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नए साल के मौके पर आतंक पर पाकिस्तान को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप क्या भडके, पूरे पाकिस्तान में खलबली सी मच गई है. पाकिस्तान ने आनन-फानन में ग्लोबल टेररिस्ट हाफिज सईद की फंडिंग पर रोक लगा दी है. आखिर क्या है इसकी वजह, इसके बारे में आजतक ने कई जानकारों से बात की.
बौखलाए पाकिस्तान के समर्थन में अब चीन उठ खड़ा हुआ है और कह रहा है कि पाकिस्तान ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में साथ दिया. यह वह चीन कह रहा है जिसने खुद यूनाइटेड नेशन के अंदर पाकिस्तानी आतंकवादी और जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर को आतंकवादी मानने से इनकार कर दिया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दो टूक कह दिया कि उसने दुनिया को और अमेरिका को सिर्फ और सिर्फ धोखा दिया है. आतंकवाद से लड़ाई के बदले अमेरिका पाकिस्तान को अरबों डॉलर की मदद करता आया है. पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिका का कड़ा रुख भारत के लिए कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह भारत और अमेरिका के बीच बेहतर रिश्तो का भी एक नतीजा है.
तो ऐसा क्या हुआ जिससे अमेरिका के सब्र का बांध टूट गया और ट्रंप ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
स्ट्रैटेजिक मामलों के जानकार मेजर जनरल रिटायर्ड पी के सहगल ने आजतक से बातचीत में कहा, 'ट्रंप द्वारा पाकिस्तान को लगाई गई फटकार भारत के लिए फिलहाल एक बड़ी कूटनीतिक जीत है, क्योंकि इसका एक मतलब तो साफ है कि भारत पूरी दुनिया के भीतर पाकिस्तान को एक आतंकी देश साबित करने में कामयाब हो गया है और दुनिया को यह बताने में सफल रहा है कि पाकिस्तान दरअसल जिहाद और आतंकवाद की फैक्ट्री है.'
पाकिस्तान की नकेल कसने के पीछे मेजर जनरल पी के सहगल चार कारणों को महत्वपूर्ण मानते हैं-
1. 9/11 के बाद अमेरिका के दबाव में पाकिस्तान ने उसकी मदद तो की लेकिन उसी दरमियान अफगानिस्तान से हेलीकॉप्टर के जरिए पाकिस्तान भी अपनी एक पूरी ब्रिगेड को निकालने में कामयाब रहा. इतना ही नहीं जिस लादेन को अमेरिका तोरा बोरा में खोजता रहा उसे 10 सालों तक पाकिस्तान ने अपने घर में छुपाए रखा. हर साल 2.2 बिलियन डॉलर की मदद लेने वाला पाकिस्तान उसी अमेरिका के साथ धोखा करता रहा.
2. अमेरिका पाकिस्तान को मिलिट्री ऐड भी देता रहा, जिसके जरिए वह पाकिस्तान में हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर सके, लेकिन पाकिस्तान ने उसी फंड का इस्तेमाल हक्कानी नेटवर्क को पालने पोसने में किया जो अफगानिस्तान में नाटो फोर्सेस के खिलाफ आतंकी हमले में इस्तेमाल होता रहा. इतना ही नहीं, खुद पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
3. तालिबान और अलकायदा के बड़े नेता मसलन मुल्ला उमर जैसे नेताओं पर जब अमेरिका ने कार्यवाही की और उनके खिलाफ ड्रोन हमले किए तो यह तमाम लोग भी पाकिस्तान के फाटा या क्वेटा इलाकों में पाए गए या नहीं सीधा-सीधा संदेश साफ था कि पाकिस्तान से आतंकियों को भी शरण दे रहा था. पाकिस्तान ऐसे आतंकियों को भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ अलग-अलग मोर्चों पर इस्तेमाल करता रहा.
4. एक समय ऐसा भी आया जब एक लाख से ज्यादा अमेरिकी फौज अफगानिस्तान में थे और उन तक पहुंचने वाली रसद पाकिस्तान से होकर जाती थी. पाकिस्तान खुद उनके कॉनवॉय पर हमला करता था और उन्हें सुरक्षित रास्ता देने के लिए पैसों की मांग करता था. अमेरिका को पाकिस्तान की लूट-खसोट के बारे में पता था. अपनी फौज को बचाने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान को नाटो का गैर सदस्य सहायक घोषित किया और उसके बदले उसकी आर्थिक मदद बढ़ा दी जो भारत के लिए चिंता का विषय बन गई थी.
रिटायर्ड मेजर जनरल पी के सहगल कहते हैं कि जैसा आज ट्रंप ने कहा कि आखिर हम को क्या मिला. पाकिस्तान ने अमेरिका का सिर्फ इस्तेमाल किया और उसे धोखा दिया और वह अमेरिका से मिली आर्थिक मदद का इस्तेमाल उन्हीं के खिलाफ किया और अब जो ट्रंप कह रहे हैं कि जो आपने हमारे नेताओं को सालों से बेवकूफ बनाया वह समय खत्म हो गया है अभी तो यह शुरुआत है. अगर अभी भी पाकिस्तान बाज नहीं आया तो ये संकेत साफ हैं कि जल्द ही अमेरिका गैस सहायक स्टेटस भी पाकिस्तान से छीन लेगा और जल्दी ही पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित किया जा सकता है जैसे ही अमेरिका उसे आतंकवादी देश घोषित करेगा सभी तरह से आर्थिक संगठन पाकिस्तान पर लग जाएंगे और पाकिस्तान बर्बाद हो जाएगा और फिर चीन लाख कोशिश कर ले पाकिस्तान की मदद नहीं कर पाएगा.