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ब्रेक्जिट डील पर ब्रिटेन की संसद में अभी भी गतिरोध, थेरेसा ने मांगा समय

ब्रेग्ज‍िट डील पर ढाई साल की बातचीत और दो असफल प्रयासों के बाद भी इस पर दुविधा बनी हुई है. कि अगर ब्रिटेन को डील पर बातचीत के लिए और समय चाहिए तो उसे परिषद के 27 सदस्यों की सहमति चाहिए.

 (फाइल फोटो) (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 2:57 PM IST

ब्रिक्जट डील पर ब्रिटेन की संसद में अभी तक गतिरोध बना हुआ है. गतिरोध दूर करने के लिए ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ईयू से ब्रेक्जिट की डेडलाइन में एक बार फिर से विस्तार करने की अपील करेंगी.

थेरेसा मे ने कहा कि वह यूरोपीय यूनियन के साथ भविष्य में देश के संबंध पर चर्चा करने के लिए लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन से मुलाकात करना चाहती हैं. थेरेसा ने कहा कि उनका विदड्रॉल एग्रीमेंट डील का हिस्सा बना रहेगा. उनके द्वारा प्रस्तावित एग्रीमेंट को पिछले सप्ताह ब्रिटिश संसद में मतदान में खारिज कर दिया गया था.

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थेरेसा ने कहा कि वह चाहती हैं कि यह विस्तार जितना संभव हो, संक्षिप्त हो और इसकी डेडलाइन 22 मई से पहले की हो, ताकि ब्रिटेन को यूरोपीय चुनाव में हिस्सा नहीं लेना पड़े. ब्रिटेन के पास अपना प्रस्ताव रखने के लिए 12 अप्रैल तक का समय है, जिसे ईयू द्वारा मंजूर किया जाना जरूरी है. ऐसा न होने की स्थिति में ब्रिटेन को बिना किसी समझौते के ईयू से अलग होना पड़ेगा.

ब्रिटेन को पहले 29 मार्च को ईयू से अलग होना था, लेकिन प्रधानमंत्री थेरेसा ने यह देखते हुए कि संसद में उस डेडलाइन तक उनके द्वारा प्रस्तावित समझौते पर सहमति नहीं बन पाएगी, एक छोटे विस्तार के लिए सहमति दे दी थी.

गौरतलब है कि यूरोपियन यूनियन इस बात पर राजी हो गया है कि ब्रिटेन को ब्रेक्जिट के लिए और समय दिया जाना चाहिए. ब्रिटेन ने इसके लिए EU से 30 जून तक का समय मांगा था. इससे पहले ब्रिटेन को ईयू से बाहर होने के लिए 29 मार्च तक का समय था. ब्रिटेन में इसको लेकर सदन के बाहर और अंदर काफी असमंजस की स्थिति है. इन सभी के बीच यह आशंका भी घर करने लगी है कि ब्रेक्जिट के बाद न सिर्फ ब्रिटेन बल्कि EU को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान होने वाला है. यह नुकसान अरबों डालर का भी हो सकता है.

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2016 में लिया था अलग होने का फैसला

बता दें कि ब्रिटेन ने वर्ष 2016 में यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला लिया था. ब्रिटिश सांसदों ने प्रधानमंत्री थेरेसा मे के ब्रेग्ज‍िट डील को खारिज कर दिया. अब ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि ब्रिटेन बिना किसी करार के यूरोपीय संघ से अलग होगा. ब्रिटिश संसद में डील के विपक्ष में 278 के बदले 321 वोट पड़े. दूसरी तरफ यूरोपीय संघ ने कहा कि वह इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकता. अगर ब्रिटिश संसद यूरोपीय संघ के साथ हुए समझौते को मंजूर करने में असफल होती है और संघ ज्यादा समय देने में असमर्थ है.

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