
अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभाले डोनाल्ड ट्रंप को अभी एक महीना ही हुआ है. लेकिन इस एक महीने में उन्होंने दुनियाभर की सियासत में भूचाल ला दिया है. उन्होंने कभी कनाडा और गल्फ ऑफ मेक्सिको को अमेरिका में शामिल करने का शिगुफा छेड़ा तो कभी ट्रेड और टैरिफ के बहाने चीन से लेकर पनामा तक में हलचल ला दी. लेकिन अब लगने लगा है कि ट्रंप को भारत से कुछ दिक्कत है. वह पिछले एक हफ्ते में रोजाना भारत का नाम लेकर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. लेकिन सवाल है क्यों?
तारीख थी 16 फरवरी. एलॉन मस्क के DOGE ने लिस्ट जारी कर 15 तरह के प्रोग्राम्स की फंडिंग रोक दी. इनमें भारत को दी जाने वाली 182 करोड़ रुपए की फंडिंग भी रद्द कर दी गई. ट्रंप ने 19 फरवरी को इसकी जानकारी सार्वजनिक करते हुए कहा था कि हम भारत को 21 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 182 करोड़ रुपये क्यों दे रहे हैं? उनके (भारत) पास बहुत पैसा है. भारत दुनिया के सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों में है. मैं भारत और उनके प्रधानमंत्री का सम्मान करता हूं. लेकिन 21 मिलियन डॉलर क्यों?
भारत को लेकर ट्रंप के इस बयान से विवाद खड़ा हो गया. ट्रंप इस पूरी कॉन्फ्रेंस में बार-बार कहते रहे कि अमेरिका भारत को चुनाव के दौरान वोटर टर्नआउट बढ़ाने के नाम पर 182 करोड़ रुपये क्यों दें?
हालांकि, भारत को लेकर ट्रंप का बयान यहीं नहीं थमा. उन्होंने अगले दिन यानी 20 फरवरी को फिर कहा कि भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के नाम पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन का प्लान 182 करोड़ रुपये देकर किसी और को चुनाव जिताने का था.
ट्रंप ने फ्लोरिडा के मियामी में FII Priority Summit को संबोधित करते हुए कहा था कि हमें भारत में इतना पैसा खर्च क्यों करना है? वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए दो करोड़ डॉलर? मुझे लगता है कि वे (बाइडेन प्रशासन) भारत में किसी और को जिताना चाहते थे. हमें इस बारे में भारत सरकार से बात करनी होगी.
उन्होंने कहा कि मेरे राष्ट्रपति बनने से पहले सरकारी खजाने का मनमानी तरीके से इस्तेमाल हो रहा था. वोटर टर्नआउट के नाम पर अमेरिकी संस्था यूएसएड ने भारत को वोटर टर्नआउट के लिए 182 करोड़ रुपये का फंड दिया. अमेरिकी चुनाव में रूस ने 2000 डॉलर का इंटरनेट विज्ञापन दिया तो इसे मुद्दा बना दिया गया. लेकिन जबकि अमेरिका, भारत को बड़ी रकम दे रहा था.
अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत को लेकर बयान देने का सिलसिला यहीं नहीं रुका. उन्होंने 21 फरवरी को एक बार फिर अमेरिकी फंडिंग को लेकर भारत को घेरा. भारत को लेकर ट्रंप का तीसरे दिन तीसरा बयान था. उन्होंने वॉशिंगटन में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वोटर टर्नआउट के नाम पर 182 करोड़ रुपये की फंडिंग पर फिर बयान दिया. ट्रंप ने कहा कि यूएसएड से भारत को पैसे क्यों भेजे जा रहे थे जबकि हमारे सामने ही कई समस्याएं हैं. उन्होंने कहा कि किसी को नहीं पता कि इस फंड का इस्तेमाल कैसे हुआ. ये असल में एक तरह की घूस स्कीम थी. इस फंड के खर्च के बारे में कुछ पता ही नहीं है.
डोनाल्ड ट्रंप ने 22 फरवरी को भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की बात की. उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मेरे दोस्त पीएम मोदी और भारत को वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए 182 करोड़ रुपये का फंड दिया था. भारत और चीन पर अब जल्द ही रेसिप्रोकल टैरिफ भी लगाया जाएगा.
लेकिन हैरानी बात है कि 23 फरवरी को वॉशिंगटन में कंजरवेटिव कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ट्रंप ने 182 करोड़ रुपये की इस फंडिंग की रकम 26 करोड़ रुपये कम बताई. उन्होंने कहा कि USAID से भारत को वोटर टर्नआउट के नाम 156 करोड़ रुपये क्यों दिए गए. भारत को पैसे देने की कोई जरूरत नहीं है. असल में भारत को पैसे नहीं चाहिए.
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भारत अमेरिका का फायदा उठाता है. भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाला देश है. भारत अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर 200 फीसदी टैरिफ लगाता है और हम भारत को वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए फंड दे रहे हैं.
जब ट्रंप ने कहा था BRICS is Dead...
ट्रंप को सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि BRICS से भी दिक्कत है, भारत जिसका सदस्य है. डोनाल्ड ट्रंप हाल फिलहाल में कई बार ब्रिक्स पर भड़ास निकाल चुके हैं. ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर पोस्ट कर कहा था कि ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं और हम सिर्फ तमाशबीन बने हुए हैं लेकिन अब ये नहीं चलेगा. हम चाहते हैं कि ये हॉस्टाइल देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए ना तो नई ब्रिक्स करेंसी बनाएं और ना ही किसी अन्य करेंसी को सपोर्ट करें. अगर ऐसा नहीं किया गया तो ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा.
ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका चाहता है कि ब्रिक्स देश यह समझ लें कि वे अमेरिकी डॉलर को रिप्लेस नहीं कर सकते. अगर ऐसा होता है कि ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा.
बता दें कि पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें सामने आ रही थीं कि ब्रिक्स देशों अपनी करेंसी शुरू कर सकते हैं. लेकिन अब ट्रंप ने इसे लेकर ब्रिक्स देशों को खुली धमकी दे दी है.