
मुस्लिम देश मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी की भारत यात्रा से पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में भी काफी हलचल है. सीसी को भारत ने अपने गणतंत्र दिवस में बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित किया था. वह 24 जनवरी को भारत आए थे और 27 जनवरी को उनका भारत दौरा समाप्त होगा. इस दौरान दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने और पुरानी मित्रता को पुनर्जीवित करने पर जोर दे रहे हैं. उनके इस दौरे पर पाकिस्तान की मीडिया समेत राजनीतिक विश्लेषकों की पैनी नजर है.
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जन्मे और वर्तमान में कनाडा बेस्ड राजनीतिक स्तंभकार और वकील हामिद बाशानी मिस्र के राष्ट्रपति के भारत दौरे को पाकिस्तान के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण बताया है.
उनका कहना है कि भारत सभी मुस्लिम देशों से अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है और इसी क्रम में सीसी को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया. यह सबूत है कि भारत मुस्लिम देशों को भारी तवज्जो दे रहा है.
पाकिस्तान की पत्रकार आलिया शाह को दिए एक इंटरव्यू में हामिद बाशानी ने कहा, 'मिस्र के राष्ट्रपति का भारत दौरा कई मिथकों को तोड़ता है. एक तो जो पाकिस्तान में लंबे अरसे से आधिकारिक रूप से एक नैरेटिव तैयार किया जा रहा है, यूनाइटेड नेशंस, मानवाधिकार संगठन और बड़े-बड़े फोरम पर भी... कि भारत मुसलमानों के साथ भेदभाव कर रहा है या वो उन्हें अहमियत नहीं दे रहा. इस नैरेटिव को पाकिस्तान की हर सरकार ने आगे बढ़ाया है और वो कहते हैं कि हम इसी कारण भारत के साथ बातचीत को आगे नहीं बढ़ा रहे. लेकिन जितने अरसे में इस प्रोपेगेंडा को पाकिस्तान में स्थापित किया गया, पांच-दस सालों में, उतने ही समय में भारत ने मुस्लिम वर्ल्ड में अपनी पहुंच बहुत अधिक बना ली. ये जो मुगालता फैलाया गया था उस गुब्बारे की हवा निकल गई.'
बाशानी ने आगे कहा कि भारत यूएई, सऊदी अरब, मिस्र आदि देशों से अपनी दोस्ती बढ़ा रहा है और ये देश पाकिस्तान से हर क्षेत्र में आगे हैं. ये देश बौद्धिक, तार्किक, राजनीतिक और ऐतिहासिक रूप से मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करते हैं और पाकिस्तान इनके आगे कहीं नहीं टिकता.
उन्होंने सऊदी अरब, यूएई, मिस्र जैसे देशों से पाकिस्तान की तुलना करते हुए कहा, 'ये मुल्क भारत के साथ बेहतर रिश्ते बनाने के लिए लाइन में लग गए, बेताब हो गए... अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं और पाकिस्तान मुसलमानों का बहाना बनाकर, बॉर्डर पर बंदूक तानकर खड़ा है. मिस्र और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति ज्यादा अलग नहीं है. वो भी आईएमएफ के पास कर्ज के लिए जा रहा है, पाकिस्तान भी जा रहा है. मिस्र में भारत की 38 कंपनियों ने 3-4 अरब डॉलर का निवेश कर रखा है. और यह पैसा इतना पैसा है जिसके लिए आईएमएफ तीन-चार साल से पाकिस्तान के नेताओं को ऐसी नौबत पर ले गया है कि वो उसकी हर तान पर नाचने पर मजबूर हो गए हैं.'
पाकिस्तान के नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'आप कहते हैं कि हम वाघा पर जाकर अपने जवानों को घी, मक्खन खिलाकर उन्हें मोटा करते रहेंगे. इस कंपटीशन के अलावा हम भारत के साथ कोई और कंपटीशन कर भी नहीं सकते. आप आईएमएफ के तीन-चार डॉलर की खातिर पाकिस्तान की जनता को भूखा मारने पर राजी हो गए हैं. क्योंकि आईएमएफ के प्रोग्राम में जाकर आप आटे, दाल, प्याज सबके दाम को दोगुना, तिगुना बढ़ाएंगे, जिसकी मार जनता पर ही पड़ेगी. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर आज आप आईएमएफ प्रोग्राम में जाने के बजाए वाघा बॉर्डर खोल दे तो व्यापार के जरिए ही आप इससे चार गुना ज्यादा राजस्व हासिल कर सकते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि असल समस्या पाकिस्तान की सोच है.'
हामिद बाशानी का कहना है कि अगर मिस्र पाकिस्तान से बड़ा इस्लामिक देश होकर भी अपने देश की उन्नति के लिए भारत से दोस्ती बढ़ा रहा है तो फिर पाकिस्तान के नेता क्या चाहते हैं.
'पाकिस्तान में सत्ता किसी एक के हाथ में नहीं'
हामिद बाशानी कहते हैं कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से ईमानदार बातचीत की पेशकश की फिर दूसरे दिन ही उनके कार्यालय से स्पष्टीकरण आ गया कि कश्मीर में धारा 370 बहाल होने पर ही पाकिस्तान भारत के बीच बातचीत होगी. इससे पता चलता है कि पाकिस्तान में सत्ता किसी एक के हाथ में नहीं है. जिसके पास बंदूक है, कुछ लोगों का समर्थन है, वहीं पाकिस्तान में सरकार बन बैठा है. तो आप जब ऐसी पॉलिसी लेकर बैठेंगे और दुनिया भर में रोना रोएंगे और फिर सोचेंगे कि लोग आपको पैसे दे तो यह नामुमकिन है.
उन्होंने कहा कि भारत की सरकार गलत नहीं कहती कि पाकिस्तान में हम बात करें तो किससे करें. क्योंकि यहां फौज की अलग सरकार चलती है और जनता की सरकार अलग.