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आतंक के खिलाफ नहीं लड़ा PAK तो अमेरिका से फंडिंग होगी मुश्किल

रक्षा मंत्री को यह भी प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क को उत्तर वजीरिस्तान को पनाहगाह बनाने से रोकने की प्रतिबद्धता दिखा रहा है और पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर हक्कानी नेटवर्क समेत आतंकवादियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने में अफगानिस्तान सरकार के साथ सक्रिय तौर पर सहयोग कर रहा है.

अमेरिका ने कड़ी की शर्तें अमेरिका ने कड़ी की शर्तें
BHASHA
  • वॉशिंगटन ,
  • 15 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने पाकिस्तान को डिफेंस फंडिंग उपलब्ध कराए जाने की शर्तों को और कड़ा बनाने के लिए तीन विधायी संशोधनों पर वोट किया है जिसमें यह शर्त रखी गई है कि वित्तीय मदद दिए जाने से पहले पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में संतोषजनक प्रगति दिखानी होगी. ये शर्तें आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन से संबंधित है जिसे लेकर पहले भी कई शीर्ष अमेरिकी अधिकारी और सांसद लगातार चिंता जताते रहे हैं.

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अमेरिका में 651 अरब डॉलर वाले नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट (NDAA) 2018 में सभी तीन विधायी संशोधनों को कांग्रेस के निचले सदन ने शुक्रवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया. सदन ने 81 के मुकाबले 344 मतों से इसे पारित कर दिया. सदन में पारित इस विधेयक से रक्षा मंत्री को पाकिस्तान को वित्त पोषण दिए जाने से पहले यह प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान ग्राउंड्स लाइंस ऑफ कम्यूनिकेशन (GLOC) पर सुरक्षा बनाए रख रहा है. जीएलओसी सैन्य इकाइयों को आपूर्ति मार्ग से जोड़ना वाला और सैन्य साजो-सामान के परिवहन का रास्ता है.

रक्षा मंत्री को यह भी प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क को उत्तर वजीरिस्तान को पनाहगाह बनाने से रोकने की प्रतिबद्धता दिखा रहा है और पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर हक्कानी नेटवर्क समेत आतंकवादियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने में अफगानिस्तान सरकार के साथ सक्रिय तौर पर सहयोग कर रहा है.

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तीन में से दो संशोधन कांग्रेस सदस्य डाना रोहराबेकर और एक संशोधन टेड पोए ने पेश किया. सदन द्वारा पारित पोए के एक संशोधन में इस बात का प्रस्ताव रखा गया है कि जब तक रक्षा मंत्री यह पुष्टि ना कर सकें कि पाकिस्तान अमेरिका द्वारा घोषित किसी भी आतंकवादी को सैन्य, वित्तीय मदद या साजोसामान उपलब्ध नहीं करा रहा तब तक पाकिस्तान को दिए जाने वाली वित्तीय मदद रोक कर रखी जाए.

रोहराबेकर के एक संशोधन में कहा गया है कि शकील अफ्रीदी एक अंतरराष्ट्रीय हीरो है और पाकिस्तान सरकार को इसे तुरंत जेल से रिहा कर देना चाहिए. अफ्रीदी ने एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन की मौजूदगी का पता लगाने में अमेरिका की मदद की थी.

 

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