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'अस्पतालों में गोलीबारी, बच्चों की हत्या टोरा में नहीं', तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने फिर की इजरायल की आलोचना

टोरा हिब्रू बाइबिल की पहली पांच पुस्तकों का संकलन है. इसे ईसाइयों द्वारा पेंटाटेच या मूसा की पांच पुस्तकों के रूप में जाना जाता है. इसे यहूदी परंपरा में लिखित टोरा के रूप में भी जाना जाता है. इसका जिक्र करते हुए तुर्की के राष्ट्रपति ने एक बार फिर इजरायल की आलोचना की है.

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन (फाइल फोटो) तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:48 PM IST

इजरायल और हमास के बीच जंग जारी है. इसको लेकर एक बार फिर तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन का बयान सामने आया है. उन्होंने गाजा के अस्पतालों पर हो रही इजरायली बमबारी की आलोचना की है. इसके लिए उन्होंने हिब्रू बाइबिल का भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि अस्पतालों में गोलीबारी करना या बच्चों को मारना टोरा में मौजूद नहीं है.

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दरअसल, टोरा हिब्रू बाइबिल की पहली पांच पुस्तकों का संकलन है. इसे ईसाइयों द्वारा पेंटाटेच या मूसा की पांच पुस्तकों के रूप में जाना जाता है. इसे यहूदी परंपरा में लिखित टोरा के रूप में भी जाना जाता है.

एर्दोगन ने कहा, "देखो, पूजा स्थलों पर हमला किया गया है, चर्चों पर हमला किया गया है, अस्पतालों पर हमला किया गया है. लेकिन अस्पतालों पर गोलीबारी करना, बच्चों को मारना, ये चीजें टोरा में नहीं हैं, आप ऐसा नहीं कर सकते. यह मानवाधिकार के हित में नहीं है, आप ऐसा नहीं कर सकते. यही कारण है कि हमें इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध को ऋणग्रस्तता के मनोविज्ञान से नहीं देखना चाहिए.

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आगे बोलते हुए एर्दोगन ने सुझाव दिया कि जर्मनी ने नरसंहार के अपराध बोध के कारण गाजा युद्ध में इजरायल का समर्थन किया.

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तुर्की के राष्ट्रपति ने तुर्की के साथ भी तुलना की, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि वह बिना किसी पूर्वाग्रह के अपनी बात कहने में सक्षम है. तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा, "जो लोग इजरायल के प्रति कृतज्ञ महसूस करते हैं, वे खुलकर नहीं बोल सकते. हम होलोकॉस्ट प्रक्रिया से नहीं गुजरे, हमारे पास ऐसी स्थिति नहीं है, क्योंकि मानवता के प्रति हमारा सम्मान अलग है."

एर्दोगन ने कहा, "देखिए, हम खुलकर बात कर सकते हैं क्योंकि हम पर इजरायल का कोई कर्च नहीं है."

बता दें कि युद्ध शुरू होने के बाद से जर्मनी में यहूदी के खिलाफ विरोध और इस्लामोफोबिया में वृद्धि देखी गई है. इसके चलते जर्मनी ने फिलिस्तीन के समर्थन में सड़कों पर उतरकर लोगों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई, जिसकी सोशल मीडिया पर आलोचना भी हुई. 

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