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तो क्या जानलेवा हमला दिला देगा ट्रंप को जीत? जानें देश-दुनिया में राजनेताओं पर हुए अटैक ने कैसे बदला सियासी रुख

डोनाल्ड ट्रंप पर गोलीबारी करने वाले शूटर के स्कूल टाइम के दोस्त जेम्सन मायर्स के मुताबिक, वह स्कूल में एक खराब निशानेबाज था. मायर्स ने बताया, "थॉमस क्रुक ने हाई स्कूल की राइफल टीम में शामिल होने की कोशिश की, लेकिन उसे रिजेक्ट कर दिया गया और 'प्री-सीजन' सेशन के बाद वापस न आने के लिए कहा गया."

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो) अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 12:04 AM IST

अमेरिका (USA) के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर पिछले दिनों जानलेवा हमला हुआ. एक चुनावी रैली के दौरान ट्रंप पर गोलीबारी हुई, जिसमें वो बाल-बाल बच गए. शूटर के द्वारा चलाई गई गोली उनके दाहिने कान को छलनी करते हुए निकली. चुनाव के दौरान जब-जब भी किसी राजनेता पर गोली चली, उसी की राजनीतिक पार्टी को फायदा हुआ. बात चाहे अमेरिका की हो या हिंदुस्तान की. तो क्या डॉनाल्ड ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले ने उन्हें नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति पद चुनाव का विजेता बना दिया है? हमले के बाद डोनाल्ड ट्रंप की जान तो बच गई लेकिन क्या उन्हें इसका फायदा चुनाव में मिलेगा?  

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आइए जानते हैं कि इस सिलसिले में इतिहास क्या कहता है? रॉनाल्ड रीगन पर भी राष्ट्रपति रहते हुए ऐसा हमला हुआ था और वो उसके बाद चुनाव जीत गए थे. तो क्या इस लिहाज से डॉनाल्ड ट्रंप की भी जीत तय है या फिर पिक्चर अभी बाकी है?

  • 26 सितंबर 1959 में श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री सोलोमन भंडारनायके की एक बौद्ध चरमपंथी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद हुए चुनावों में उनकी पत्नी सिरिमाओ भंडारनायके चुनाव जीत गईं.
  • रॉनाल्ड रीगन 20 जनवरी 1981 को अमेरिका के राष्ट्रपति बने और 30 मार्च 1981 को उन पर हमला हो गया. इसके बाद 29 जनवरी 1984 में उन्हें बंपर जीत मिली. उन्हें 59 फीसदी पॉपुलर वोट मिले. 
  • भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को हत्या हो गई. इसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को ऐतिहासिक जीत मिली. 
  • 21 मई 1990 को राजीव गांधी की चुनाव प्रचार के दौरान हत्या कर दी गई थी. इसका फायदा कांग्रेस को मिला है और सबसे बड़ी पार्टी बनकर सरकार बनाई. 
  • श्रीलंका की पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा, 1999 में एक आतंकी हमले में बाल-बाल बची. इसका फायदा उन्हें चुनाव में मिला और वो जीत गईं.
  • ऐसे मामले में बेनजीर भुट्टो भी एक बड़ा उदाहरण हैं, जिनकी फिदायीन हमले में हत्या हुई और इनके पति चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बन गए.
  • ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के बाद चाकू मारा गया और वो चुनाव जीत गए.

लेकिन अमेरिका का इतिहास बताता है कि वहां किसी नेता पर जानलेवा हमला जीत की गारंटी नहीं है. लेकिन फिर भी इस बार के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप का पलड़ा भारी माना जा रहा है. इसकी एक बड़ी वजह अमेरिकी जनता का गुस्सा है, जो अपने देश के घटते सम्मान को लेकर बेहद खफा हैं.

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अमेरिकी लोगों को किस बात की फिक्र?

अमेरिका के लोग अपने सिस्टम पर बहुत गर्व करते हैं लेकिन अमेरिका को जिन चीजों पर गर्व है, वो खत्म होती जा रही हैं. इसलिए ये सिर्फ ट्रंप और बाइडेन का मामला नहीं रहा. ट्रंप इस वक्त लोगों की नजर में हीरो बन गए हैं. वो गोलीबारी के बाद जिस तरह उठे और उन्होंने फाइट-फाइट-फाइट चिल्लाया, इस तरह ट्रंप ने अपने समर्थकों में जोश से भर दिया.

डोनाल्ड ट्रंप को लेकर भले ही कहा जा रहा हो कि वो चुनाव जीत सकते हैं. लेकिन फिर भी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव एकतरफा नहीं माना जा रहा. डेमोक्रेटिक पार्टी बाइडेन के पीछे खड़ी है.

चुनावी माहौल के बीच बाइडेन पर उठते सवाल 

अमेरिकी चुनाव में राष्ट्रपति जो बाइडेन की उम्र और उनकी सेहत बड़ा मुद्दा बन चुकी है. वो लगातार ऐसी हरकतें कर रहे हैं, जिससे डॉनाल्ड ट्रंप को विजेता के तौर पर पेश किया जा रहा है. ट्रंप और बाइडेन के बीच पहली डिबेट के बाद CNN ने पोल किया. इसके मुताबिक 67 फीसदी दर्शकों ने माना कि ट्रंप जीतेंगे जबकि 33 फीसदी ने जो बाइडेन के जीतने की संभावना जताई. 

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अगर 2020 में हुई बहस की बात करें तो, CNN पोल में 53 फीसद दर्शकों ने बाइडेन की जीत का दावा किया था, जबकि ट्रंप पर सिर्फ 39 फीसदी ने ही भरोसा जताया था. डिबेट के बाद दर्शकों ने कहा कि उन्हें देश का नेतृत्व करने की बाइडेन की क्षमता पर भरोसा नहीं है. डिबेट से पहले किए पोल में भी 55 फीसदी वोटर्स को उम्मीद थी कि ट्रंप, बाइडेन से बेहतर प्रदर्शन करेंगे. 

डिबेट में जो बाइडेन अक्सर बड़बड़ाते नजर आए. वहीं दूसरी ओर डॉनाल्ड ट्रंप ज्यादा जोश में और मजबूत नजर आए इसके बाद भी जो बाइडेन की तरफ से गलतियां बंद नहीं हुईं. जब ट्रंप से ये पूछा गया कि उन्हें उपराष्ट्रपति हैरिस को लेकर क्या चिंताएं होंती अगर वो उनकी जगह चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ चुनाव लड़तीं इस सवाल का जवाब देते हुए भी बाइडेन ऐसा कुछ कह गए जिसने उनकी पार्टी को शर्मिंदा कर दिया.

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मौत से बाल-बाल बचने के बाद डॉनाल्ड ट्रंप न्यूजर्सी में गोल्फ खेलते दिखे. कोई भी समझ सकता है कि जानलेवा हमले के बाद किस तरह का मानसिक माहौल किसी का हो सकता है. लेकिन इस सबके बावजूद ट्रंप न सिर्फ मंच पर दोबारा भाषण देने उठे, वो बहादुर निकले. वोटर ये सबकुछ देख रहा है. खासकर वो मतदाता जिन्होंने अभी वोट देने का फैसला नहीं किया है, वो ट्रंप के प्रति आकर्षित होगा.

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अमेरिका हो या फिर भारत, नेताओं पर हमले के बाद उनकी पार्टी को जनता की खूब सहानुभूति मिलती रही है. अब देखना ये है कि क्या अमेरिका में इतिहास खुद को दोहराता है या नहीं.

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'वह एक खराब शूटर था...'

ट्रंप पर गोली चलाने वाला शख्स का नाम थॉमस मैथ्यू क्रुक्स है, जिसकी उम्र 20 साल है. जानकारी के मुताबिक, थॉमस मैथ्यू अपने स्कूल टाइम में राइफल टीम में नहीं शामिल हो सका था और उसे रिजेक्ट कर दिया गया था. 

थॉमस मैथ्यू के स्कूल टाइम के दोस्त जेम्सन मायर्स के मुताबिक, वह स्कूल में एक खराब निशानेबाज था. ABC न्यूज से बात करते हुए मायर्स ने बताया कि क्रुक्स ने हाई स्कूल की राइफल टीम में शामिल होने की कोशिश की थी, लेकिन उसे रिजेक्ट कर दिया गया था और 'प्री-सीजन' सेशन के बाद वापस न आने के लिए कहा गया.

मायर्स ने आगे बताया, "वह सिर्फ टीम में जगह नहीं बना पाया. उसे वापस न आने के लिए कहा गया क्योंकि उसका शॉट बहुत खराब था. उसे खतरनाक माना गया था."

नाम न बताने की शर्त पर, टीम के एक मेंबर ने ABC न्यूज को बताया कि एक राय थी कि क्रुक्स 'वास्तव में राइफल टीम के लिए फिट नहीं था."

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हालांकि, स्कूल डिस्ट्रिक्ट ने कहा कि क्रुक्स के राइफल टीम में होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. स्कूल डिस्ट्रिक्ट ने कहा कि क्रुक्स 'कभी रोस्टर में नहीं दिखाई दिया.' क्रुक्स क्लेयरटन स्पोर्ट्समेन क्लब नाम के एक लोकल शूटिंग क्लब का हिस्सा था.

'वह एक अच्छा आदमी था...'

मायर्स ने क्रुक्स के बारे में आगे बताते हुए कहा कि वह 'सोशली रिजर्व बंदा था' और उसके पास 'बहुत ज्यादा दोस्त नहीं थे.' क्रुक्स को एक दोस्त के रूप में याद करते हुए, मायर्स ने कहा, "मैं जितना जानता था, वह एक बहुत अच्छा आदमी था."

बता दें कि एआर-स्टाइल राइफल से लैस क्रुक्स ने एक बिल्डिंग की छत से गोली चलाई, जो ट्रंप के मंच से लगभग 140 मीटर दूर थी. उसकी गोली ट्रंप के छूकर निकल गई और सीक्रेट सर्विस एजेंट्स ने उसे गोली मार दी.

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आजतक ब्यूरो

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