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वो देश, जहां बाथ हाउस में होती है मेहमानवाजी, हल्की रोशनी और थोड़े कपड़ों में हो जाते हैं बड़े राजनैतिक फैसले

हर देश के पास विदेशी राजनीति के अलग पैंतरे होते हैं. कोई मेहमानों को शानदार दावत देता है, तो कोई भव्य नाच-गाने का आयोजन करता है. फिनलैंड का तरीका सबसे अलग है. यहां विदेशी मेहमानों के साथ नेकेड नेटवर्किंग होती है. सॉना बाथ के दौरान कम से कम कपड़ों में होने वाली इस पॉलिटिक्स को सॉना डिप्लोमेसी भी कहते हैं. फिनिश इसे अपनी संस्कृति का हिस्सा भी मानते हैं.

फिनलैंड में सॉना बाथ को संस्कृति माना जाता है. सांकेतिक फोटो (Getty Images) फिनलैंड में सॉना बाथ को संस्कृति माना जाता है. सांकेतिक फोटो (Getty Images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST

कोल्ड वॉर के दौरान फिनलैंड के नेताओं ने अपने देश पहुंचे तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति निकिता खुश्चेव की अलग ही मेहमानवाजी की. वे उन्हें महंगे होटल या रिजॉर्ट नहीं, बल्कि सॉना-बाथ के लिए ले गए. सारी रात भाप-स्नान के बाद खुश हुए राष्ट्रपति आखिरकार फिनलैंड की कई बातों पर राजी हो गए. साल 2005 में रूस के वर्तमान प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने भी हेलसिंकी में भाप स्नान किया था और उसे जीवन का सबसे यादगार वक्त बताया था.  

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फिनलैंड ऐसा हर उस विदेशी मेहमान के लिए करता है, जिसे बाथ हाउस जाने और कम कपड़ों में सार्वजनिक स्नान से परहेज न हो. इसमें ज्यादा तापमान के बीच पसीने में नहाए हुए लोग राजनीति की जरूरी बातें तय करते हैं. साथ में बेहतरीन शराब, मौसमी फल और चॉकलेट का भी इंतजाम रहता है. सॉफ्ट डिप्लोमेटिक टूल की तरह सॉना के इस्तेमाल पर कई शोध भी हो चुके हैं. 

इस तरह से होती है शुरुआत
फिनलैंड आने वाले विदेशी राजनेता या राजनयिक पहले आपस में फॉर्मली मिलते-जुलते हैं. बातचीत के बाद तय होता है कि कौन बाथ हाउस में जाने को तैयार है, कौन नहीं. इसके बाद लोग मिलकर बाथ हाउस जाते हैं. ध्यान रखा जाता है कि रोशनी बहुत मद्धिम हो ताकि कोई भी असहज न हो. वैसे ही सॉना बाथ के दौरान रोशनी कम ही रखी जाती है ताकि दिमाग को ज्यादा से ज्यादा आराम मिल सके. डिप्लोमेट्स में अगर महिलाएं भी शामिल हों तो वे अलग से सॉना में जाती हैं, जहां उनके साथ के लिए राजदूतों की ही पत्नियों को भेजा जाता है.

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सॉफ्ट डिप्लोमेसी के तहत फिनलैंड का ये सबसे मजबूत हथियार
इसमें भाप-स्नान के दौरान बातचीत ज्यादा आत्मीय हो जाती है. कपड़ों की तह के साथ-साथ भेदभाव की दीवार भी छोटी होती जाती है. दिमाग रिलैक्स होता है, जिससे आपसी यकीन बढ़ता है और फैसला लेना आसान हो जाता है. 

सॉना का फिनिश कनेक्शन
सॉना फिनिश शब्द है, जिसका मतलब है ऐसा कमरा, जहां गर्म चट्टानों पर पानी की फुहार छोड़ी जाती है. इस दौरान जो भाप पैदा होती है, वही सॉना है. मूलतः फिनिश कल्चर के तहत आने वाली ये चीज रूस, लातीविया और एस्टॉनिया जैसे देशों में भी रुटीन का हिस्सा है. हालांकि फिनलैंड का नाम इसमें सबसे ऊपर रखा जाता है. 

पुरानी तर्ज का फिनिश सॉना, जो माइनस तापमान पर लोगों को गर्म रखता. (Unsplash)

बेहद प्राचीन है फिनिश सॉना 
माना जाता है कि फिनलैंड में सॉना की शुरुआत 10वीं सदी में हुई होगी. इसके प्रमाण के तौर पर कई ऐसी गुफाएं मिली हैं, जिनमें बड़ा गड्ढा खुदा हुआ है और पास में भट्टी सुलगने के निशान हैं. फिनलैंड और रूस के मिले-जुले चिन्हों वाले करेलिया रिपब्लिक में ऐसी ढेर की ढेर गुफाएं अब भी हैं. माना जाता है कि गुफा में रहते परिवार पानी जमा करने के लिए गड्ढा खोदते, और खाने के लिए पास में ही आग का इंतजाम होता. इसी तरह से किसी दिन अचानक सॉना बाथ की शुरुआत हो गई होगी. 

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12वीं सदी में हालांकि सॉना के लिए बाकायदा बाथ हाउस बनने लगे. ये एक अलग इमारत होती, जिसमें स्टोव भी होती और कपड़ों के लिए अलग-अलग खाने भी. किसी के भी नहाने से पहले कमरे को खूब गर्म किया जाता था क्योंकि तब टेंपरेचर सेट करने की तकनीक नहीं थी. 

सॉना के पास ही होने लगी सारी गतिविधियां
धीरे-धीरे सॉना के पास ही किचन होने लगा. वहीं पर कपड़े धोए जाने लगे और उसी जगह बच्चों का जन्म होने लगा क्योंकि ये जगह घर या किसी मोहल्ले की सबसे गर्म जगह होती थी. बता दें कि फिनलैंड समेत सॉना कल्चर वाले सभी देशों में बेहद ठंड पड़ती है और सर्दियों में तापमान -20 से भी नीचे चला जाता है. 

आध्यात्मिक ताकत जुटाने का जरिया बनने लगा
15वीं सदी से लेकर 20वीं सदी की शुरुआत तक सॉना को एक तरह के आध्यात्म से जोड़ा गया. लोग गर्म भाप में डूबकर घंटों पड़े रहते और चुप रहते. वहां शराब, शोरगुल सबकी मनाही रहती थी. वक्त के साथ सॉना के उपकरण ज्यादा मॉडर्न होते गए, लेकिन अब भी ज्यादातर बाथ हाउस कई नियम मेंटेन करते हैं. वहां बातचीत या खानेपीने की सख्त मनाही रहती है. वक्त के साथ स्टीम सॉना में कई बदलाव हुए, जिसके साथ स्पिरिचुअल पक्ष हल्का पड़ते हुए सॉना रिलैक्स होने का तरीका ही बनकर रह गया. 

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सॉना स्नान में आमतौर पर बातचीत करने की मनाही रहती है. (Getty Images)

एस्टॉनिया इसपर अपना दावा करता रहा
यूरोपियन देश एस्टॉनिया सॉना को अपना कल्चरल हैरिटेज मानता और दावा करता है कि इसकी शुरुआत वहीं से हुई. उसका कहना है कि चूंकि वो लंबे समय तक सोवियत संघ (अब रूस) के कब्जे में रहा इसलिए उनके यहां का कल्चर खुलकर सामने नहीं आ सका. वहीं फिनलैंड इसे अपना बताते हुए कहता है कि उसके यहां जो घर-घर में सॉना है, वो इसी वजह से है कि ये उनकी संस्कृति का हिस्सा रहा. फिनलैंड के ट्रैवल एंड टूरिज्म पोर्टल के अनुसार उनके यहां साढ़े 5 मिलियन की आबादी पर तीन मिलियन से ज्यादा सॉना हैं. 

क्या हैं फायदे
गर्म कमरे में रहने पर शरीर से लगातार पसीना निकलता है, जिसके ढेरों फायदे हैं. इससे इम्यून सिस्टम मजूबत होता है. मांसपेशियों का दर्द चला जाता है. यहां तक कि मानसिक बीमारियों में भी सॉना बाथ काफी फायदा देता है. बहुत से लोग वजन कम करने या ब्यूटी थैरेपी के लिए भी सॉना लेते हैं. फिनलैंड में इसे सैटरडे सॉना कहते हैं, जब सारा परिवार या ऑफिस कुलीग इकट्ठे होकर स्नान करते हैं.. 

सॉना बाथ के लिए कई दूसरे नियम भी हैं
यहां कमरे में जाने से पहले बिना साबुन या शावर जेल लगाए नहाना होता है. बाल सूखे रखने होते हैं ताकि सॉना में जाने के बाद ओवरहीट न हो जाए. 10 से 15 मिनट सॉना के बाद कोल्ड बाथ लेना होता है. ये प्रोसेस कई बार चलती है. कुल मिलाकर सॉना की पूरी प्रक्रिया 2 से 3 घंटे ले लेती है. हालांकि कुछ खास हालातों में सॉना बाथ न लेने की सलाह दी जाती है, जैसे गर्भवती महिला या हाइपरटेंशन के मरीज या फिर हीटस्ट्रोक का जल्दी शिकार होने वालों को इसमें न जाने या बहुत थोड़े समय के लिए जाने की सलाह दी जाती है.

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