
डोनाल्ड ट्रंप की ग्रीनलैंड को अमेरिका में मिलाने की महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है. इस दिशा में उन्होंने अगला कदम बढ़ाते हुए उप राष्ट्रपति जेडी वेंस की पत्नी उषा वेंस और एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल को इस हफ्ते ग्रीनलैंड भेजने को फैसला किया है. ट्रंप के इस फैसले का ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एगेडे ने विरोध किया है और दौरे के 'बेहद आक्रामक रुख' बताया है. सोमवार को उन्होंने अमेरिका पर ग्रीनलैंड के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया.
व्हाइट हाउस ने रविवार को घोषणा की कि अमेरिकी राष्ट्रपति जेडी वेंस की पत्नी उषा वेंस अपने बेटे और एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ इस हफ्ते ग्रीनलैड का दौरा करेंगी. ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज भी शामिल होंगे.
अमेरिकी प्रतनिधिमंडल के दौरे को लेकर ग्रीनलैंड पीएम एगेडे ने कहा, 'हमारी अखंडता और लोकतंत्र का सम्मान विदेशी हस्तक्षेप के बिना किया जाना चाहिए. इस दौरे को केवल एक निजी दौरे के रूप में नहीं देखा जा सकता है.'
प्रतिनिधिमंडल गुरुवार से शनिवार के बीच ग्रीनलैंड के दौरे पर रहेगा. इससे पहले जनवरी की शुरुआत में राष्ट्रपति ट्रंप के बेटे डोनाल्ड जूनियर ने भी ग्रीनलैंड की यात्रा की थी.
20 जनवरी को सत्ता में आने के बाद ट्रंप ने लगातार ग्रीनलैंड को अमेरिका में मिलाने पर जोर दिया है. उनका कहना है कि ग्रीनलैंड अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी है. उन्होंने ग्रीनलैंड को अमेरिका में मिलाने के लिए बल प्रयोग से भी इनकार नहीं किया है. आकर्टिक और उत्तरी अटलांटिक महासागर के बीच बसा द्वीप ग्रीनलैंड डेनमार्क का स्वायत्त क्षेत्र है.
'जब तक नई सरकार नहीं बनती, कोई बातचीत नहीं होगी...'
ग्रीनलैंड के पीएम एगेडे ने कहा कि अमेरिका को पहले ही बता दिया गया है कि 11 मार्च को हुए आम चुनावों के बाद जब तक ग्रीनलैंड में नई सरकार नहीं बन जाती, तब तक "कोई बातचीत नहीं होगी."
ग्रीनलैंड में चुनाव नतीजे आने के बाद भी एगेडे कार्यवाहक सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. चुनाव में जीत केंद्र-दक्षिणपंथी डेमोक्रेटिक पार्टी की हुई है. इसके नेता जेन्स-फ्रेडरिक नीलसन ग्रीनलैंड के अगले प्रधानमंत्री होंगे. नीलसन ट्रंप के कट्टर आलोचक हैं और ट्रंप की धमकियों को उन्होंने 'ग्रीनलैंड की राजनीतिक आजादी के लिए खतरा' बताया है.
चुनाव से पहले नीलसन ने कहा था कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है. उन्होंने कहा था, 'हम अमेरिकन नहीं बनना चाहते और न ही हम डेनमार्क के नागरिक बनना चाहते हैं. हम ग्रीनलैंड के नागरिक बनना चाहते हैं और भविष्य में अपनी आजादी चाहते हैं. हम अपना देश खुद बनाना चाहते हैं न कि उनके (ट्रंप के) मुताबिक. लेकिन ट्रंप इस बात को नहीं समझते कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है.'
अमेरिका ग्रीनलैंड के पीछे क्यों पड़ा हुआ है?
कभी डेनमार्क का उपनिवेश रहा ग्रीनलैंड 1953 में एक अलग क्षेत्र के रूप में सामने आया. लेकिन अब भी डेनमार्क ग्रीनलैंड के विदेशी मामलों, रक्षा और मौद्रिक नीतियों को नियंत्रित करता है. डेनमार्क ग्रीनलैंड की अर्थव्यवस्था में भी अहम भूमिका निभाता है और हर साल लगभग 1 अरब डॉलर ग्रीनलैंड को देता है.
ग्रीनलैंड में खनिज और तेल के विशाल भंडार है. वहां बर्फ की चोटियां पिघल रही हैं जिससे वहां के दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों को निकालना आसान बनता जा रहा है. बर्फ पिघलने से शिपिंग के नए रास्ते भी बन रहे हैं. हालांकि, वहां फिलहाल तेल और यूरेनियम आदि की खोज पर प्रतिबंध लगा है ताकि पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोका जा सके. ग्रीनलैंड रणनीतिक रूप से भी बेहद अहम है जिसे देखते हुए अमेरिका इसे अपने में मिलाने की बात कह रहा है.
कई सर्वे में यह बात सामने आई है कि ग्रीनलैंड के अधिकांश लोग डेनमार्क से आजादी चाहते हैं लेकिन वो अमेरिका में भी नहीं मिलना चाहते. वो ग्रीनलैंड को एक स्वतंत्र देश के रूप में देखना चाहते है.