
नेपाल में जारी सियासी घमासान के बीच देश के पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के एक विवादित बयान से बवाल मचा हुआ है. नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल और भारत की आलोचना करते हुए केपी शर्मा ओली ने कहा कि दहल सरकार भारत के बौद्ध कॉलेज बनाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर चीन को धोखा दे रही है.
पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने शनिवार को चीन का समर्थन करते हुए कहा कि "दहल सरकार नेपाल को विदेशियों के लिए खेल का मैदान बनाने के लिए भारत को मुस्तांग में एक बौद्ध कॉलेज खोलने की अनुमति दे रही है. सरकार की यह योजना देश की संप्रभुता पर हमला है."
दहल के खिलाफ ओली का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दहल की पार्टी ने यूएमएल के साथ अपने गठबंधन को तोड़ दिया है. 9 मार्च को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में दहल की पार्टी ने नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार राम चंद्र पौडेल को समर्थन देने का फैसला किया है. ओली का आरोप है कि यूएमएल के साथ गठबंधन तोड़ने के पीछे विदेशी ताकत का हाथ है.
ओली के बयान को नेपाल सरकार ने खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने ऐसी कोई संस्था स्थापित करने का निर्णय नहीं लिया है. नेपाल सरकार की प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा है कि इस तरह की टिप्पणी से देश के विदेशी संबंधों पर असर पड़ सकता है. हालांकि, भारत सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
क्या बोले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री
ओली ने चीन के प्रति अपना प्रेम जग जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री दहल पर आरोप लगाया कि दहल भारत के प्रस्ताव को स्वीकार कर चीन को धोखा दे रहे हैं और नेपाल को विदेशी शक्तियों के लिए खेल का मैदान बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
ओली ने एक समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री दहल पर निशाना साधते हुए कहा, "विदेशियों को रिझाने के लिए मुस्तांग में एक बौद्ध कॉलेज की स्थापना हमारी राष्ट्रीयता और हमारे मित्र राष्ट्र चीन के साथ विश्वासघात है."
ओली ने कहा कि यह देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए खतरा है. आपको ऐसे स्थान पर बौद्ध कॉलेज की क्यों आवश्यकता है जहां कोई नहीं रहता है?
केपी शर्मा ओली को चीन का समर्थक माना जाता है. ओली का ड्रैगन के प्रति प्रेम इस कदर है कि चीन तत्कालीन प्रधानमंत्री ओली की कुर्सी बचाता था और बदले में ओली चीन के इशारों पर फैसला लेते थे.
ओली नेपाल में भारत विरोधी बयान देते रहे हैं. अगस्त 2020 में नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चीन के इशारों पर बॉर्डर पर तनाव के माहौल में चीन को नेपाल तक रेलवे लाइन बिछाने की अनुमति दे दी थी.
नेपाल सरकार ने ओली के बयान को नकारा
नेपाल सरकार की प्रवक्ता और संचार एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री रेखा शर्मा ने बयान जारी करते हुए कहा, "सरकार ने मुस्तांग जिले में ऐसी कोई संस्था स्थापित करने का निर्णय नहीं लिया है.
सरकार ने ओली के बयान पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "इस तरह की टिप्पणी से देश के विदेशी संबंधों पर असर पड़ सकता है. इस तरह से बोलना उचित नहीं है जो देश की विदेश नीति को प्रभावित करता हो. सरकार देश की संप्रभुता, अखंडता, राष्ट्रीय हितों और स्वतंत्र और गुटनिरपेक्ष विदेश नीति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है."
क्या है बौद्ध कॉलेज निर्माण का मामला
नेपाली अखबार 'द काठमांडू पोस्ट' के अनुसार, नेपाल सरकार तिब्बत और चीन की सीमा से लगे मुस्तांग के प्रतिबंधित क्षेत्र में भारत को एक बौद्ध कॉलेज स्थापित करने की अनुमति देने की तैयारी कर रही है. बरहा गांव मुक्ति क्षेत्र ग्रामीण नगर पालिका के अनुरोध पर भारत सरकार इस कॉलेज के निर्माण के लिए 70 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेगी.
इस कॉलेज को खोलने की पहल मुस्तांग शाक्य बुद्ध संघ ने की है. रिपोर्ट के अनुसार, जमीन की व्यवस्था भी शाक्य बुद्ध संघ ने ही की है. फिर नेपाल सरकार के माध्यम से भारत सरकार से इसका निर्माण करने का अनुरोध किया गया.
'द काठमांडू पोस्ट' से बात करते हुए सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि प्रस्ताव को स्थानीय नगर पालिका के अनुरोध पर भारत सरकार को भेजा गया था. अभी तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.
नेपाल सरकार की ओर से जारी बयान में सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री रेखा शर्मा ने कहा कि ऐसी जानकारी है कि मुस्तांग में बरहा गांव मुक्ति क्षेत्र ग्रामीण नगर पालिका ने कॉलेज स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता की मांग करते हुए भारतीय दूतावास को पत्र लिखा था. उन्होंने आगे कहा है कि सरकार इस मामले की जांच करेगी.