
तजाकिस्तान जाकर भारत के कई दर्जन लोग बुरी स्थिति में फंस गए हैं. वे भारत की सरकार से वतन वापसी के लिए गुहार लगा रहे हैं. ये लोग एजेंट के जरिए नौकरी करने तजाकिस्तान गए थे. तजाकिस्तान से कुछ लोगों ने बताया कि करीब 200 लोग यहां फंसे हैं और इनमें से ज्यादातर ड्राइवर हैं. ये लोग यूपी, बिहार, झारखंड के रहने वाले हैं.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड के कम से कम 36 मजदूर पिछले दो महीने से यहां फंसे हुए हैं. हजारीबाग के डिप्टी कमिश्नर नैंसी सहाय ने कहा- हमें इन मजदूरों के कई रिश्तेदारों से शिकायत मिली हैं. इनके रिश्तेदारों ने बताया कि तजाकिस्तान में फंसे ये लोग बंधुआ मजदूर के तौर पर मजबूरन काम कर रहे हैं.
इन लोगों का कहना है कि तजाकिस्तान पहुंचते ही धोखे का सामना करना पड़ा. इन लोगों को तय वादे के मुताबिक सुविधाएं नहीं मिलीं. ड्राइवरों से वो काम करवाए जो उन्हें पहले से नहीं बताए गए थे. ये सभी ड्राइवर बेहद ठंड में काम कर रहे हैं. कई बार तो यहां का तापमान माइनस में पहुंच जाता है. इन ड्राइवरों के बनाए हुए कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
इन ड्राइवरों में से कुछ ने aajtak.in से बात की और कहा कि कैसे भी करके हमें वापस बुला लिया जाए. यहां रहना मुश्किल हो गया है. हमारी हालत बद से बदतर होती जा रही है. इन लोगों ने केंद्र सरकार, विदेश मंत्रालय, यूपी सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है. करीब 60 ड्राइवरों ने मोबाइल नंबर के साथ लिस्ट भी शेयर की है.
यूपी के देवरिया जिले से ताल्लुक रखने वाले मैनुनदीन अहमद भी उन ड्राइवरों में शामिल हैं, जो तजाकिस्तान के रोगुन में फंसे हुए हैं. ड्राइवरों का आखिरी ग्रुप 16 जनवरी को आया था.
मैनुनदीन ने कहा- करीब 200 ड्राइवर थे. इनमें से कुछ भारत चले गए हैं. लेकिन, हम लोगों की कब वापसी होगी? कुछ पता नहीं हैं. हम तजाकिस्तान की TGEM कंपनी में काम करने के लिए आए थे.
मैनुनदीन के साथ इब्राहिम, देवी प्रसाद, अजीत कुमर राय, फिरोजशाह, पवन कुमार, अरविंद यादव, शुभनारायण चौबे समेत कई लोग हैं.
मैनुनदीन ने आगे बताया- यहां आने के बाद हमें एक ही तरह का खाना (गोभी और चावल ) दिया जा रहा है. पानी की व्यवस्था नहीं हैं. बर्फ के पिघलने के बाद जो पानी बन रहा है, उससे प्यास बुझानी पड़ रही है.
मैनुनदीन ने यह भी दावा किया कि यहां आकर पता चला कि उन्हें पहाड़ी रास्ते में गाड़ी चलानी है. अगर कोई नुकसान हो रहा है तो पैसे हमारी सैलरी से काटे जा रहे हैं. कंपनी ने उनका इंश्योरेंस भी नहीं करवाया है.
एंबेसी ने दिया था आश्वासन
मैनुनदीन कहा कि जब उनके मामले के बारे में तजाकिस्तान में भारत में दूतावास को पता चला तो वहां के अधिकारी 8 फरवरी को यहां आए थे. उन्होंने कंपनी के एचआर से भी बात की थी. आश्वासन दिया गया कि हमारी वतन वापसी हो जाएगी. पर अभी तक ऐसा नही हो पाया है.
लाखों रुपए खर्च कर पहुंचे विदेश, सैलरी के नाम पर धोखा
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में इन ड्राइवरों ने दावा किया कि ज्यादातर लोग 1 लाख रुपए से ज्यादा पैसे खर्च कर विदेश पहुंचे हैं. इन लोगों ने कहा कि 500 अमेरिकी डॉलर देने की बात की गई थी, लेकिन सैलरी भी स्थानीय मुद्रा में दी जा रही है.