
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का रविवार को निधन हो गया. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अमेरिकन अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. मुशर्रफ अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित थे. परवेज मुशर्रफ की पाकिस्तान की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. एक समय पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली शख्स रहे मुशर्रफ का जन्म पाकिस्तान नहीं, बल्कि भारत की राजधानी दिल्ली के दरियागंज में 11 अगस्त, 1943 को हुआ था. लेकिन बंटवारे के समय 1947 में उनके परिवार ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया. विभाजन के महज कुछ दिन पहले ही उनका पूरा परिवार पाकिस्तान पहुंचा. उनके पिता सईद ने नए पाकिस्तान सरकार के लिए काम करना शुरू किया और विदेश मंत्रालय के साथ जुड़े.
परवेज मुशर्रफ के पिता का तबादला पाकिस्तान से तुर्की हुआ. 1949 में वह तुर्की चले गए. कुछ समय अपने परिवार के साथ तुर्की में रहे, वहीं उन्होंने तुर्की भाषा बोलनी सीख ली. 1957 में मुशर्रफ का पूरा परिवार फिर पाकिस्तान लौट आया. उनकी स्कूली शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई लहौर के फॉरमैन क्रिशचन कॉलेज में हुई. परवेज मुशर्रफ का सैन्य कमांडर और आर्मी चीफ से लेकर पाकिस्तान के राष्ट्रपति बनने तक का सफर भी काफी रौचक रहा है. आइए जानते हैं किस तरह मुशर्रफ ने पाकिस्तान को सालों तक अपने इशारों पर चलाया.
1961 में मुशर्रफ सेना में शामिल हुए. 1965 में उन्होंने अपने जीवन का पहला युद्ध भारत के खिलाफ लड़ा और इसके लिये उन्हें वीरता पुरस्कार भी दिया गया. 1971 में भारत के साथ दूसरे युद्ध में पाकिस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा. अक्टूबर 1998 में मुशर्रफ को जनरल (सैन्य प्रमुख) का ओहदा मिला और वे सैन्य प्रमुख बन गए. 1999 में उन्होंने बिना खून बहाए तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद से हटा कर सत्ता हथिया ली. 2001 में सैन्यप्रमुख रहते मुशर्रफ ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया.
2002 में विवादस्पद जनमत संग्रह के बाद मुशर्रफ 5 साल के लिए राषट्रपति बने. हलांकि आलोचकों का कहना था कि चुनावों में धांधली कर के वे जीते हैं. मुशर्रफ को आंतकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का भरपूर समर्थन मिला और आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के कारण ही नाटो सेना के संगठन में पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण सहयोगी देश था. मुशर्रफ के समर्थकों ने हमेशा ही उन्हें एक सशक्त और सफल नेता के रूप में पेश किया, जिन्होंने पाकिस्तान को कट्टरपंथ से उदार पाकिस्तान की छवि दी. 2007 में एक फिर राष्ट्रपति की कमान संभाली. उन्हीं के शासन में लाल मस्जिद पर जुलाई 2007 में हुई सैनिक कार्रवाई में 105 से भी ज्यादा लोग मारे गए. 3 नवंबर, 2007 को मुल्क में आपातकाल लगाया गया.
6 अक्टूबर 2007 को मुशर्रफ फिर एक बार राष्ट्रपति चुनाव जीते, लेकिन इस बार उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने 2 नवंबर को चर्चा की और 3 नवंबर 2007 को मुशर्रफ ने पाकिस्तान में आपातकाल लागू कर दिया. 24 नंवबर को पाकिस्तान चुनाव आयोग ने मुशर्रफ के राष्ट्रपति के तौर पर पुनर्निर्वाचित होने की पुष्टि की और जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैनिक वर्दी त्याग दी और पाकिस्तान के असैनिक राष्ट्रपति के तौर पर पद संभाला. 7 अगस्त 2008 के दिन पाकिस्तान की नई गठबंधन सरकार ने परवेज मुशर्रफ पर महाभियोग चलाने का फैसला किया. ठीक उनके 65वें जन्मदिन 11 अगस्त 2008 पर संसद ने उन पर महाभियोग की कार्रवाई शुरू की.
पंजाब, बलूचिस्तान सहित चार प्रांतीय संसदों ने बहुमत से ये प्रस्ताव पारित किया कि या तो मुशर्रफ जाएं या फिर महाभियोग का सामना करें. परवेज मुशर्रफ पर इस्तीफा देने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था. 18 अगस्त 2008 को मुशर्रफ ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने की घोषणा की. 06 अगस्त को मुशर्रफ ने अपने खिलाफ आरोपों को बेबुनियाद बताया औरपाकिस्तान छोड़कर ब्रिटेन चले गए.
23 जनवरी 2012 पाकिस्तान की संसद ने एक संकल्प पारित किया, जिसमें मुशर्रफ को पाकिस्तान लौटते हीतुरंत गिरफ्तार करने का निर्णय लिया. 24 मार्च 2013 मुशर्रफ चुनाव के लिए पाकिस्तान लौटे. 08 अप्रैल को देशद्रोह मामले में मुशर्रफ को सुप्रीम कोर्ट का समन जारी किया गया. 12 दिसंबर को विशेष अदालत ने मुशर्रफ को देश द्रोह मामले का सामना करने के लिए तलब किया. 02 जनवरी 2014 मुशर्रफ बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हुए. 16 मार्च 2016 मुशर्रफ को विदेश में इलाज कराने की अनुमति मिली. 11 मई को विशेषअदालत ने मुशर्रफ को देशद्रोह मामले में फरार घोषित कर दिया.
9 नवंबर 2018 को कोर्ट ने मुशर्रफ के वकील से कहा कि उन्हें वापस लौटने के लिए कहें. 31 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मुशर्रफ को 2 मई को देशद्रोह मामले में विशेष अदालत में पेश होने का आदेश दिया. 19 नवंबर को विशेष अदालत ने देशद्रोह मामले में अपनी कार्यवाही समाप्त की और कहा कि 28 नवंबर को फैसला सुनाया जाएगा. 23 नवंबर को मुशर्रफ ने लाहौर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. 27 नवंबर को उच्च न्यायालय ने राजद्रोह के मामले में फैसला सुनाने से विशेष अदालत को रोक दिया. 5 दिसंबर को विशेष अदालत ने 17 दिसंबर को फैसला सुनाने को कहा. 17 दिसंबर 2019 को विशेष अदालत ने मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई.
देश में इमरजेंसी लगाने और दिसंबर 2007 के मध्य तक संविधान को निलंबित करने के जुर्म में परवेज मुशर्रफ पर दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया. मुशर्रफ को 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया. मार्च 2016 से वह दुबई में रह रहे थे.