
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल में पहली बार कल संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने घरेलू से लेकर वैश्विक स्तर के घटनाक्रमों पर बात की. ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद से अमेरिका की विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. जाने-माने पत्रकार और जियो पॉलिटिकल एक्सपर्ट फरीद जकारिया ने इसका विश्लेषण किया है.
इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में जकारिया ने कहा कि विदेश नीति को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का रुख कारोबार की दृष्टि से जुड़ा हुआ है. वह अपने फायदे के हिसाब से एजेंडा तैयार करते हैं.
यह पूछने पर कि क्या वैश्विक नेता ट्रंप के एक्शन से सहज नहीं हैं? इस पर जकारिया ने कहा कि ट्रंप अपने फायदे के हिसाब से एजेंडा तय करते हैं और अपनी सहूलियत के हिसाब से समय-समय पर उन्हें बदलते रहते हैं. ट्रंप चूंकि कारोबारी मिजाज के शख्स हैं तो वह हमेशा यह देखते हैं कि उन्हें कहां से लाभ हो रहा है ताकि वह अपने हिसाब से वहां दबाव बना सकें. ट्रंप सामने वाले को हार या जीत का ऑप्शन नहीं देते. वह हमेशा जीतते हैं और सामने वाला हारता है.
फरीद जकारिया ने कहा कि ट्रंप जानबूझकर देश की फॉरेन पॉलिसी को बिजनेस टेबल में तब्दील कर देते हैं. उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं, एक अच्छ कारोबारी को पता होता है कि सफल बिजनेस का तरीका लेन-देन नहीं बल्कि रिश्ते होते हैं.
जकारिया ने कहा कि एक कारोबारी के तौर पर ट्रंप ने इस तरह से काम किया है कि दूसरे पक्ष को इतना ठगा हुआ महसूस हुआ कि वे फिर कभी उनके साथ व्यापार नहीं करना चाहते. ट्रंप अंतरराष्ट्रीय मामलों में भी यही कर रहे हैं.
बता दें कि ट्रंप ने 20 जनवरी को आधिकारिक तौर पर कामकाज संभाल लिया था. इसके बाद से वह लगातार एक फैसले ले रहे हैं, जिनसे दुनिया असहज हो रही है. उन्होंने कनाडा और मेक्सिको पर 25 फीसदी टैरिफ लगा दिया है. चीन पर 20 फीसदी टैरिफ लगाया गया है. इसके साथ ही दो अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने जा रहे हैं.