
नेशनल अर्थक्वेक मॉनिटरिंग एंड रिसर्च सेंटर (NERMC), नेपाल के अनुसार, बुधवार तड़के नेपाल के बागलुंग जिले में 4.7 और 5.3 तीव्रता के दो भूकंप के झटके महसूस किए गए. केंद्र से मिली रीडिंग के अनुसार, बागलुंग जिले के अधिकारी चौर के आसपास 01:23 (स्थानीय समयानुसार) पर 4.7 तीव्रता का भूकंप आया.
NEMRC ने ट्वीट किया, '2079/09/13 NEMRC/DMG को 01:23 बजे बागलुंग जिले के अधिकारी चौर के आसपास 4.7 एमएल का भूकंप आया.' इसके बाद एनईएमआरसी, नेपाल ने ट्वीट किया, रिक्टर पैमाने पर 5.3 तीव्रता का दूसरा भूकंप कथित तौर पर बगलुंग जिले के खुंगा के आसपास 02:07 (स्थानीय समय) पर आया. इस ट्वीट में कहा गया, '2079/09/13 NEMRC/DMG को 02:07 बजे बागलुंग जिले के खुंगा के आसपास 5.3 मिलीलीटर का भूकंप आया.' अभी तक जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है.
उत्तराखंड में भी भूकंप के झटके
पड़ोसी देश में आए भूकंप के झटके भारत में भी महसूस किए गए. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 2.19 बजे (IST) 3.1 तीव्रता पर भूकंप आया.
दहशत में हैं जोशीमठ के लोग
बता दें कि उत्तराखंड को लेकर तो एक दिन पहले ही चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई. जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ के लोग दहशत में जी रहे हैं. यहां शनिवार 24 दिसंबर को लोग सड़कों पर उतर आए. क्योंकि जोशीमठ (Joshimath) के कई इलाकों में लोगों के मकान जमीन के अंदर धंस रहे हैं. दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा कई दिनों से हो रहा है. जोशीमठ में 9 वार्डों के 513 मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं. हर दिन जोशीमठ के अलग-अलग वार्डों से घरों में दरार आने की खबर मिल रही है. लोग डरे हुए हैं, उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता हो रही है. लोगों का कहना है कि यहां बनने वाली तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना की टनल यानी सुरंग के कारण जोशीमठ में जमीन धंस रही है.
'खत्म हो सकता है जोशीमठ का अस्तित्व'
इस मामले को लेकर सियासत भी होने लगी है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा गसौनी का कहना है कि उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम में भगवान बद्रीनाथ विराजते हैं. लेकिन उसके पास स्थित जोशीमठ का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है. यदि रिक्टर स्केल पर 2 डिग्री का भूकंप आता है, तो पूरा जोशीमठ तबाह हो जाएगा. पूरा शहर जमींदोज होने की कगार पर है. इसके बाद भी सरकार गूंगी-बहरी बनी हुई है.