे हैं, लेकिन भारत मानवीय मदद में हमेशा से आगे रहा है. भारत जोर-शोर से तुर्की की मदद में जुटा हुआ है. वहीं, पाकिस्तान खुद आर्थिक संकट में फंसा हुआ है, ऐसे में वह तुर्की की बहुत ज्यादा मदद नहीं कर पा रहा है. पाकिस्तानी विश्लेषकों को भारत और तुर्की की करीबी का डर सताने लगा है. पाकिस्तानी मीडिया में भी इसे लेकर खूब चर्चा हो रही है.
पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि भारत इस आपदा को एक कूटनीतिक अवसर के तौर पर देख रहा है और मदद के जरिए अपने प्रति तुर्की के रुख को बदलने की कोशिश कर रहा है. भारत मदद के जरिए तुर्की को जता रहा है कि वो उसका हमदर्द है. पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक कमर चीमा का कहना है कि भारत तुर्की को भारी मात्रा में मदद भेज रहा है, यह पीएम मोदी की स्मार्ट रणनीति का हिस्सा है.
उन्होंने कहा, 'इस तरह की मानवीय आपदा कहीं भी आ सकती है. दूसरी बात कि ऐसी आपदाएं, एक तरह से अवसर भी हैं. भारत मुस्लिम वर्ल्ड से अपनी नजदीकी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान और भारत की पिछली सरकारों ने जो गैप बनाया था कि तुर्की मुस्लिम देश है और इसे तो पाकिस्तान के साथ ही रहना है, अब वो गैप खत्म हो चुका है. हालात इस कदर बदले हैं कि पाकिस्तान मुस्लिम वर्ल्ड को कश्मीर की जो चूरन बेचता था, वो बंद हो गया है. इसका कारण यह है कि मुस्लिम देशों को अब कश्मीर में कोई दिलचस्पी रही नहीं, वो तो खुद इजरायल से अपने रिश्ते ठीक करने में लगे हैं. कश्मीर के मसले को वो भूल चुके हैं.'