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यूक्रेन का न्यूट्रल स्टेटस, यूरोप की हदबंदी और अमेरिका के लिए रेड लाइन... जंग रोकने के लिए किस फॉर्मूले पर राजी हैं पुतिन?

रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से चले आ रहे युद्ध को ट्रंप जल्द से जल्द खत्म करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने सत्ता संभालते ही रूस को धमकी भी दी है. लेकिन रूस राष्ट्रपति पुतिन की कुछ शर्तें हैं, जिन्हें पूरा किए जाने पर ही वो युद्धविराम के लिए राजी होंगे.

डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के साथ युद्ध करने के लिए रूस को धमकी दी है (Photo- Reuters) डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के साथ युद्ध करने के लिए रूस को धमकी दी है (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST

हमास और इजरायल के बीच संघर्षविराम से मध्य-पूर्व में चल रहा युद्ध तो खत्म हो गया है लेकिन दुनिया अभी भी एक बड़े युद्ध से जूझ रही है, जिसमें एक तरफ यूक्रेन और अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका समेत पूरा पश्चिमी खेमा है तो दूसरी तरफ रूस है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को शपथ ग्रहण करने के बाद धमकी दी है कि अगर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म नहीं करते हैं तो अमेरिका रूस पर भारी टैरिफ लगाएगा और पहले से लगाए प्रतिबंधों को और कड़े करेगा.

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अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकी पर प्रतिक्रिया देते हुए रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन ने कहा कि ट्रंप की धमकियों में कोई नई बात नहीं है. 

पश्चिमी प्रतिबंधों से नहीं टूटे पुतिन

फरवरी 2022 में यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू करने को लेकर अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसे अलग-थलग करने की कोशिश की है. लेकिन रूस ने पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखा है.

पश्चिमी देशों ने रूसी राजस्व के अहम स्रोत कच्चे तेल के निर्यात पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए, एक प्राइस कैप तय कर दिया कि रूस अपने कच्चे तेल को 60 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा कीमत पर नहीं बेच पाएगा.

बावजूद इसके, रूसी तेल के निर्यात में कमी नहीं आई और रूस ने एशिया के अपने अहम सहयोगियों, भारत और चीन को तेल बेचकर तेल से मुनाफा कमाना जारी रखा है. रूस ने चीन के साथ अपना व्यापार भी काफी बढ़ा दिया है. 2023 में दोनों देशों के बीच रिकॉर्ड 240 अरब डॉलर का व्यापार हुआ जो 2021 के व्यापार से 64% ज्यादा है.
 
ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के कुछ ही घंटे बाद मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से फोन पर बात की. रूस के विदेश मामलों के सलाहकार यूरी उशाकोव के अनुसार, पुतिन ने शी से कहा कि यूक्रेन के साथ किसी भी समझौते में "रूसी हितों का सम्मान किया जाना चाहिए."

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यूक्रेन से युद्ध खत्म करने के एवज में क्या चाहते हैं रूसी राष्ट्रपति?

रूस और यूक्रेन का युद्ध 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ था और जल्द ही इस युद्ध को तीन साल हो जाएंगे. पुतिन युद्ध खत्म करने के एवज में क्या चाहते हैं, इसे जानने के लिए हमें पहले यह समझना होगा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत क्यों हुई-

पुतिन ने यूक्रेन के साथ युद्ध का ऐलान करते हुए कहा था कि यह रूस का 'स्पेशल मिलिटरी ऑपरेशन' है जिसका मकसद शांति कायम करना है. साल 2014 में रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस समर्थित विद्रोहियों ने यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में लुहांस्क और दोनेत्स्क पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद से विद्रोहियों और यूक्रेन की सेना के बीच लगातार लड़ाइयां हुईं. पुतिन ने 2022 में युद्ध की शुरुआत में कहा था कि अगर यूक्रेन ने इन क्षेत्रों में युद्ध की कार्रवाई बंद नहीं तो युद्ध के लिए वो ही जिम्मेदार होगा.

इधर, यूक्रेन ने रूस से तनातनी के बीच अमेरिका और पश्चिमी देशों से अपनी करीबी भी बढ़ा ली. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की चाहते थे कि उनका देश पश्चिमी देशों के रक्षा संगठन नेटा का सदस्य बन जाए. यूरोपीय यूनियन समेत अन्य पश्चिमी संस्थाओं से भी वो करीबी बढ़ा रहे थे जिसे लेकर पुतिन चिढ़ गए. सोवियत संघ के दौर में यूक्रेन रूस का ही हिस्सा था और यूक्रेन की संस्कृति रूस के काफी करीब रही है. इसे लेकर पुतिन नहीं चाहते कि यूक्रेन पश्चिम का 'कठपुतली' बने. 

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यूक्रेन की तटस्थतता चाहते हैं पुतिन

पुतिन ने इन्हीं सब कारणों से यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू किया. पुतिन युद्ध खत्म करने के लिए यूक्रेन और बाकी पश्चिमी देशों की गारंटी चाहते हैं यूक्रेन नेटा का हिस्सा नहीं बनेगा. पुतिन का ये भी कहना है कि यूक्रेन अपना सैन्यीकरण बंद करे और रूस विरोधी किसी भी गुट में शामिल न हो.

पिछले साल नवंबर में जब डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल हुई तब उन्होंने कहा था कि वो आते ही रूस-यूक्रेन युद्ध जल्द खत्म करा देंगे.

5 नवंबर को ट्रंप की जीत के ठीक बाद 7 नवंबर को पुतिन ने अमेरिका और पश्चिमी देशों पर निशाना साधते हुए कहा था, 'अगर तटस्थतता नहीं रहेगी तो रूस और यूक्रेन के बीच अच्छे पड़ोसी वाले संबंधों की कल्पना करना बेहद मुश्किल है. क्योंकि इसका मतलब यह होगा कि यूक्रेन को लगातार गलत हाथों में एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाएगा और इससे रूसी संघ के हितों को नुकसान पहुंचेगा.'

इसके कुछ दिनों बाद रूस के पांच पूर्व और वर्तमान अधिकारियों ने एक अखबार से बातचीत में कहा था कि रूस कुछ शर्तों पर यूक्रेन के साथ युद्ध को खत्म करने के लिए राजी हो जाएगा. अधिकारियों ने कहा था कि हालांकि, रूस यूक्रेन के नेटो में शामिल होने या यूक्रेनी धरती पर नेटो सैनिकों की उपस्थिति को बर्दाश्त नहीं करेगा, लेकिन वह यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने पर चर्चा के लिए तैयार है.

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अधिकारियों ने बताया कि युद्ध खत्म करने के लिए रूस की एक शर्त ये भी है कि यूक्रेन अपनी सेना की संख्या को सीमित करे और अपने देश में रूसी भाषा के इस्तेमाल पर रोक न लगाए.

रूस यह भी आरोप लगाता रहा है कि अमेरिका और यूरोपीय देश मिलकर नेटा का विस्तार कर रहे हैं और उसके पड़ोसी देशों को गुट में शामिल कर उसे घेरने की कोशिश कर रहे हैं. रूस का आरोप है कि नेटो जॉर्जिया और यूक्रेन को अपने में शामिल कर पूर्व की तरफ से उसे घेरना चाहता है जो कि एक तरह के रूस के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है. रूस अमेरिका और पश्चिमी देशों से गारंटी चाहता है कि वो इन देशों को अपने गुट में शामिल नहीं करेंगे या फिर इन देशों में अपनी सेनाओं की तैनाती नहीं करेंगे.

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