
हाल ही में भारत सरकार ने गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी. हालांकि, इस बीच मिस्र के सप्लाई मिनिस्टर अली मोसेल्ही ने एक बयान में कहा है कि उनकी सरकार भारत से पांच लाख टन गेहूं खरीदेगी.
दुनिया में गेहूं के सबसे बड़े आयातकों में से एक मिस्र को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से गेहूं नहीं मिल पा रहा है. रूस और यूक्रेन दोनों ही गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक देश हैं.
रूस के हमले की वजह से ही सस्ते ब्लैक सी ग्रेन की बिक्री नहीं हो पा रही है और मिस्र इसके निर्यात का विकल्प खोज रहा है.
मोसेल्ही ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बताया, हम भारत से पांच लाख टन गेहूं खरीदने को तैयार हो गए हैं.
भारत में लू के थपेड़ों के बीच शनिवार को गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का ऐलान किया था. भारत ने देश में कीमतों को स्थिर करने के लिए इसके निर्यात पर रोक का फैसला किया था.
भारत में गेहूं के घरेलू उत्पादन पर लगाम लगाने और घरेलू स्तर पर कीमतें बढ़ाने के बीच शनिवार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था.
मोसेल्ही ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि गेहूं खरीद को लेकर मिस्र के साथ हुए समझौते पर भारत सरकार का निर्यात बैन का फैसला लागू नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि मिस्र की कैबिनेट ने सरकारी खरीदार को अपनी टेंडर प्रक्रिया को दरकिनार कर गेहूं सीधे देशों या कंपनियों से खरीदने को मंजूरी दी थी.
उन्होंने कहा कि मिस्र, कजाखस्तान, फ्रांस और अर्जेंटीना के साथ भी बातचीत कर रहा था.
मिस्र के प्रधानमंत्री ने इससे पहले कहा था, मिस्र के पास चार महीने का रिजर्व और छह महीने का वेजिटेबल ऑयल बचा है.
अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय फसल की खरीद के बाद मिस्र का गेहूं भंडारण साल के अंत तक पर्याप्त रहेगा.
भारत ने देश में कीमतों को स्थिर करने के लिए हाल ही में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. ये रोक ऐसे समय में लगाई गई है, जब दुनियाभर में गेहूं की कीमतों में बेतहाशा तेजी आई है और रूस-यूक्रेन युद्ध से गेहूं की सप्लाई पर असर पड़ा है.