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तुर्की में जैसा भूकंप आया, वैसा हर साल दर्जनों बार आता है... जानें ऐसी स्थिति में कैसे बचें?

तुर्की और सीरिया में सोमवार और मंगलवार को आए भूकंप से तबाही जारी है. मरने वालों की संख्या आठ हजार का आंकड़ा पार कर गई है. अभी ये संख्या और बढ़ने की आशंका है. बहरहाल, तुर्की में जैसा भूकंप आया है, वैसा हर साल दर्जनों बार आता है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि भूकंप जैसी स्थिति में कैसे बचा जा सकता है?

तुर्की में आए भूकंप के बाद तबाही का मंजर. (फाइल फोटो- Reuters) तुर्की में आए भूकंप के बाद तबाही का मंजर. (फाइल फोटो- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST

तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से मरने वालों की संख्या आठ हजार के पार चली गई है. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने 10 प्रांतों में तीन महीने के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी है. 

तुर्की के दक्षिण में सीरिया सीमा के पास गाजियांटेप में सोमवार को जोरदार भूकंप आया था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 थी. इसके 9 घंटे बाद 7.5 की तीव्रता का दूसरा भूकंप आया था. इसके बाद दो बार और भूकंप के झटके महसूस किए गए. एक की तीव्रता 6 थी और दूसरे की 5.9.

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करीब आठ दशकों बाद तुर्की में इतना भयानक भूकंप आया है. इससे पहले 1939 में भी 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था. उसमें 32 हजार 700 लोग मारे गए थे. 

सोमवार को आया ये भूकंप इतना खतरनाक था कि इसने तुर्की को 10 फीट खिसका दिया. ऐसा दावा दुनिया के कई वैज्ञानिकों ने किया है. 

पर क्या आप जानते हैं कि तुर्की में जैसा भूकंप आया है, वैसे हर साल दुनिया में कई बार आते हैं. भूकंप पर नजर रखने वाली अमेरिकी संस्था USGS का डेटा बताता है कि 2021 में 7 या उससे ज्यादा की तीव्रता के 19 भूकंप आए थे. इनमें से तीन भूकंप की तीव्रता को 8 से भी ज्यादा थी. 

USGS के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल तकरीबन 20 हजार बार धरती कांपती है. यानी, हर दिन औसतन 55 बार. संस्था का अनुमान है कि हर साल 16 बड़े भूकंप आते हैं. बड़े भूकंप यानी जिनकी तीव्रता 7 या उससे ज्यादा हो. 

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कितनी तीव्रता कितनी खतरनाक?

कोई भूकंप कितना खतरनाक है? इसे रिक्टर स्केल पर मापा जाता है. भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा खतरनाक होता है. 

- 0 से 1.9 की तीव्रता वाले भूकंप का पता सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही चलता है.

- 2 से 2.9 की तीव्रता का भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है.

- 3 से 3.9 की तीव्रता का भूकंप आने पर ऐसा लगता है जैसे मानो बगल से कोई ट्रक गुजर गया हो.

- 4 से 4.9 की तीव्रता के भूकंप में खिड़कियां टूट सकतीं हैं. दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं.

- 5 से 5.9 की तीव्रता वाले भूकंप में घर का फर्नीचर हिल सकता है.

- 6 से 6.9 की तीव्रता वाला भूकंप इमारतों की नींव को दरका सकता है, ऊपरी मंजिलों को नुकसान पहुंच सकता है.

- 7 से 7.9 की तीव्रता का भूकंप आने पर इमारतें ढह जातीं हैं. जमीन के अंदर पाइप लाइन फट जातीं हैं.

- 8 से 8.9 की तीव्रता के भूकंप में इमारतों के साथ-साथ बड़े-बड़े पुल भी गिर सकते हैं.

- 9 या उससे ज्यादा की तीव्रता का भूकंप आने पर जमकर तबाही मचती है. कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती हिलती हुई दिखाई देगी. समंदर नजदीक हो तो सुनामी आ सकती है. 

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तुर्की में सोमवार को 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था. (फाइल फोटो-AP)

क्यों आते हैं भूकंप?

पृथ्वी के अंदर का भाग अलग-अलग प्लेटों से मिलकर बना है. इन्हें 'टेक्टोनिक प्लेट' कहा जाता है. पृथ्वी के अंदर ऐसी सात प्लेटें हैं. इनमें से हर प्लेट की मोटाई लगभग 100 किलोमीटर होती है.

अक्सर ये प्लेटें खिसकती रहतीं हैं और पास की प्लेटों से घर्षण होता है. कभी-कभी ये घर्षण इतना बढ़ जाता है कि एक प्लेट दूसरी के ऊपर चढ़ जाती है, जिससे सतह पर हलचल महसूस होती है. 

आमतौर पर 5 से कम तीव्रता वाले भूकंप कम नुकसान पहुंचाने वाले होते हैं. 5 या उससे ज्यादा की तीव्रता वाले भूकंप में नुकसान हो सकता है.

जापान के तट पर 2011 में 9 की तीव्रता का भूकंप आया था. इस वजह से यहां सुनामी की लहरें उठी थीं, जिससे और तबाही मची थी. इस भूकंप में करीब 20 हजार लोग मारे गए थे. इससे पहले 2006 में इंडोनेशिया में भी 9 की तीव्रता का भूकंप आया था और उसमें 5,700 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.

भारत में अब तक चार बार 8 या उससे ज्यादा की तीव्रता का भूकंप आया है. पहला- 1897 में शिलॉन्ग में, दूसरा- 1905 में कांगड़ा में, तीसरा- 1934 में बिहार-नेपाल में और चौथा- 1950 में असम-तिब्बत में. इनमें हजारों लोगों की मौत हुई थी.

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नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का 59 फीसदी हिस्सा भूकंप के लिहाज से सबसे संवेदनशील माना जाता है. यानी, यहां पर कभी भी 8 या उससे ज्यादा की तीव्रता वाले भूकंप आ सकते हैं.

आखिर में बात भूकंप से कैसे बचा जाए?

भूकंप एक ऐसी घटना है जिसका अंदाजा लगा पाना लगभग नामुमकिन होता है. ये अचानक से होने वाली घटनाएं हैं. ये चंद सेकंड में होती है और हजारों-लाखों लोगों की जिंदगी तबाह कर जातीं हैं.

तुर्की का ही उदाहरण ले लिया जाए तो यहां सोमवार और मंगलवार के बीच आए भूकंपों ने 8 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली है. लोगों के आशियाने उजड़ गए हैं. कड़ाके की सर्दी में उनके पास रहने के लिए घर नहीं है. 

इसलिए ये जानना जरूरी है कि भूकंप जैसी स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है? सबसे जरूरी बात ये कि भूकंप बताकर नहीं आता है, इसलिए पहले से ही कुछ तैयारी रखें. घर या इमारत को भूकंपरोधी बनवाएं. कांच से बनी चीजें जैसे आइना वगैरह, इन्हें सोने वाली जगह से दूरी पर ही रखें. घर के अंदर और बाहर ही ऐसी सुरक्षित जगह पहले से ढूंढकर रखें जहां भूकंप आने पर जा सकें.

इसके अलावा एक इमरजेंसी किट तैयार रखें. इस किट में बैटरी से चलने वाली लाइटें, पैक्ड फूड आइटम, चाकू, क्लोरिन की गोलियां, जरूरी दवाइयां, नकदी, क्रेडिट कार्ड, मोटी रस्सी और मजबूत जूते रख सकते हैं. 

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अब मान लीजिए आपने कोई तैयारी नहीं रखी है और भूकंप आ गया है तो फिर सावधानी और सतर्कता आपको बचा सकती है. कई बार ऐसा देखा गया है कि पहले कम तीव्रता का भूकंप आता है लेकिन उसके बाद जोरदार भूकंप आ जाता है. ऐसे में अगर आप घर या किसी इमारत के अंदर हैं तो धीरे-धीरे चलें और किसी सुरक्षित जगह पर पहुंच जाएं. घर या इमारत से तभी बाहर निकलें जब आपको भरोसा हो कि बाहर निकलना सुरक्षित है.

अगर आप घर के अंदर हैं तो जमीन पर झुक जाएं, किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर को कसकर पकड़ लें और तब तक बैठे रहें जब तक भूकंप के झटके आने बंद न हो जाएं. अगर कोई टेबल या फर्नीचर नहीं है तो अपने चेहरे और सिर को बाजुओं से ढंक लें और किसी कोने में बैठ जाएं. पलंग के नीचे भी जा सकते हैं. अगर पलंग पर हैं तो वहीं बैठे रहें. 

जब तक भूकंप के झटके आने बंद न हो या बाहर सुरक्षित न हो तब तक घर के अंदर ही रुके रहें. क्योंकि ज्यादातर चोटें या नुकसान तभी होता है जब इमारत के अंदर मौजूद लोग किसी दूसरी जगह या बाहर जाने की कोशिश करते हैं.

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