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क्या एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के जरिए असीमित ताकत मिलती है अमेरिकी राष्ट्रपति को, या इसपर भी रखा जा सकता है कंट्रोल?

47वां राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप कई ऐसे एग्जीक्यूटिव ऑर्डर रद्द कर सकते हैं, जो बाइडेन प्रशासन ने लिए थे. यह दावा खुद ट्रंप कर रहे हैं. अगर उनकी बात पर यकीन किया जाए तो वे शपथ के कुछ घंटों में ही 100 से ज्यादा दस्तखत करेंगे. लेकिन क्या हैं एग्जीक्यूटिव ऑर्डर और कैसे वे अमेरिकी कानून से अलग हैं?

डोनाल्ड ट्रंप कई कार्य़कारी आदेश जारी कर सकते हैं. डोनाल्ड ट्रंप कई कार्य़कारी आदेश जारी कर सकते हैं.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 5:04 PM IST

इस वक्त पूरी दुनिया की नजरें अमेरिका पर लगी हुई हैं, जहां डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. सत्ता संभालने के कुछ घंटों के भीतर ही वे पुराने कार्यकाल में लिए हुए बहुत से आदेश निरस्त करते हुए नए एग्जीक्यूटिव आदेश जारी करेंगे. पिछले टर्म में ट्रंप ने पूरे चार सालों में 220 आदेश निकाले थे, जबकि इस बार वे पहले ही दिन सैकड़ा-भर ऑर्डर्स की बात कर रहे हैं. 

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क्या है एग्जीक्यूटिव ऑर्डर, कैसे करता है काम 

यह वो ताकत है, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति बिना कैबिनेट की मंजूरी के जारी कर सकता है. ये संविधान और फेडरल लॉ पर काम करता है. हालांकि, राष्ट्रपति एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के जरिए सारे फैसले नहीं ले सकता, बल्कि इसकी सीमा होती है. ऐसे ऑर्डर केवल उन्हीं मामलों पर लागू हो सकते हैं, जिसपर संविधान में पहले से कोई बात हो. अगर आदेश किसी कानून के खिलाफ जाए, तो कांग्रेस इसे चुनौती दे सकती है. वहीं बड़े फैसले जैसे बजट या फॉरेन पॉलिसी जैसी बातें भी अकेले राष्ट्रपति तय नहीं कर सकता. आमतौर पर ये आदेश ऐसे कामों के लिए जारी होता है, जो अर्जेंट हों.

संविधान में नहीं है इसकी कोई बात

मजेदार बात ये है कि इस ऑर्डर का अमेरिकी संविधान में कोई जिक्र नहीं. खुद कांग्रेस रिसर्च सर्विस ये बात मानती है. 18वीं सदी के आखिर-आखिर में राष्ट्रपतियों के पास कुछ अधिकार आए, जो बने रहे. लीडर को कई बार आकस्मिक फैसले लेने होते हैं, ये अधिकार ऐसे ही वक्त के लिए था, जब किसी से सलाह लेने या पूरी प्रोसेस फॉलो करने का समय न हो, और आनन-फानन फैसला लेना पड़े. लेकिन जल्द ही ये पद के साथ आने वाली ताकत बन गया. 

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ज्यादातर राष्ट्रपति चुनावों के दौरान कई वादे कर देते हैं. उनमें से ही कुछ वादों को पूरा करने के लिए वे इसका सहारा लेते रहे. जैसे पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कांग्रेस से फेडरल कर्मचारियों की न्यूनतम तनख्वाह बढ़ाने की बात की. जब कांग्रेस ने इसपर ध्यान नहीं दिया तो ओबामा ने खुद ही एग्जीक्यूटिव ऑर्डर देते हुए मिनिमम पगार बढ़ा दी. 

क्या बाकी राष्ट्रपति भी ऐसा करते रहे

यह प्रशासनिक एजेंसियों के लिए एक तरह का निर्देश होता है कि वे फलां मुद्दे पर एक्शन लें. लगभग सारे ही राष्ट्रपति अपनी लोकप्रियता या जरूरत के लिए ऐसे आदेश इश्यू करते रहे, सिवाय विलियम हैनरी हैरिसन के, पद पर आने के महीनेभर के भीतर जिनकी मौत हो गई. वहीं फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने सबसे ज्यादा लगभग पौने चार हजार एग्जीक्यूटिव ऑर्डर निकाले थे. दूसरी ओर, जो बाइडेन के नाम पर पहले दिन सबसे ज्यादा आदेश देने का रिकॉर्ड रहा. उन्होंने 22 ऐसे ऑर्डर दिए थे.

अगर ट्रंप पहले दिन यानी आज 22 से ज्यादा जगहों पर दस्तखत कर दें तो वे पहले दिन और पहले हफ्ते में सबसे ज्यादा ऑर्डर निकालने वाले पहले राष्ट्रपति बन जाएंगे. पिछले कार्यकाल में भी पहले रोज उन्होंने एक ही ऑर्डर पर काम किया था. 

क्या एग्जीक्यूटिव ऑर्डर को पलटा भी जा सकता है

हां . राष्ट्रपति खुद अपने ही दिए ऑर्डर को बदल सकते हैं, या उनके बाद आने वाले लीडर ये कर सकते हैं. ट्रंप और बाइडेन को ही लें तो ट्रंप के कार्यकाल में लिए फैसलों को बाइडेन बदलते रहे. अब ट्रंप भी यही कर सकते हैं. 

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कांग्रेस के पास भी इसका अधिकार है, लेकिन सीमित ढंग से. ऑर्डर जारी होने के बाद वो इसपर एक्शन लेने में रोड़े अटका सकती है, जैसे फंड जारी करने से मना कर दे. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट भी राष्ट्रपति के आदेश को रोकने की कोशिश कर सकती है लेकिन आमतौर पर ऐसे प्रयास होते नहीं हैं, बल्कि अंदरुनी ढंग से अपना मैसेज राष्ट्रपति तक पहुंचाया जाता है ताकि वो खुद ही एक्शन लें. 

ट्रंप कौन से आदेश दे सकते हैं 

माना जा रहा है कि शपथ ग्रहण और लंच के तुरंत बाद वे बहुत से एग्जीक्यूटिव आदेशों पर दस्तखत करेंगे. अलजजीरा ने एसोसिएटेड प्रेस के हवाले से कहा कि इनकी संख्या 100 या इससे ऊपर भी जा सकती है. इसमें सबसे बड़ी हलचल इमिग्रेंट्स को डिपोर्ट किए जाने को लेकर है. ट्रंप खुद कहते रहे कि वे आते ही घुसपैठियों को बाहर भेज देंगे.

इसके अलावा क्लाइमेट चेंज पर कई पॉलिसीज भी बदली जा सकती हैं, जिनपर बाइडेन ने मंजूरी दी थी. ट्रंप के पास फेडरल कोर्ट में दोषी माने जा चुके लोगों को माफी देने का भी विकल्प है. साल 2021 में ट्रंप के समर्थकों ने बाइडेन की जीत पर काफी हो-हल्ला किया था. यहां तक कि ये गुस्सा हिंसक प्रदर्शन में बदल गया. अनुमान है कि ट्रंप के शुरुआती एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स में इन लोगों को माफ करना भी शामिल रहेगा. 

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