
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कैंपेन की वेबसाइट हैक हो गई. ट्रंप कैंपेन की तरफ से बिना किसी सबूत के दावा किया गया है कि इसके पीछे ईरान का हाथ था, जिसकी मंशा '2024 के चुनाव में हस्तक्षेप और राजनीतिक अराजकता फैलाने की थी.' रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से यह बयान तब आया है जब एक स्थानीय मीडिया संस्थान ने इसका खुलासा किया. मीडिया संस्थान का कहना था कि जुलाई महीने में संस्थान को अज्ञात सोर्सेज से ट्रंप के खिलाफ खुफिया दस्तावेज ऑफर किए गए थे.
डोनाल्ड ट्रंप के कैंपेन ने डॉक्यूमेंट्स को लेकर दावा किया, "ये दस्तावेज अमेरिका के खिलाफ विदेशी सोर्सेज से अवैध रूप से हासिल किए गए थे, जिनका उद्देश्य 2024 के चुनाव में हस्तक्षेप करना और हमारी राजनीतिक प्रक्रिया में अराजकता फैलाना था."
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एक अमेरिकी मीडिया संस्थान पॉलिटिको ने दावा किया था कि जुलाई महीने में संस्थान को अज्ञात सोर्सेज से ट्रंप के इंटरनल ऑपरेशन को लेकर कुछ दस्तावेज ऑफर किए गए थे. संस्थान का दावा था कि उपराष्ट्रपति उम्मीदवार जेडी वेन्स के खिलाफ भी डॉक्यूमेंट्स की पेशकश की गई थी.
ईरान पर डोनाल्ड ट्रंप ने भी लगाए आरोप
डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को अपने ट्रुथ सोशल पर दावा किया कि माइक्रोसॉफ्ट ने उनके कैंपेन को सूचित किया है कि उनकी एक वेबसाइट को ईरान ने हैक कर लिया. ईरान पर ही आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ सार्वजनिक सूचना ही हासिल किए थे. हालांकि, उन्होंने हैक के बारे में ज्यादा कोई जानकारी नहीं दी.
माइक्रोसॉफ्ट ने टार्गेट के खुलासे से किया इनकार
ट्रंप कैंपेन ने माइक्रोसॉफ्ट रिसर्चर्स के शुक्रवार की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि ईरानी सरकार से जुड़े हैकरों ने जून में अमेरिकी राष्ट्रपति कैंपेन के एक "हाई-रैंकिंग ऑफिशियल" के अकाउंट में घुसपैठ की कोशिश की थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि हैकरों ने एक पूर्व राजनीतिक सलाहकार के अकाउंट में घुसपैठ कर लिया था और फिर अधिकारी को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया.
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माइक्रोसॉफ्ट रिसर्चर्स की रिपोर्ट में भी टार्गेट की जानकारी नहीं दी गई है. माइक्रोसॉफ्ट ने भी टार्गेट का खुलासा करने से इनकार किया है. यूनाइटेड नेशन में ईरान के स्थायी मिशन ने ट्रंप और उनके कैंपेन के आरोपों को खारिज किया और कहा, "ईरानी सरकार के पास अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने का न तो कोई इरादा है और न ही ऐसा कोई मकसद है."