
पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद आफरीदी कश्मीर पर दिए गए अपने बयान से पलट गए हैं. अब उन्होंने कहा है कि कश्मीर पर दिए गए उनके बयान को सही तरीके से पेश नहीं किया गया.
शाहिद आफरीदी ने कश्मीर को लेकर दो ट्वीट किए हैं और अपनी सफाई पेश की है. उन्होंने अपने पहले ट्वीट में कहा है कि उनके बयान के हिस्से को अधूरा दिखया गया है और दूसरे ट्वीट में कहा है कि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया है.
पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'मेरी क्लिप अधूरी है और संदर्भ से काटकर पेश की गई है. इससे पहले मैंने जो कहा वह गायब है. कश्मीर अनसुलझा झगड़ा है और भारत के क्रूर शासन के अधीन है. इसे संयुक्त राष्ट्र के समझौते के अनुसार सुलझाया जाना चाहिए. हर पाकिस्तानी के साथ मैं भी कश्मीर के स्वतंत्रता संघर्ष का समर्थन करता हूं. कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा है.'
उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, 'मेरी टिप्पणी को भारतीय मीडिया ने गलत तरीके से समझा. मैं अपने देश के प्रति प्यार का भाव रखता हूं और कश्मीरियों के संघर्ष को महत्व देता हूं. वहां पर मानवता का राज होना चाहिए और उन्हें उनके अधिकार मिलने चाहिए.'
शाहिद आफरीदी ने कहा था कि पाकिस्तान से अपने 4 प्रांत तो संभलते नहीं हैं, इसलिए पाकिस्तान को कश्मीर की चिंता नहीं करनी चाहिए. शाहिद आफरीदी यहां अपनी संस्था शाहिद आफरीदी फाउडेंशन से जुड़े किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे.
कई बार दे चुके हैं कश्मीर पर बयान
गौरतलब है कि इससे पहले भी शाहिद अाफरीदी कश्मीर से जुड़े मुद्दे पर कई बार बोल चुके हैं. पिछले साल भारत में हुए टी-20 विश्वकप के दौरान एक मैच में शाहिद ने कहा था कि हमें सपोर्ट करने के लिए कई लोग कश्मीर से भी आए थे मैं उनका धन्यवाद करता हूं. शाहिद के इस बयान पर भी बवाल मचा था.
बयान के अलावा शाहिद कश्मीर की आज़ादी के समर्थन में काफी ट्वीट कर चुके हैं. उन्होंने 2017 में ट्वीट किया था कि कश्मीर एक जन्नत है जो काफी समय से हिंसा का शिकार होती आई है, अब समय है कि इस मुद्दे को सुलझाया जाए. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि 'आई स्टैंड विथ कश्मीर, कश्मीर सॉलिडेरिटी डे.
शाहिद ने लिखा था,'भारत के कब्जे वाले कश्मीर में स्थिति नाजुक होती जा रही है. वहां पर आज़ादी की आवाज़ को दबाया जा रहा है और बेगुनाहों को मारा जा रहा है. लेकिन यह देख कर हैरानी हो रही है कि अभी तक सयुंक्त राष्ट्र कहां पर है. संयुक्त राष्ट्र इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है'.