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पूरा हो जाएगा ट्रंप का 'ग्रीनलैंड' खरीदने का सपना? डेनमार्क की PM ने दिया ऐसा जवाब

अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जबसे चुनाव जीते हैं तबसे ही उन्होंने ग्रीनलैंड खरीदने की इच्छा जाहिर करनी एक बार फिर शुरू कर दी है. हालांकि, उनका सपना पूरा होना इतना आसान नहीं है. बात को आगे बढ़ाने के लिए ट्रंप के बड़े बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ग्रीनलैंड पहुंचे हैं. उनके वहां पहुंचने के बाद डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने इस मामले में काफी संभला हुआ बयान दिया है.

फोटो- डोनाल्ड ट्रंप फोटो- डोनाल्ड ट्रंप
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:00 PM IST

अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जबसे चुनाव जीते हैं तबसे ही उन्होंने ग्रीनलैंड खरीदने की इच्छा जाहिर करनी एक बार फिर शुरू कर दी है. ट्रंप चाहते हैं कि जैसे दशकों पहले अमेरिका ने रूस से अलास्का को खरीदा था, इसी तरह वह अब डेनमार्क से ग्रीनलैंड को खरीद लें. ग्रीनलैंड एक द्वीप है जो वर्तमान में डेनमार्क के कंट्रोल में है. हालांकि, ट्रंप का सपना पूरा होना इतना आसान नहीं है, क्योंकि डेनमार्क की लीडरशिप ग्रीनलैंड को छोड़ने के मूड में नजर नहीं आ रही है. 

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ग्रीनलैंड खरीदने की बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए ट्रंप ने अपने बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर को वहां भेजा है. मंगलवार 7 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ग्रीनलैंड पहुंच गए हैं.

हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप जूनियर की यात्रा को निजी यात्रा बताया जा रहा है लेकिन उनके ग्रीनलैंड जाने के बाद डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन का इस मामले में काफी संभला हुआ बयान सामने आया है. 

ग्रीनलैंड में आकर कारोबार खूब करो, लेकिन बिकाऊ नहीं है- मेटे फ्रेडरिक्सन

मंगलवार शाम को डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने बयान जारी करते हुए कहा कि अमेरिका हमारा करीबी सहयोगी है. उत्तरी एटलांटिक क्षेत्र में और ज्यादा सहयोग के लिए डेनमार्क के दरवाजे हमेशा खुले हैं. उन्होंने आगे कहा कि यह बहुत सकारात्मक बात है कि अमेरिका ग्रीनलैंड को लेकर इच्छुक है, हम और ज्यादा अमेरिकी निवेश का स्वागत करते हैं. डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने आगे कहा कि, ''यह हमारे हित में है कि अमेरिका ही इस क्षेत्र में अहम भूमिका में रहे ना कि रूस लेकिन ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है."

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डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद पिछले महीने दिसंबर में कहा था कि वह अभी भी ग्रीनलैंड को खरीदना चाहते हैं. उन्होंने कहा था कि ग्रीनलैंड पर अमेरिका की ऑनरशिप और कंट्रोल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है. ट्रंप के इस बयान के बाद डेनमार्क में खलबली मच गई थी. हालांकि, वहां की प्रधानमंत्री ने उस समय इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया देने से जरूर परहेज किया था.

मालूम हो कि आर्कटिक और उत्तरी अटलांटिक के बीच स्थित ग्रीनलैंड अब अमेरिका के लिए भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होता जा रहा है. यहां अमेरिकी सैन्य बेस भी है जिसका उपयोग मिसाइल खतरों का पता लगाने और अंतरिक्ष की निगरानी के लिए किया जाता है. इसके साथ ही ग्रीनलैंड महत्वपूर्ण खनिजों का विशाल भंडार है, जो अमेरिका के लिए काफी फायदेमंद है. 

डोनाल्ड ट्रंप के ऑफर पर क्या बोल रही है ग्रीनलैंड की सरकार?

दूसरी ओर, ग्रीनलैंड की आंतरिक सरकार भी ट्रंप के ग्रीनलैंड को खरीद लेने के ऑफर से सहमत नजर नहीं आई. ग्रीनलैंड के प्रीमियर (प्रधानमंत्री)  म्यूटे एगेडे ने बयान जारी करते हुए यह साफ कर दिया कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है लेकिन यहां कारोबार करने के लिए दरवाजे हमेशा खुले हैं.  

बता दें कि ग्रीनलैंड की वर्तमान सरकार स्वतंत्रता और वैश्विक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कई कदम उठा रही है. साल 2023 में, सरकार ने एक स्वतंत्र राष्ट्र के लिए संविधान का मसौदा पेश किया था. हालांकि, डेनमार्क की प्रधानमंत्री ग्रीनलैंड की स्वतंत्रता को लेकर कुछ नहीं कहा लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि ग्रीनलैंड का भविष्य ग्रीनलैंड में ही तय होना चाहिए, कहीं और नहीं. 
 

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अमेरिका के लिए क्यों जरूरी बनता जा रहा है बर्फ से ढका ग्रीनलैंड? 

21 लाख स्क्वेयर किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले ग्रीनलैंड की आबादी सिर्फ 57 हजार है. वर्तमान में ग्रीनलैंड की अर्थव्यवस्था डेनमार्क की सब्सिडी पर निर्भर है और ये किंगडम ऑफ डेनमार्क का हिस्सा कहा जाता है. ग्रीनलैंड के 80 प्रतिशत हिस्से पर स्थाई रूप से तकरीबन 4 किमी मोटी बर्फ जमी रहती है. आर्कटिक महासागर और अटलांटिक महासागर के बीच स्थित ग्रीनलैंड अमेरिका के लिए काफी महत्वपूर्ण है.

डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि 'सभी जगह मौजूद' रूसी और चीनी जहाजों की निगरानी के लिए ग्रीनलैंड बेहद जरूरी है. इसी वजह से अमेरिका ने पहले ही कई सारे सैन्य अड्डे वहां स्थापित किए हुए हैं. हालांकि, अमेरिका अगर ग्रीनलैंड को खरीद लेता है तो वह उसका पूर्ण अधिकार वहां हो जाएगा और वह ज्यादा बेहतर ढंग से सैन्य बेस स्थापित कर सकेगा. 

इसके साथ ही ग्रीनलैंड दुनिया के कई दुर्लभ खनिजों का बड़ा भंडार है. इसमें कई खनिज बैटरी और हाई-टेक डिवाइस बनाने में इस्तेमाल होते हैं. ग्रीनलैंड की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से मछली पकड़ने और खनन पर आधारित है, और अमेरिका के साथ व्यापार करने से ग्रीनलैंड की अर्थव्यवस्था को और ज्यादा बढ़ावा मिल सकता है. वहीं अमेरिका को खनिजों का भंडार मिल जाएगा जो भविष्य के लिए काफी फलदायी साबित हो सकता है.

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इसके साथ ही एक और खास बात है कि जैसे-जैसे बर्फ के ग्लेशियर पिघल रहे हैं, वैसे-वैसे भविष्य के लिए संभवित समुद्री रास्ते भी अमेरिका को नजर आ रहे हैं. इसका फायदा भविष्य में अमेरिका को अन्य देशों से कारोबार या अपने देश की सुरक्षा को बढ़ाने में मिल सकता है. 

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