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चीन-नेपाल ने शुरू किया पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास, भारत की बढ़ी चिंता!

अभ्यास ऐसे समय हो रहा है जब दक्षिण एशिया में बीजिंग का बढ़ता दखल भारत के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. ऐसे में इन दोनों देशों का संयुक्त सैन्य अभ्यास भारत को असहज कर सकता है.

प्रतीकात्मक संयुक्त सैन्य अभ्यास प्रतीकात्मक संयुक्त सैन्य अभ्यास
BHASHA
  • काठमांडू,
  • 16 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST

नेपाल और चीन ने आतंकवाद से मुकाबला को केंद्र में रखते हुए रविवार को अपना संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया. यह अभ्यास ऐसे समय हो रहा है जब दक्षिण एशिया में बीजिंग का बढ़ता दखल भारत के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. ऐसे में इन दोनों देशों का संयुक्त सैन्य अभ्यास भारत को असहज कर सकता है.

नेपाली सेना ने कहा कि 10 दिवसीय सैन्य अभ्यास सागरमठ फ्रेंडशिप-2017 25 अप्रैल तक चलेगा. इसका आयोजन दोनों देशों की आतंकवाद के खिलाफ अपनी तैयारी के तहत किया जा रहा है. आतंकवाद ने सुरक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर गंभीर खतरा पैदा किया है. दुनिया की सबसे उंची चोटी माउंट एवरेस्ट का नेपाली नाम सागरमठ है.

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नेपाल की सेना ने कहा कि चाइनीज पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का एक दस्ता साझा सैन्य अभ्यास में भाग लेने के लिए पहले ही काठमांडू पहुंच चुका है. चीन के साथ साझा सैन्य अभ्यास नेपाली सेना की सैन्य कूटनीति के विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है. नेपाल लंबे समय से भारतीय और अमेरिकी सेना के साथ साझा सैन्य अभ्यास करता रहा है.

सेना के प्रवक्ता झनकार बहादुर कदायत ने कहा, नेपाली सैन्यकर्मियों के साथ पहले अभ्यास में थोड़ी संख्या में चीनी सैनिक शामिल होंगे. अभी सैनिकों की कुल संख्या के बारे में नहीं बताया गया है. संयुक्त सैन्य अभ्यास सेना के महाराजगंज आधारित प्रशिक्षण स्कूल पर हो रहा है. नेपाली सेना ने कहा कि चीन के साथ साझा सैन्य अभ्यास आतंकवाद के संभावित खतरे के खिलाफ तैयारियों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. नेपाल ने चीनी रक्षा मंत्री चांग वानगुआन के 24 मार्च के आधिकारिक नेपाल दौरे के समय साझा सैन्य अभ्यास का प्रस्ताव दिया था. जानकारों का मानना है कि साझा सैन्य अभ्यास भारत को असहज कर सकता है क्योंकि चीन क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.

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