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Compete, win, be a killer... पिता के वो सबक जिसने ट्रंप को बनाया बहुत हार्ड!

पिता फ्रेड के सबक ने डोनाल्ड ट्रंप को सख्तजान और डॉमिनेटिंग बनाया. ट्रंप पर किताबें लिखने वाले लेखक कहते हैं कि पिता की थ्योरी पर यकीन कर डोनाल्ड को यह विश्वास हो गया कि दुनिया में ज़्यादातर लोग कमज़ोर होते हैं. केवल मजबूत ही सफल हो पाते हैं, अगर आप राजा बनना चाहते हैं तो आपको विनर बनना होगा.

अमेरिका नए निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जवानी के दिनों में (फोटो- AFP) अमेरिका नए निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जवानी के दिनों में (फोटो- AFP)
पन्ना लाल
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:56 AM IST

डोनाल्ड ट्रंप को जिंदगी का सबक बहुत लड़कपन में ही मिल चुका था. ये सबक देने वाले कोई और नहीं उनके पिता फ्रेड ट्रंप थे. फ्रेड ट्रंप का अपने बच्चों को साफ संदेश था- Compete, win, be a killer. यानी कि रेस लगाओ, जीतो और जीतने तक किसी भी हाल में रुको नहीं. 

अमेरिका से जर्मनी आए ट्रंप के दादा ने अमेरिकी धरती पर कठिन मेहनत से जीवन संवारा था. 1900 ईस्वी के दौरान ट्रंप के दादा ने लोगों के दाढ़ी-बाल काटे. लगभग सवा सौ साल पहले डोनाल्ड ट्रंप के दादा फ्रेडरिक क्राइस्ट ट्रंप लोअर मैनहट्टन के जिस 60 वॉल स्ट्रीट में अमीरों के बाल और दाढ़ी बनाते थे वहां आज आलीशान डायचे बैंक का हेडक्वार्टर है. लेकिन ट्रंप के दादा फ्रेडरिक ट्रंप ने अपनी जिंदगी की कहानी बदलने की ठान ली.  

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1908 में ट्रंप के दादा जी ने अपनी बचत से पहली प्रॉपर्टी खरीदी. ये प्रॉपर्टी थी क्वींस के वुडहेवन में एक दो मंजिला इमारत. अपनी कमाई बढ़ाने के लिए उन्होंने एक होटल में मैनेजरी भी की. फ्रेडरिक को प्रॉपर्टी बिजनेस में दिलचस्पी थी. उन्होंने अपना बिजनेस बदल लिया और सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद बन रहे नए अमेरिका में प्रॉपर्टी के बिजनेस में कूद गए. इस बदलाव ने उनकी जिंदगी ही बदल ही. 1908 से अबतक 117 साल गुजरे हैं. इस परिवार ने वो जायदाद, रुतबा और प्रभाव कमाया कि ट्रंप 9 साल में दूसरी बार संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बन गये हैं. 

ट्रंप की इस यात्रा में उनके पिता फ्रेड ट्रंप की शिक्षा और उनका अनुशासन अहम रहा है. डोनाल्ड ट्रम्प को बचपन से ही सिखाया गया था कि इस दुनिया में सिर्फ दो तरह के लोग होते हैं: विजेता या फिर आखिरी दम तक संघर्ष कर जीतने वाले और हारने वाले.

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डोनाल्ड ट्रंप, फोटो-एएफपी

ट्रंप को यह सबक उनके पिता फ्रेड ने दिया था, जो एक सख्त और तेज-तर्रार रियल एस्टेट डेवलपर थे. डोनाल्ड ट्रंप उस किलर इंस्टिंक्ट को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे. 

फ्रंटलाइन पत्रिका ने The Art of the Deal with Trump के सह लेखक टोनी श्वार्ट्ज के अनुसार वे पूरी तरह से आश्वस्त थे कि ट्रंप के पिता इस बात के लिए जिम्मेदार थे कि ट्रंप क्या बने? वे एक सख्त, कठोर व्यक्ति थे, जिनमें आज के शब्दों में कहें तो बहुत कम भावनात्मक बुद्धिमत्ता (emotional intelligence) थी. पिछले साल मैडिसन स्क्वायर में एक रैली के दौरान उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा था कि वे 100 परसेंट इत्मीनान हैं कि उनकी मां स्वर्ग में हैं, लेकिन पिता को लेकर वे हंडरेड परसेंट श्योर नहीं हैं. 

पिता के सबक ने ट्रंप को सख्तजान, दबंग और डॉमिनेटिंग बनाया. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार ट्रम्प के पिता फ्रेड ट्रम्प की दुनिया में, दुख या चोट दिखाना कमजोरी का संकेत था. और वे इसे कतई नापसंद करते थे. 

"ट्रम्प को हमेशा केवल एक ही बात की परवाह थी, 'मुझे जीतना है. मुझे जीतना सिखाइए." डोनाल्ड ट्रंप का जिक्र करते हुए न्यूयॉर्क मिलिट्री अकादमी में ट्रम्प के पूर्व सहपाठी जॉर्ज व्हाइट, जिन्होंने उनके साथ कई साल गुजारे हैं, ने ये बातें कही हैं. 

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फ्रेड के कठोर प्रभाव को याद करते हुए जॉर्ज व्हाइट ने कहा कि एक बार ट्रंप के मेंटर थियोडोर डोबियास ने कहा था कि उन्होंने कभी ऐसा कैडेट नहीं देखा जिसका पिता डोनाल्ड ट्रम्प से ज्यादा कठोर हो. फ्रेड ट्रम्प अपने बेटे पर नजर रखने के लिए लगभग हर सप्ताह के आखिर में उनसे मिलने आते थे. 

फ्रेड ट्रम्प ने मात्र 13 साल की उम्र में डोनाल्ड को मिलिट्री स्कूल भेजने का फैसला किया, जहां ट्रंप ने धौंस जमाने के और भी तरीके सीखे. कहने वाले तो ये भी कहते हैं कि सैनिक स्कूल में ट्रंप के पांच साल बुलिंग की ट्रेनिंग के 5 साल थे.  

ट्रम्प की जीवनी के लेखक मार्क फिशर, 'ट्रम्प रिवील्ड' कहते हैं, "डोनाल्ड ट्रम्प अपने सहपाठियों पर चिल्लाते थे, वह उन्हें धक्का देने से भी गुरेज नहीं करते थे. वह हॉस्टल की जिंदगी पर ताकत के दम पर शासन करते थे. 

द ट्रम्प्स की लेखिका ग्वेंडा ब्लेयर कहती हैं, "उन्हें यह सब बहुत पसंद था क्योंकि यहां बहुत कॉम्पीटिशन था. दूसरे बच्चे उन्हें इतना पसंद नहीं करते थे. वह लोकप्रिय नहीं थे क्योंकि वह बहुत प्रतिस्पर्धी थे. लेकिन इसी माहौल में वह आगे बढ़े. 

डोनाल्ड ट्रंप (getty image)

यह माहौल ट्रंप के पिता फ्रेड ट्रम्प की शिक्षाओं के अनुकूल भी माहौल था. ब्लेयर कहती हैं, "डोनाल्ड के पिता का अपने बच्चों के लिए स्पष्ट संदेश था, और यह लड़कों के लिए लड़कियों की तुलना में बहुत साफ था- प्रतिस्पर्धा करो, जीतो, किलर इंस्टिंक्ट लाओ. 

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ट्रम्प फैमिली में बच्चों को कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता था. पैसे खर्च करने के लिए उन्हें काम करना पड़ता था. ट्रंप को अपने भाइयों के साथ गर्मियों में काम करने की जिम्मेदारी मिलती थी. सर्दियों में जब बर्फबारी होती थी, तो उन्हें अपने अखबार पहुंचाने के लिए लिमो में जाने की अनुमति दी जाती थी. 

ट्रंप की जीवनी लिखने वाले हैरी हर्ट अपनी किताब लॉस्ट टायकून में लिखते हैं, "फ्रेड अपने लड़कों से कहा करता था "तुम एक विनर हो... तुम एक राजा हो..." पिता की थ्योरी पर यकीन कर डोनाल्ड को यह विश्वास हो गया कि दुनिया में ज़्यादातर लोग कमजोर होते हैं. केवल मजबूत लोग ही सफल हो पाते हैं, अगर आप राजा बनना चाहते हैं तो आपको विनर बनना होगा."

ट्रंप के पिता अपना साम्राज्य अपने बड़े बेटे फ्रेड जूनियर को सौंपना चाहते थे लेकिन वे बेहद भोले थे. ट्रंप कहा करते हैं कि उनके भाई की भलमनसाहत का सभी ने फायदा उठाया था. इसलिए उन्होंने तय कर लिया था कि वे 100 परसेंट परफेक्ट बनने की कोशिश करेंगे. 

ट्रंप जीवन भर अपने पिता की तरह और उनसे अलग और उनसे भी बेहतर बनने की कोशिश करते रहे. 

न्यूयॉर्क पत्रिका में पत्रकार मैरी ब्रेनर से उन्होंने कहा, "मैं हमेशा उनसे टकराते रहता था, मेरे पिता मेरा सम्मान करते हैं क्योंकि मैंने उनका विरोध किया. "

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1981 में एक साक्षात्कार में ट्रंप कह चुके हैं कि जीवन के लिए उनका मंत्र है "मनुष्य सभी जीवों में सबसे क्रूर है और जीवन, जीत या हार में समाप्त होने वाली लड़ाइयों की एक श्रृंखला है."

1987 में, जब ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की तो उनसे पूछा गया कि वह नियुक्त होना पसंद करेंगे या फिर चुनाव लड़कर जीतना उन्हें अच्छा लगेगा. 

ट्रंप ने अपने अंदाज में जवाब देकर कहा, 'यह हंटिंग है जिसे मैं मानता हूं कि मैं प्यार करता हूं.'

2020 की हार के बाद इस चुनाव में ट्रंप ने सचमुच कठिन संघर्षों से गुजरते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति पद की कुर्सी हासिल की है. याद रखें चुनाव प्रचार के दौरान उनको निशाना लगाकर मारी गई गोली कुछ ही सेंटीमीटर से चूक गई थी. 

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