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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के परिवार को एक बड़ी राहत मिली है. गुरुवार को एक एंटी करप्शन कोर्ट ने नवाज शरीफ के दोनों बेटों के खिलाफ स्थायी गिरफ्तारी के वारंट को रद्द कर दिया, जो हाल ही में सात साल के आत्म-निर्वासन के बाद ब्रिटेन से पाकिस्तान लौटे हैं. 2016 पनामा पेपर्स स्कैंडल में नाम आने के बाद हसन नवाज और हुसैन नवाज ने 2018 में मुल्क छोड़ दिया था.
उन पर पनामा पेपर्स से संबंधित भ्रष्टाचार के तीन आरोप लगे थे लेकिन वे कभी कोर्ट के सामने पेश नहीं हुए जिसके चलते उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया था. इस्लामाबाद की एंटी करप्शन कोर्ट की ओर से 7 मार्च को दोनों के खिलाफ स्थायी गिरफ्तारी वारंट को गुरुवार तक निलंबित करने के बाद दोनों भाई मंगलवार को पाकिस्तान लौट आए.
50,000 रुपए के मुचलके पर मिली जमानत
हसन और हुसैन गुरुवार को इस्लामाबाद स्थित अकाउंटेबिलिटी कोर्ट में पेश हुए. दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फ्लैगशिप, अल-अजीजिया और एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामलों में जारी स्थायी गिरफ्तारी वारंट को रद्द कर दिया. अदालत ने 50,000 रुपए के मुचलके पर उनकी जमानत मंजूर कर ली. नवाज शरीफ के दोनों बेटों ने अगली सुनवाई पर अदालत में पेश होने से छूट के लिए भी आवेदन किया है. कोर्ट ने सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी है.
भ्रष्टाचार के मामलों में फंसा पूरा परिवार
दोनों भाई, जो ब्रिटिश नागरिक हैं, 2018 में अपने पिता नवाज शरीफ, बहन मरियम नवाज और उनके पति मुहम्मद सफदर के साथ भ्रष्टाचार के मामलों में फंस गए थे. नवाज शरीफ, मरियम और सफदर को एवेनफील्ड में दोषी ठहराया गया था. जबकि नवाज शरीफ को अल-अजीजिया मामले में भी दोषी ठहराया गया और फ्लैगशिप केस में बरी कर दिया गया था.
सभी ने अलग-अलग इन मामलों को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. मरियम और सफदर को 2022 में राहत मिल गई थी और अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था. जबकि नवाज शरीफ लंदन में रह रहे थे. पिछले साल वह पाकिस्तान वापस लौटे और उन्हें सभी मामलों में बरी कर दिया गया.