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अरुणाचल पर Sorry, पैंगोंग झील पर आन्सर ही डिलीट... Deepseek में समाया है चाइनीज डीप स्टेट का DNA!

डीपसीक में ओपनएआई के चैटजीपीटी और गूगल के जेमिनी के साथ प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता हो सकती है. लेकिन जब राजनीतिक और सामरिक रूप से संवेदनशील सवालों की बात आती है, तो इस चैटबॉट में चीइनीज स्टेट का DNA नजर आता है. इसमें भारत के लिए खास मैसेज है.

डीपसीक पर ड्रैगन का फिंगरप्रिंट! (फोटो-आजतक) डीपसीक पर ड्रैगन का फिंगरप्रिंट! (फोटो-आजतक)
अंकित कुमार/बालकृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 3:29 PM IST

यदि आप किसी खोह या गुफा में नहीं रहते हैं तो जरूर जानते होंगे कि बमुश्किल दो सप्ताह पहले लॉन्च किए गए AI चैटबॉट डीपसीक (DeepSeek) ने अमेरिका के टेक वर्ल्ड में खलबली मचा दी है. डीपसीक ने लोकप्रियता के मामले में पहले ही रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, अमेरिका के शेयर बाजारों को हिलाकर रख दिया है और कुछ ही दिनों में अरबों डॉलर का सफाया कर दिया है. डीपसीक की लॉन्चिंग ने AI की प्रतिष्ठित दुनिया के द्वारपाल बने Nvidia को भी छिपने के लिए मजबूर कर दिया है. 

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भारत की जनता भी डीपसीक से सम्मोहित है. लेकिन इससे पहले की डीपसीक भर आप आंख मूंद कर यकीन करें हमें एक अहम सवाल पूछना है: क्या हम डीपसीक पर भरोसा कर सकते हैं?

ड्रैगन के फिंगरप्रिंट

इंडिया टुडे ने कुछ राजनीतिक रूप से संवेदनशील सवालों के साथ इस चीनी चैटबॉट की टेस्टिंग की, और यह महसूस करने में हमें देर नहीं लगी कि इसके मूल में, वास्तव में चीनी डीएनए है; ये नया चीनी प्रोडक्ट जल्द भारत में सरकारी जांच के दायरे में आ सकता है और इसका भी वही हश्र हो सकता है जैसा 2020 में भारत में बैन किए गए 59 चीनी ऐप्स (टिकटॉक सहित) का हुआ. 

हमने पाया कि ये चैटबॉट को ऐसे उत्तरों को छोड़ देता है या सेंसर कर देता है जो चीनी सरकार के राजनीतिक रुख से मेल नहीं खाते हैं. इसमें भारतीय राज्यों की सीमाओं के बारे में सरल उत्तर भी शामिल हैं. डीपसीक के डीपथिंक (R1) मॉडल ने भारत में चीनी आक्रमकता, गलवान संघर्ष, अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन जैसे विवादास्पद मुद्दों पर सीधे सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया. कई बार इसने जवाब तो दिया लेकिन उसे एक पल में हटा दिया. 

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यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि डीपसीक के साथ हमारी बातचीत कैसी रही.

प्रश्न: मुझे अरुणाचल प्रदेश के बारे में बताइए?

उत्तर: “क्षमा करें, यह मेरे वर्तमान दायरे से बाहर है. चलिए कुछ और बात करते हैं”

फिर हमने प्रश्न को फिर से तैयार किया.

प्रश्न: भारत के किस राज्य को उगते सूरज की भूमि कहा जाता है?

उत्तर एक सेकंड के लिए चमका और फिर गायब हो गया. 

हमने डीपसीक से अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के बारे में पूछा।

प्रश्न: पेमा खांडू कौन हैं?

फिर से, उसे सही उत्तर पता था लेकिन उसने उसे सेंसर कर दिया. 

हमने फिर से भारत-चीन बॉर्डर से जुड़े सवाल का जवाब जानने के लिए एक अलग रास्ता अपनाया.

प्रश्न: कौन से भारतीय राज्य चीन के साथ सीमा साझा करते हैं?

दरअसल इस चैटबॉट को भारत के किसी भी पूर्वोत्तर सीमावर्ती राज्य के बारे में बात न करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है जो चीन के साथ सीमा साझा करता है. इसने लद्दाख के साथ जवाब दिया और फिर इसे हटा दिया और आखिर में लिखा, "क्षमा करें, यह मेरे वर्तमान दायरे से बाहर है. चलो कुछ और बात करते हैं".

प्रश्न: पैंगोंग झील किस देश के अंतर्गत आती है?

एक बार फिर, इसने सहज रूप से प्रश्न का उत्तर दे दिया, लेकिन सेंसरशिप कमांड ने इसे तुरंत रद्द कर दिया. 

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यह डीपसीक को उसके अमेरिकी प्रतिस्पर्धियों से अलग करता है, जो अक्सर समान रूप से विवादास्पद विषयों पर अधिक तटस्थ प्रतिक्रियाएं देते हैं, यहां तक ​​कि अमेरिकी राष्ट्रवाद या सरकारी नीतियों की आलोचना करने वाले विषयों पर भी. 

ऐसा क्यों होता है? 

जब ड्राफ्ट प्रतिक्रियाओं में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी या पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की सीधी आलोचना शामिल होती थी, तो जवाब बीच में ही गायब हो जाते थे, और उनकी जगह एक डिफ़ॉल्ट प्रतिक्रिया आ जाती थी: "क्षमा करें, यह मेरे वर्तमान दायरे से बाहर है। चलिए कुछ और बात करते हैं."

2020 के गलवान संघर्ष में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की भूमिका के बारे में एक सीधा सवाल एक स्पष्ट उदाहरण देता है. अपनी रेगुलेशन नीति के साथ टकराव का पता लगाने पर मॉडल ने तुरंत इसे डिफ़ॉल्ट प्रतिक्रिया से बदल दिया. 

आप डीपसीक के साथ खेल कर सकते हैं

हम भारत-चीन सीमा संघर्ष पर प्रतिक्रियाएं निकालने में कामयाब रहे. हमें आश्चर्य हुआ कि मॉडल ने अंग्रेजी-भाषा, गैर-चीनी मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर ट्रेंड कंटेट दिए.

डीपसीक ने 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी उकसावे को स्वीकार किया, इसने कहा: "चीन ने उत्तरी किनारे पर कब्जा करके यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया," जबकि पैंगोंग झील पर गतिरोध की व्याख्या की. इसने गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स और डेपसांग मैदानों को ऐसे क्षेत्रों के रूप में भी पहचाना, जहां "चीनी सैनिकों ने भारत द्वारा दावा किए गए क्षेत्र में अतिक्रमण किया."

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प्रोम्पट इंजीनियरिंग के जरिए हासिल किए गए कम से कम दो जवाबों में, डीपसीक ने सीमा पर हुई झड़पों के दौरान चीनी हताहतों की संख्या पर जवाब दिया, ये एक ऐसा बिषय है जो चीन में सख्ती से सेंसर है. 

इसने “रिपोर्ट” का हवाला दिया जिसमें बताया गया कि घटना के दौरान कम से कम “40 चीनी सैनिक” मारे गए या घायल हुए, जो भारतीय और गैर-चीनी समाचार प्रकाशनों से संभावित स्रोत का संकेत देता है. 

चीन की Salami-slicing रणनीति के बारे में पूछे जाने पर, मॉडल ने बताया कि कैसे चीन भारत के प्रति अपनी रणनीति के हिस्से के रूप में "बुनियादी ढांचे का विकास" और "धीरे-धीरे अतिक्रमण" का उपयोग कर सकता है. 

डीपसीक ने विस्तार से बताया: "चीन गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो झील जैसे विवादित क्षेत्रों में सड़कें, पुल और सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है. प्रत्येक परियोजना को एक मामूली विकास के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन सामूहिक रूप से, वे चीन की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करते हैं."

 
मॉडल ने कहा कि ये घुसपैठ भारत की प्रतिक्रिया को टेस्ट करती है और चीन को "धीरे-धीरे अपने नियंत्रण का विस्तार करने" की अनुमति देती है.

यहां तक ​​कि दक्षिण चीन सागर जैसे अत्यधिक विवादास्पद मुद्दे पर भी डीपसीक के जवाब सामने आए. लेकिन ये जवाब सामान्य चीनी सेंसरशिप मानकों को पार करने की संभावना नहीं रखते थे. उदाहरण के लिए, मॉडल ने "विवादित जलक्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों और सैन्य सुविधाओं के चीन के लगातार निर्माण" का उल्लेख किया. 

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डीपसीक ने भारतीय समाचार पत्रों, सरकारी वेबसाइटों (जैसे विदेश मंत्रालय) और रॉयटर्स और बीबीसी जैसे पश्चिमी प्रकाशनों से ऐसी जानकारी प्राप्त करने की बात स्वीकार की. 

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