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अमेरिका में 2024 में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं, जिसके लिए चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपनी दावेदारी का ऐलान कर दिया है. वह रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की दौड़ में हैं. लेकिन देश की सर्वोच्च कुर्सी तक पहुंचने से पहले उन्हें अपनी पार्टी के भीतर ही एक बड़ी अग्निपरीक्षा पास करनी होगी.
इसकी वजह है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया बहुत जटिल और लंबी है. यहां के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल डेमोक्रिटिक और रिपब्लिकन अपने-अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन को लेकर भी जनता के बीच जाते हैं और कई पड़ावों को पार करते हुए किसी उम्मीदवार का चयन होता है.
ट्रंप को रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद का आधिकारिक उम्मीदवार बनने के लिए अभी कुछ चरणों से गुजरना होगा. यह रास्ता आसान नहीं है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
अमेरिका का संघीय चुनाव आयोग हर चार साल में राष्ट्रपति चुनाव कराता है. अमेरिका का राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति सीधे तौर पर लोगों द्वारा नहीं चुना जाता. इनका चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज (Electoral College) के जरिए किया जाता है.
राष्ट्रपति चुनाव में उतरने के लिए उम्मीदवार को सबसे पहले किसी भी पार्टी के समर्थन के साथ अपनी दावेदारी का दस्तावेज चुनाव आयोग के समक्ष दायर करना होता है.
प्राइमरी और कॉकस चुनाव
अमेरिका की प्रमुख राजनीतिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद का दावेदार बनने के लिए हर राज्य में प्राइमरी चुनाव होते हैं. राजनीतिक दल राष्ट्रपति पद के दावेदारों की छंटनी के लिए हर राज्य में प्राइमरी चुनाव कराते हैं. कुछ राज्यों में सामान्य की तुलना में अधिक चुनाव होते हैं, जिन्हें कॉकस कहा जाता है. प्राइमरी और कॉकस चुनाव में जीत दर्ज करने वालों को दोनों पार्टियों की ओर से औपचारिक उम्मीदवार माना जाता है.
प्राइमरी राज्य स्तरीय चुनाव होते हैं, जहां पार्टी के सदस्य उन दावेदारों के लिए वोट करते हैं, जो आम चुनाव में उनका प्रतिनिधित्व कर सकें. वहीं, कॉकस एक स्थानीय बैठक है, जहां देश के किसी शहर या कस्बे के पार्टी सदस्य अपने पसंदीदा दावेदार के लिए वोट करते हैं.
नेशनल कन्वेंशंस
देश के हर राज्य में प्राइमरी और कॉकस चुनाव पूरे होने पर प्रत्येक पार्टी अपने नेशनल कन्वेंशन का आयोजन करती है, जिनमें पार्टियों की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के लिए उनके उम्मीदवार का औपचारिक तौर पर ऐलान किया जाता है. कन्वेंशन के दौरान चुने गए डेलीगेट्स पार्टी के उम्मीदवार के लिए वोट करते हैं. इसके बाद जिस दावेदार के सबसे अधिक डेलीगेट होते हैं, उन्हें पार्टी की ओर से आधिकारिक उम्मीदवार चुना जाता है. कन्वेंशन की समाप्ति ही आम चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत है.
बता दें कि हजारों की संख्या में डेलीगेट्स रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक कन्वेंशन में हिस्सा लेते हैं. आमतौर पर ये डेलीगेट्स राजनीतिक विश्लेषक, चुने गए अधिकारी या जमीनी कार्यकर्ता होते हैं.
जनरल इलेक्शन कैंपेनिंग
देश की हर पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद का आधिकारिक उम्मीदवार चुने जाने के बाद जनरल इलेक्शन कैंपेनिंग शुरू की जाती है. ये उम्मीदवार देशभर का दौरा कर मतदाताओं का समर्थन हासिल करते हैं. इस दौरान ये देश को लेकर अपने और पार्टी के विजन से लोगों को वाकिफ कराते हैं. रैलियां, डिबेट और विज्ञापन इस कैंपेन का हिस्सा होते हैं.
लाइव प्रेजेडेंशियल डिबेट
अमेरिका का अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए दोनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच टीवी डिबेट भी होती है, जिनका लाइव प्रसारण किया जाता है. बहुत हद तक ये लाइव डिबेट भी देश के अगले राष्ट्रपति के भविष्य का फैसला करती है.
जनरल इलेक्शन
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में होता है. देशभर के हर राज्य में वोट करने वाले लोग एक राष्ट्रपति और एक उपराष्ट्रपति के लिए वोट करते हैं. लेकिन असल में जब लोग अपने वोट का इस्तेमाल करते हैं तो वे इलेक्टर्स के लिए वोट कर रहे होते हैं. इलेक्टर दरअसल इलेक्टोरव कॉलेज का सदस्य होता है. इन इलेक्टर्स की नियुक्ति राज्यों द्वारा की जाती है. राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को 270 इलेक्टोरल वोट से अधिक की जरूरत होती है. कुल इलेक्टोरल वोट्स की संख्या 538 होती है.
इलेक्टोरल कॉलेज
चुनाव के दिन मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं. वोटर्स अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. अप्रत्यक्ष इसलिए क्योंकि इलेक्टर्स इलेक्टोरल कॉलेज प्रक्रिया के जरिए चुनाव करते हैं. इलेक्टोरल वोट्स जीतने वाला उम्मीदवार ही अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनता है.