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जापान से मिला 75 अरब डॉलर की विदेशी करंसी की मदद का भरोसा

विदेशी मुद्रा अदला-बदली समझौते के बारे में आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने ट्विटर पर लिखा है कि जापान के 75 अरब डालर की विदेशी मुद्रा की द्विपक्षीय अदला-बदली की यह व्यवस्था दुनिया में इस तरह के सबसे बड़े समझौतों में एक है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के पीएम शिंजो आबे के साथ (फोटो-twitter/@MEAIndia) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के पीएम शिंजो आबे के साथ (फोटो-twitter/@MEAIndia)
पन्ना लाल
  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 9:04 PM IST

भारत और जापान ने सोमवार को आपस में 75 अरब डालर के बराबर विदेशी मुद्रा की अदला-बदली की व्यवस्था का करार किया. यह सबसे बड़े द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली व्यवस्था समझौतों में से एक है. जापान के साथ इस तरह की सुविधा से रुपये की विनिमय दर तथा पूंजी बाजारों में बड़ी स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी.

इस समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग और प्रगाढ़ होगा तथा इसमें विविधता बढ़ेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मेजबान प्रधानमंत्री शिंजो आबे दोनों नेताओं के बीच यहां शिखर स्तर की बातचीत के बाद भारत-जापान की साझा सोच पर जारी वक्तव्य में कहा गया है, "वित्तीय तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने के दृष्टिकोण से जापान और भारत की सरकारें 75 अरब डालर के द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली समझौते (बीएसए) पर सहमति का स्वागत करती हैं.

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विदेशी मुद्रा अदला-बदली समझौते के बारे में आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने ट्विटर पर लिखा है, "जापान के 75 अरब डालर की विदेशी मुद्रा की द्विपक्षीय अदला-बदली की यह व्यवस्था दुनिया में इस तरह के सबसे बड़े समझौतों में एक है."

उन्होंने कहा, "जापान के अनुरोध को स्वीकार करते हुए भारत बुनियादी ढांचे के लिये पांच साल या उससे अधिक की न्यूनतम परिपक्वता अवधि के विदेशी वाणिज्यक कर्जों के मामले में 'हेजिंग' यानी संबंधित विदेशी कर्ज को लेकर विदेशी विनिमय दर के वायदा और विकल्प बाजार में सौदे करने की अनिवार्यता को खत्म करने पर सहमत हो गया है."

वित्त मंत्रालय ने कहा, "मुद्रा अदला-बदली व्यवस्था से भारत के विदेशी विनिमय और पूंजी बाजारों में बड़ी स्थिरता आएगी. इस सुविधा के तहत भारत के लिये जापान से उक्त राशि के बराबर विदेशी पूंजी इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी." बयान के मुताबिक इस सुविधा से भारतीय कंपनियों के लिये विदेशी कर्ज बाजार में ऋण की लागत कम होगी.

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