
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कुछ समय पहले यूक्रेन से दुर्लभ खनिजों और महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों को लेकर एक समझौता करना चाहते थे. अमेरिकी मदद के दबाव में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की इसके लिए राजी भी हो गए थे लेकिन अब ट्रंप ने यूक्रेन से एक ऐसे समझौते की मांग कर दी है जिससे यूक्रेन को बड़ा झटका लगने वाला है. ट्रंप नए समझौते में यूक्रेन के सभी प्राकृतिक संसाधनों पर लगभग पूर्ण नियंत्रण चाहते हैं और बदले में यूक्रेन को कोई सुरक्षा गारंटी भी नहीं मिलने वाली.
फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप अब न केवल यूक्रेन के महत्वपूर्ण खनिजों पर लगभग पूर्ण नियंत्रण चाहते हैं बल्कि वो यूक्रेन के तेल और गैस सहित उसके सभी ऊर्जा संसाधनों पर भी नियंत्रण चाहते हैं.
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि ट्रंप प्रशासन ने खनिज समझौते के लिए नया प्रस्ताव पेश किया है, हालांकि, उन्होंने इसकी बारीकियों पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
जेलेंस्की ने बस इतना कहा कि ट्रंप चाहते हैं कि समझौते पर जल्दबाजी में हस्ताक्षर किए जाएं. जेलेंस्की ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था, 'पहले, एक फ्रेमवर्क समझौता था जो किए एक पूर्ण समझौते में बदला गया. अब अमेरिका पक्ष ने तुरंत एक बड़े समझौते का प्रस्ताव रखा है.'
ट्रंप का कहना है कि रूस के साथ युद्ध में अमेरिका ने यूक्रेन को अरबों डॉलर दिए हैं और इस पैसे के बदले में यूक्रेन से उसके प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण कर लिया है.
यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों पर भी नियंत्रण चाहते हैं ट्रंप
ट्रंप यूक्रेन के परणाणु ऊर्जा संयंत्रों को भी नियंत्रित करने की इच्छा जता चुके हैं लेकिन जेलेंस्की का कहना है कि देश के परमाणु संयंत्र किसी भी समझौते में शामिल नहीं हैं.
ट्रंप और जेलेंस्की 28 फरवरी को ही व्हाइट हाउस में महत्वपूर्ण खनिजों पर नियंत्रण के समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. दरअसल, जेलेंस्की की ट्रंप और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से कहा-सुनी हो गई जिस कारण उन्हें व्हाइट हाउस से निकाल दिया गया.
पुराने समझौते में अब ट्रंप ने विस्तार किया है. रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच पहले हुए खनिज समझौते के उलट, ट्रंप अब यूक्रेन के सभी प्राकृतिक संसाधनों से फायदा चाहते हैं, जिनमें महत्वपूर्ण और दुर्लभ पृथ्वी खनिज, तेल और गैस शामिल हैं.
पहले जिस समझौते पर सहमति बनी थी, उसमें केवल भविष्य के प्रोजेक्ट्स से होने वाले लाभ को ही शामिल किया गया था लेकिन अब ट्रंप चाहते हैं कि यूक्रेन अपनी सरकारी और निजी सभी प्रोजेक्ट्स से होने वाले लाभ को अमेरिका के साथ साझा करे.
ट्रंप चाहते हैं कि ऐसे प्रोजेक्ट्स से होने वाली आय को बांटने के लिए एक संयुक्त निवेश कोष की स्थापना की जाए. इस कोष की देखरेख के लिए बनने वाले पांच सदस्यीय बोर्ड में अमेरिका तीन सदस्यों को नियुक्त करना चाहता है. इससे अमेरिका को कोष के कामकाज पर नियंत्रण और वीटो पावर अपनेआप मिल जाएगा.
खनिज, तेल और गैस के अतिरिक्त, नए समझौते में इनकी माइनिंग के लिए सड़क, रेलवे, पाइपलाइन, बंदरगाह और रिफाइनरियों जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को भी शामिल किया जाएगा.
अमेरिका को इस कोष से 4 प्रतिशत प्रीमियम पर रॉयल्टी मिलेगी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर प्राथमिकता के अधिकार बरकरार रहेंगे. ट्रंप के यूक्रेन को दिए गए प्रस्ताव को लेकर कहा जा रहा है कि अमेरिका यूक्रेन को आर्थिक रूप से अपना उपनिवेश बना रहा है. माना जा रहा है कि यूक्रेन रूस के साथ युद्ध विराम में अधिकतम रियायतें हासिल करने के लिए ये समझौता करने को राजी हो रहा है.