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फ्रांस की सरकार ने इस मस्जिद को किया बंद, जानें क्यों?

मस्जिद को बंद करने के आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक, इमाम गैर-मुसलमानों को दुश्मन बताता था. इमाम के कट्टर इस्लामिक उपदेशों के कारण ही फ्रांस की इमैनुएल मैक्रों सरकार ने मस्जिद को बंद करने का फैसला लिया है. सरकार ऐसे 6 और मस्जिदों को बंद करने के मकसद से जांच कर रही है.

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Photo-Reuters) फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Photo-Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST
  • इमैनुएल मैक्रों सरकार ने दिया मस्जिद बंद करने का आदेश
  • इमाम देता था जिहाद को बढ़ावा
  • जिहादियों को बताता था 'हीरो'

फ्रांस की इमैनुएल मैक्रों सरकार ने देश के उत्तरी हिस्से में स्थित एक मस्जिद को बंद करने का आदेश दिया है. अधिकारियों ने बताया कि मस्जिद का इमाम कट्टरपंथी उपदेश देता था. मस्जिद को बंद करने का कारण स्पष्ट करते हुए मंगलवार को अधिकारियों ने समाचार एजेंसी एएफपी को इसकी जानकारी दी.

पेरिस के उत्तर में लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर 50,000 जनसंख्या वाले शहर बोवै में ये मस्जिद है. स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, मस्जिद को छह महीने के लिए बंद रखने का आदेश दिया गया है. स्थानीय प्रशासन ने जानकारी दी है कि इमाम के उपदेश नफरत, हिंसा और 'जिहाद की रक्षा' को उकसाते हैं.

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मस्जिद में लगभग 400 लोग इमाम के अनुयायी हैं. इसे बंद करने का फैसला फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डार्मानिनने के उस घोषणा के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि मस्जिद को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा था कि वहां के इमाम अपने उपदेशों में 'ईसाइयों, समलैंगिकों और यहूदियों को निशाना बना रहे हैं.' गृह मंत्री ने कहा था कि ये अस्वीकार्य है.

स्थानीय अधिकारी कानूनी तौर पर मस्जिद पर कार्रवाई करने से पहले सूचना एकत्र करने के लिए 10 दिनों तक इंतजार करने के लिए बाध्य थे, लेकिन मंगलवार को एएफपी को बताया गया कि मस्जिद अब दो दिनों के भीतर बंद हो जाएगी. स्थानीय अखबार कूरियर पाईकार्ड ने बताया है कि मस्जिद के इमाम ने हाल ही में इस्लाम अपनाया था.

मस्जिद का प्रबंधन करने वाले संगठन के एक वकील ने एएफपी को बताया कि उसने प्रतिबंध को खत्म करने के लिए अपील दायर की है. वकील समीम बोलकी ने कहा कि 48 घंटे के भीतर अपील पर अदालत में सुनवाई होगी.

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अधिकारियों ने कहा कि इमाम, जिसके बारे में एसोसिएशन का दावा है कि वो कभी-कभार ही उपदेश दिया करता था और अब उसे निलंबित कर दिया गया है, वास्तव में मस्जिद में नियमित रूप से उपदेश दिया करता था. 

एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद बंद करने के आदेश के आधिकारिक दस्तावेज में कहा गया कि इमाम ने जिहाद, (इस्लाम के दुश्मनों के खिलाफ युद्ध) को एक 'कर्तव्य' कहा और जिहादियों को 'हीरो' के रूप में महिमामंडित किया. उसने कहा कि जिहादियों ने पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ इस्लाम की रक्षा की है.

दस्तावेज के मुताबिक, इमाम ने गैर-मुसलमानों को दुश्मन करार दिया था. उसमें कहा गया है, 'आतंकवाद का खतरा हाई लेवल पर बना हुआ है और मस्जिद को बंद का उद्देश्य 'आतंकवाद के कृत्यों को रोकना' है.

फ्रांसीसी सरकार ने इस साल की शुरुआत में घोषणा की थी कि वो धार्मिक स्थलों और कट्टरपंथी इस्लाम का प्रचार करने के संदिग्ध ठिकानों की जांच तेज करेगी. यह कार्रवाई अक्टूबर 2020 में शिक्षक सैमुअल पेटी की हत्या के बाद हुई.

सैमुअल पेटी को व्यंग्य पत्रिका चार्ली हेब्दो द्वारा प्रकाशित पैगंबर (पीस बी अपॉन हिम) के ईशनिंदा कार्टून को दिखाने के लिए एक ऑनलाइन अभियान के बाद निशाना बनाया गया था. हत्या के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि 'इस्लामवादी हमारा भविष्य चाहते हैं' और उन्होंने कसम खाई थी कि इस तरह के कार्टूनों का प्रकाशन बंद नहीं किया जाएगा.

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गृह मंत्रालय ने इसी महीने कहा था कि फ्रांस की 2,600 से अधिक मस्जिदों और मुस्लिम प्रार्थना कक्षों में से लगभग 100 की जांच हाल के महीनों में इस संदेह के कारण की गई है कि वे 'अलगाववादी' विचारधारा फैला रहे थे. मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि चरमपंथ और इस्लामी अलगाववाद के खिलाफ फ्रांसीसी कानूनों के आधार पर छह इस्लामिक स्थलों को बंद करने की दृष्टि से जांच की जा रही है. 

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