
खालिस्तानी समर्थक और आतंकी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड का मामला गरमा गया है. कनाडा ने भारत की संभावित भूमिका होने का आरोप लगाया है, जिसके बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ गया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार कनाडा ने दावा किया है कि वो अपनी कथित खुफिया जानकारी पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रह था. बता दें कि पीएम ट्रूडो ने एक बचकाने, आधारहीन और हास्यास्पद दावे में कहा है कि इस साल की शुरुआत में ब्रिटिश कोलंबिया में एक सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट शामिल थे.
जी20 सम्मेलन में भारत की मेजबानी में 3 दिन तक रहने के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को कहा था कि कनाडा की घरेलू खुफिया एजेंसियां जून 2023 में 45 वर्षीय हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या के लिए भारत के एजेंटों को जिम्मेदार ठहराने वाले विश्वसनीय आरोपों पर सक्रिय रूप से काम कर रही हैं.
रॉयटर्स ने एक कनाडाई सूत्र के हवाले से कहा कि हम अमेरिका के साथ बहुत करीब से काम कर रहे हैं, जिसमें कल सार्वजनिक खुलासा भी शामिल है. हालांकि रॉयटर्स ने न तो इस अधिकारी का नाम बताया और न ही उसका ओहदा.
'देखना है कौन सी जानकारी दी जाती है'
ट्रूडो के पूर्व विदेश नीति सलाहकार और ओटावा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर रोलैंड पेरिस ने कहा, मुझे उम्मीद है कि इस मुद्दे को हल होने तक दोनों सरकारों के बीच सामान्य चर्चा मुश्किल होगी. प्रोफेसर पेरिस ने कहा, ये सरकारों और खुफिया एजेंसियों के लिए जटिल मामले हैं, जिन्हें सुलझाना है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर में जनता या कानून प्रवर्तन अधिकारियों को कौन सी जानकारी प्रदान की जाती है.
भारत ने ट्रूडो के बयान को बताया बेतुका
इससे पहले ट्रूडो ने कहा, इस मामले के अंतरराष्ट्रीय कानून में दूरगामी परिणाम होंगे. उन्होंने भारत सरकार से मामले को गंभीरता से लेने और कनाडा को मामले की पूरी जांच में मदद करने का आग्रह किया. भारत ने तुरंत ट्रूडो के दावे को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया और नई दिल्ली में एक कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया. बता दें कि सोमवार को कनाडा ने भारत के शीर्ष खुफिया अधिकारी को निष्कासित किया है.
दोनों देशों के संबंध में बढ़ गया तनाव'
इस विवाद ने पहले ही व्यापार वार्ता पर पानी फेर दिया है, जिसे रोक दिया गया है. कनाडा ने पिछले सप्ताह अक्टूबर के लिए निर्धारित एक प्रमुख व्यापार मिशन को रद्द कर दिया है. एक दूसरे कनाडाई सूत्र ने बताया कि व्यापार वार्ता में रुकावट और व्यापार मिशन में देरी दोनों कनाडाई की हत्या से जुड़ी चिंताओं के कारण थे. नई दिल्ली ने ओटावा से भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है. कनाडा में सिख अलगाववादी गतिविधि से भारत लंबे समय से नाराजगी जता हा है.
'कनाडा में बड़ी संख्या में रहते सिख धर्म से जुड़े लोग'
भारत ने निज्जर को 2020 में आतंकवादी घोषित किया था. कनाडा में सिखों की सबसे बड़ी आबादी रहती है. वहां 2021 की जनगणना में करीब 770,000 लोगों ने अपना सिख धर्म बताया है. निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स नामक एक समूह का नेतृत्व करता था. भारत ने 2022 में कनाडा से उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी. उस पर पंजाब में एक हिंदू पुजारी की हत्या का आरोप था. निज्जर, पंजाब को खालिस्तान नाम से एक अलग राज्य बनाने के आंदोलन का हिस्सा था. 1980 और 90 के दशक में पंजाब में अलगाववादी विद्रोह के दौरान हजारों लोग मारे गए और भारत सरकार ने इस साल खालिस्तान समर्थक आतंकवादी नेता की तलाश में एक बड़ा अभियान चलाया था.
खालिस्तानी समर्थकों के आगे झुकी कनाडा सरकार?
दरअसल, मंगलवार को कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या के पीछे भारत की भूमिका होने का आरोप लगाया है, इतना ही नहीं, कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने 'शीर्ष भारतीय राजनयिक' पवन राय कुमार को निष्कासित कर दिया. हालांकि, कनाडाई पुलिस ने निज्जर की हत्या के संबंध में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है. जानकारों का कहना है कि कनाडा सरकार ने यह फैसला संभवत: खालिस्तानी समूहों के दबाव को कम करने के लिए लिया है. भारत में ट्रूडो ने खालिस्तानी कट्टरपंथियों के खिलाफ बयान जारी किया था, जिसके बाद खालिस्तानी समूह कथित तौर पर ट्रूडो से नाराज चल रहे थे. निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तानी समर्थक ओटावा, टोरंटो और वैंकूवर में भारतीय दूतावास के अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं.