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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रिफ्यूजियों पर बैन लगाने के लिए और सीरिया तथा छह अन्य मध्य-पूर्व व अफ्रीकी देशों के नागरिकों के वीजा को सस्पेंड करने के लिए एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन कर सकते हैं.
पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लयू बुश ने भी 11 सितंबर के आतंकवादी हमले के बाद इसी तरह की शक्ति का इस्तेमाल किया था. गौरतलब है कि ट्रंप जिन मुद्दों पर चुनाव जीतकर आए हैं उनमें शरणार्थियों का मुद्दा सबसे अहम था.
ट्रंप प्रशासन के दो अधिकारियों ने ट्रंप की आधिकारिक घोषणा से पहले योजनाओं की पुष्टि की. ट्रंप ने अपने अभियान के दौरान सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने, शरणार्थियों का प्रवाह कम करने सहित अमेरिकी आव्रजन नीतियां कड़ी करने की बात कही थी. उन्होंने मुस्लिम देशों से आने वाले लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाने की बात भी कही थी लेकिन बाद में उन्होंने नीति में बदलाव करते हुए कहा कि वह आतंक से संबंध रखने वाले देशों से आने वाले लोगों की सघन जांच करवाएंगे.
अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को राष्ट्रपति की योजना मेक्सिको से लगती दक्षिणी सीमा पर दीवार निर्माण पर केंद्रित होगी. वह इस बात पर जोर दे रहे हैं कि मेक्सिको दीवार के लिए धन दे लेकिन मेक्सिको सरकार ने इससे इनकार किया है. ट्रंप अगले सप्ताह मेक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पेना नितो से व्हाइट हाउस में मुलाकात करेंगे.
मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी संगठन घोषित करने की योजना
ट्रंप ने किसी समय गोपनीय रहे ब्लैक साइट हिरासत कार्यक्रम को बहाल करने, ग्वांतानामो बे में कारागार को खुला रखने तथा मुस्लिम ब्रदरहुड को एक आतंकी संगठन घोषित करने की भी योजना है. ट्रंप दशकों से जारी उस कार्यक्रम को रोक सकते हैं जिसके तहत अमेरिका विश्व के सर्वाधिक संवेदनशील और पीड़ित लोगों को शरण देता आया है. यह योजना मुस्लिम आप्रवासियों पर रोक लगाने की ट्रंप की चुनाव प्रचार अभियान की योजनाओं का हिस्सा है जिसके पीछे तर्क यह दिया गया था कि आतंकवाद संबंधी चिंताओं को देखते हुए इस प्रकार का कदम वांछित है.
मानवाधिकार समूहों ने की आलोचना
आव्रजन के पैरोकारों और मानवाधिकार समूहों ने इसकी कड़ी आलोचना की थी जिन्होंने इसे भेदभावकारी कदम बताया था. नेशनल इमीग्रेशन लॉ सेंटर की कार्यकारी निदेशक मारिलेना हिनकेपी ने कहा, यह सोचकर कि ट्रंप के पहले सौ दिनों को हमारे देश में शरण चाहने वाले लोगों के लिए दरवाजे बंद करने के शर्मनाक दिनों के रूप में याद किया जाएगा तो यह बेहद चिंता की बात है.