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कंपनियों को मिली खुली छूट, हिजाब पहनने पर लगा सकती हैं रोक

अदालत ने कहा कि कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों के हिजाब पहनने पर रोक लगाना भेदभाव नहीं है. यूरोपीय अदालत में बेल्जियम और फ्रांस की दो महिला कर्मचारियों ने कंपनियों की ओर से हिजाब पहनने पर रोक लगाने के खिलाफ याचिका दाखिल की थी. हालांकि अदालत ने इनकी याचिका खारिज कर दी और कंपनियों के हिजाब पहनने संबंधी रोक को सही ठहराया. इन महिलाओं को कंपनियों ने हिजाब पहनने से मना करने पर नौकरी से निकाल दिया था.

यूरोपीय अदालत ने हिजाब पर रोक लगाने की इजाजज दी यूरोपीय अदालत ने हिजाब पर रोक लगाने की इजाजज दी
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 5:16 PM IST

यूरोपीय अदालत ने कंपनियों को मुस्लिम महिला कर्मचारियों के हिजाब पहनने पर रोक लगाने की पूरी छूट दी है. दुनिया भर में मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर छिड़ी बहस के बीच यूरोपीय अदालत का यह फैसला सामने आया है. यह अपनी तरह का पहला मामला है, जिसमें अदालत ने महिलाओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने को जायज ठहराया है.

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अदालत ने कहा कि कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों के हिजाब पहनने पर रोक लगाना भेदभाव नहीं है. यूरोपीय अदालत में बेल्जियम और फ्रांस की दो महिला कर्मचारियों ने कंपनियों की ओर से हिजाब पहनने पर रोक लगाने के खिलाफ याचिका दाखिल की थी. हालांकि अदालत ने इनकी याचिका खारिज कर दी और कंपनियों के हिजाब पहनने संबंधी रोक को सही ठहराया. इन महिलाओं को कंपनियों ने हिजाब पहनने से मना करने पर नौकरी से निकाल दिया था.

बेल्जियम की याचिकाकर्ता महिला कर्मचारी G4S Secure Solutions में बतौर रिसेप्शनिस्ट कार्यरत थी, जबकि फ्रांस की महिला एक आईटी कंसल्टेंट हैं. याचिकाकर्ता महिलाओं ने दलील दी थी कि हिजाब पहनने पर प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया.

दरअसल, G4S ने 2006 में हिजाब पहनने पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन महिला कर्मचारियों ने जब हिजाब पहनना बंद नहीं किया, तो कंपनी ने इसे कानून बनना दिया. वहीं, फ्रांस की कंपनी ने ग्राहकों की शिकायत पर महिला कर्मचारी के हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद भी नहीं मानने पर मुस्लिम महिलाओं को नौकरी से निकाल दिया था. इसके बाद महिलाओँ की धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर बहस छिड़ गई थी.

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