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'जयशंकर ने मुझे धमकी दी कि... तो बुरा अंजाम होगा', पूर्व नेपाली पीएम के आरोपों पर अब विदेश मंत्री दी ऐसी प्रतिक्रिया

नेपाल ने साल 2015 में अपना संविधान लागू किया था. साल 2021 में संविधान दिवस के मौके पर पूर्व नेपाली पीएम के पी शर्मा ओली ने एस जयशंकर पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने संविधान में बदलाव को लेकर उन्हें और बाकी पार्टियों को चेतावनी दी थी.

के पी शर्मी ओली के आरोपों पर अब एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी है (Photo- Reuters/Getty Images) के पी शर्मी ओली के आरोपों पर अब एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी है (Photo- Reuters/Getty Images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 4:26 PM IST

19 सितंबर 2021 को उस वक्त भारत-नेपाल के रिश्तों में बड़ा तनाव आ गया था जब पूर्व नेपाली प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष दूत रहे एस जयशंकर (विदेश मंत्री) पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने नेपाल के सातवें संविधान दिवस पर अपनी पार्टी (कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल) की स्टैंडिंग कमिटी के समक्ष कुछ राजनीतिक डॉक्यूमेंट्स पेश किए. डॉक्यूमेंट्स में लिखा था कि एस. जयशंकर ने संविधान में बिना बदलाव उसे लागू करने पर धमकी दी थी. अब जयशंकर ने इस आरोप पर खुलकर बात की है.

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विदेश मंत्री ने इस आरोप पर हमारी सहयोगी वेबसाइट 'द लल्लनटॉप' के शो 'जमघट' पर ओली के आरोपों को सिरे से खारिज किया है. जयशंकर से सवाल किया गया था, 'सितंबर 2021... के पी शर्मा पार्टी की स्टैंडिंग कमिटी को बोलते हैं कि जयशंकर ने मुझे और दूसरी पार्टियों को चेतावनी दी कि अगर इसी फॉर्मेट में संविधान लागू किया तो बुरा अंजाम होगा. क्या आपने उन्हें चेतावनी दी थी?'

जवाब में एस जयशंकर ने कहा, 'देखिए, राजनीति में लोग बहुत सी चीजें कहते हैं जब उससे उनका कुछ राजनीतिक फायदा होता है. हमारी नीति शुरू से ही ऐसी रही कि आप लोग साथ में बैठकर सहमति बनाएं... हिंसा बंद करें. राजनीति में लोग अपने फायदे के लिए चीजों को मिर्च-मसाले के साथ कह देते हैं, हो जाता है ऐसा...ठीक है.'

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'अखबारों की आदत होती है कि....'

उन्हीं दिनों इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 2015 में नेपाल जो संविधान लेकर आया है, भारत उसमें 7 बदलाव चाहता है. हालांकि, विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. लेकिन फिर 6 फरवरी 2016 को नेपाल ने सीमित स्तर पर अपने संविधान में वो बदलाव कर दिए जो कि भारत चाहता था.

जयशंकर ने हालांकि, इस बात को खारिज कर दिया कि भारत की तरफ से बढ़ते दबाव के कारण नेपाल ने अपने संविधान में बदलाव किया.

जयशंकर ने कहा, 'नहीं, ऐसा नहीं है. कभी-कभी अखबारों की आदत होती है... वो कहते हैं कि वो आपके बारे में आपसे ज्यादा जानते हैं. ऐसी बातें कहना उन अखबारों का अधिकार है लेकिन मैं बस ये कहना चाहता हूं कि हम अपने पड़ोसियों को बस यही सलाह देते हैं कि हम आपके यहां स्थिरता और प्रगति चाहते हैं. हम मदद के लिए भी तैयार हैं लेकिन हम ये नहीं चाहते कि अस्थिरता हो, हिंसा हो...कोई भी बड़ा देश नहीं चाहता कि उसकी सीमा पर तनाव हो.'

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