Advertisement

पुतिन को बड़ा झटका! रूस की सीमा के करीब पहुंचा NATO, इस देश को बनाया सदस्य

रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच फिनलैंड ने सैन्य संगठन नाटो में शामिल होने का आवेदन किया था. फिनलैंड के इस ऐलान के बाद रूस भड़क गया था और उसने फिनलैंड को अंजाम भुगतने की धमकी दी थी. अब फिनलैंड मंगलवार को नाटो का 31वां सदस्य बन जाएगा. ऐसे में इस फैसले को पुतिन के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है.

व्लादिमीर पुतिन व्लादिमीर पुतिन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 8:09 PM IST

रूस का पड़ोसी देश फिनलैंड मंगलवार को आधिकारिक तौर पर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने जा रहा है. नाटो के प्रमुख जेंस स्टोल्टेनबर्ग का कहना है कि फिनलैंड मंगलवार को इस सैन्य गठबंधन का 31वां सदस्य बनेगा. यह खबर रूस के लिए झटके की तरह है. 

स्टोल्टेनबर्ग ने ब्रसेल्स में नाटो के विदेश मंत्रियों की बैठ की पूर्वसंध्या पर कहा कि यह एक ऐतिहासिक सप्ताह है. कल से फिनलैंड नाटो का पूर्ण सदस्य बन जाएगा. हमें उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में स्वीडन भी नाटो में शामिल होगा. 

Advertisement

उन्होंने कहा कि हम कल नाटो हेडक्वार्टर में पहली बार फिनलैंड का झंडा फहराएंगे. यह फिनलैंड की सुरक्षा और नाटो दोनों के लिए बेहतरीन दिन होगा.

स्टोल्टेनबर्ग ने बताया कि नाटो के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक ब्रसेल्स में होगी. फिनलैंड की सदस्यता का समर्थन करने वाला अंतिम देश तुर्की अपने आधिकारिक दस्तावेज अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को सौंपेगा. वह उसके बाद फिनलैंड को भी ऐसा करने के लिए आमंत्रित करेंगे.

स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि फिनलैंड का ध्वज शामिल करने के लिए ध्वजारोहण समारोह नाटो के मुख्यालय में मंगलवार अपराह्न में आयोजित किया जाएगा.

बता दें कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद फिनलैंड ने स्वीडन के साथ नाटो में शामिल होने का आवेदन दिया था. उस समय तुर्की ने फिनलैंड की सदस्यता पर वीटो कर दिया था. लेकिन बाद में तुर्की ने फिनलैंड की सदस्यता को मंजूरी दे दी थी. लेकिन स्वीडन के नाम पर वह पीछे हट गया था.

Advertisement

दरअसल तुर्की का कहना है कि फिनलैंड और स्वीडन दोनों उसके देश में सक्रिय आतंकी समूहों को मदद देते हैं. लेकिन स्वीडन और फिनलैंड ने इससे इनकार किया है. फिनलैंड की सीमा रूस से सटी हुई है. ऐसे में नाटो अब रूस के उत्तर में भी काबिज हो गया है. 

रूस को NATO से क्या है दिक्कत?

रूस को लगता है कि अगर उसका कोई पड़सी देश NATO में शामिल हुआ तो NATO देशों के सैनिक उसकी सीमा के पास आकर खड़े हो जाएंगे. 

दरअसल, 1939 से 1945 के बीच दूसरा विश्व युद्ध हुआ. इसके बाद सोवियत संघ ने पूर्वी यूरोप के इलाकों से सेनाएं हटाने से इनकार कर दिया था. 1948 में बर्लिन को भी घेर लिया. इसके बाद अमेरिका ने सोवियत संघ की विस्तारवादी नीति को रोकने के लिए 1949 में NATO की शुरुआत की. जब NATO बना तब इसके 12 सदस्य देश थे, जिनमें अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, इटली, नीदरलैंड, आइसलैंड, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, नॉर्वे, पुर्तगाल और डेनमार्क शामिल हैं. आज NATO में 30 देश शामिल हैं.

NATO एक सैन्य गठबंधन है, जिसका मकसद साझा सुरक्षा नीति पर काम करना है. अगर कोई बाहरी देश किसी NATO देश पर हमला करता है, तो उसे बाकी सदस्य देशों पर हुआ हमला माना जाएगा और उसकी रक्षा के लिए सभी देश मदद करेंगे.

Advertisement

हालांकि, ऐसा भी कहा जाता है कि एक समय पुतिन रूस को NATO को सदस्य बनवाना चाहते थे, लेकिन अब पुतिन NATO से चिढ़ते हैं. रूस की सीमा से सटे इस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और तुर्की NATO के सदस्य हैं. अगर यूक्रेन भी NATO से जुड़ जाता है तो रूस पूरी तरह से घिर जाएगा और यही उसे गंवारा नहीं है. पुतिन का तर्क है कि अगर यूक्रेन NATO में जाता है तो भविष्य में NATO की मिसाइलें यूक्रेन की धरती पर मिनटों में आ जाएंगी, जो रूस के लिए बड़ी चुनौती है. यह भी जानना दिलचस्प है कि रूस के साथ फिनलैंड की 1300 किमी लंबी सीमा लगती है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement