
अमेरिका ने ईरान के रिवॉल्युशनरी गार्ड्स को आतंकवादी संगठन घोषित किया है. उधर ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने अमेरिका को ‘आतंकवाद फैलाने वाले देश’ और क्षेत्र में मौजूद अमेरिकी बलों को ‘आतंकवादी संगठन’ करार दिया. सरकारी न्यूज एजेंसी इरना ने एक बयान में कहा कि यह कदम ईरान के रिवॉल्युशनरी गार्ड्स को आतंकवादी संगठन घोषित करने के अमेरिका के ‘अवैध और मूर्खतापूर्ण कदम के बाद उठाया गया है.’
सीएनएन ने शुक्रवार को अधिकारी के हवाले से कहा कि व्हाइट हाउस की ओर से ईरान के खिलाफ आक्रामक रणनीतिक कदम बढ़ाने के हिस्से के तहत प्रतिबंध का फैसला लिया गया है. आईआरजीसी का गठन अप्रैल 1979 में ईरानी क्रांति के बाद हुआ था. ईरानी सैन्य बलों की एक शाखा आईआरजीसी को सऊदी अरब और बहरीन पहले ही आतंकवादी संगठन घोषित कर चुके हैं. अधिकारी कई महीनों से इसे सूची में डालने पर बहस करते रहे हैं. सीएनएन की जुलाई 2018 की रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन ऐसा करने पर विचार कर रहा था. रक्षा अधिकारियों ने सीएनएन से कहा कि सीरिया और इराक में तैनात अमेरिकी सैनिकों की आईआरजीसी के सदस्यों से अक्सर मुठभेड़ हुई है.
क्या कहा अमेरिका ने
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने सोमवार को सभी बैंकों और कारोबारों को ईरान के रिवॉल्युशनरी गार्ड्स के साथ कामकाज जारी रखने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी. अमेरिका ने इस संगठन को आतंकी संगठन की सूची में रखा है.
पॉम्पियो ने पत्रकारों से कहा, ‘दुनियाभर के सभी बैंकों और कारोबारों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वह जिस भी कंपनी के साथ वित्तीय लेनदेन कर रहे हैं, उनका लेनदेन किसी भी हालत में ईरान के रिवॉल्युशनरी गार्ड्स समूह के साथ नहीं हो.’
इससे पहले ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने शनिवार कहा कि इराक को अपनी सरजमीं से अमेरिकी सेना को हटाने पर विचार करना चाहिए. समाचार पत्र फाइनेंशियल ट्रिब्यून ने यह जानकारी दी.
ईरान के दौरे पर गए इराकी प्रधानमंत्री अदेल अब्दुल महदी से मुलाकात के दौरान खामनेई ने कहा कि पड़ोसी देशों में अमेरिकी सेना की उपस्थिति देश और क्षेत्र के लोगों के हित में नहीं है, ऐसे में इराक की सरकार को अमेरिकी सेना को इराक से जल्द से जल्द हटाए जाने के लिए अमेरिका से आग्रह करने का कदम उठाने की जरूरत है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, खामनेई ने साफ किया कि अगर अमेरिकी सेना इराक में बनी रही तो आगे चलकर उन्हें देश की सरजमीं से हटाना मुश्किल हो जाएगा.