
फ्रांस में सीनेट की ओर से एक नए प्रस्ताव के समर्थन में वोट किए जाने से सोशल मीडिया पर मुस्लिम समुदाय की ओर से नाराजगी जताई जा रही है. इस प्रस्ताव में सार्वजनिक जगहों पर 18 वर्ष से नीचे की लड़कियों के हिजाब (सिर को ढकने वाला कपड़ा) पहनने पर रोक लगाने का प्रावधान है. ये प्रस्ताव ‘सेपरेटिज्म’ बिल का हिस्सा है. ये अभी प्रभावी नहीं हुआ है. इसके अमल में आने के लिए पहले नेशनल असेम्बली से मंजूरी लेनी होगी.
एक महीना पहले स्विट्जरलैंड के वोटरों ने बुरका और नकाब पर रोक लगाने के लिए वोट किया था. फ्रांस की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले हफ्ते फ्रैंच सीनेट ने इस प्रस्ताव के समर्थन मे वोट किया. इसमें, सार्वजनिक जगह पर किसी स्पष्ट धार्मिक प्रतीक को नाबालिगों की ओर से पहने जाने या ऐसी कोई भी ड्रेस या कपड़ा जो महिलाओं के आंतरिकीकरण की पहचान कराता हो, पर रोक लगाने की बात कही गई है.
फ्रांस में 54 लाख मुस्लिम
इसके अलावा हिजाबी महिलाओं के स्कूल फील्ड ट्रिप्स पर साथ जाने पर रोक, स्विमिंग पुल पर बुरकिनी (एक तरह का स्विमसूट जो बुर्के से काफी मिलता-जुलता है) पहनने पर रोक के प्रस्ताव भी ‘सेपरेटिज्म बिल’के हिस्सा हैं. फ्रांस में मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 54 लाख है.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पहले ही कह चुके हैं कि हिजाब फ्रांस के धर्मनिरपेक्ष आदर्शों से मेल नहीं खाता. उन्होंने ये भी कहा था कि हिजाब पहन कर सड़कों पर चलने पर रोक लगाने वाला कानून बनाया जाएगा.
हैरानी की बात है कि फ्रांस में शारीरिक संबंध के लिए रजामंदी की न्यूनतम उम्र 15 साल करने वाला बिल हाल में पास हुआ है. ऐसे में हिजाब पहनने पर रोक वाला प्रस्ताव कानून बन जाता है तो उसमें हिजाब पहनने के लिए रजामंदी की न्यूनतम उम्र 18 साल रहेगी.
फ्रांस के हिजाब संबंधी प्रस्ताव पर दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है. ओलम्पियन और अमेरिकी फेंसिंग टीम की सदस्य इब्तिहाज मुहम्मद ने इंस्टाग्राम पर कुछ इस तरह अपनी नाखुशी जताई.
इब्तिहाज ने लिखा- “ये है जो होता है जब आप मुस्लिम विरोधी हेट स्पीच, पक्षपात, भेदभाव और हेट क्राइम्स का सामान्य चीज बना देते हैं. इस्लामोफोबिया को कानून बना दिया जाता है. अल्लाह हमारी बहनों की हिफाजत करे.”
कुछ सोशल मीडिया यूजर्स सोशल मीडिया यूजर्स फ्रांस के प्रस्ताव को नारी-विरोधी भी बता रहे हैं. @divafeminist ने ट्वीट में लिखा- “बहुत ही बुनियादी स्तर पर फ्रांस की ओर से 18 साल से कम की उम्र की लड़कियों और स्कूल ट्रिप्स को अटैंड करने वाली महिलाओं के हिजाब पहनने पर रोक लगाना इस्लामोफोबिक, पुरुष-प्रधान और नारी-विरोधी है. आप इसके लिए कुछ भी कहें ये लड़कियों और महिलाओं की देह पर नियंत्रण रखने के संबंध में हैं.”
ट्वीटर यूजर @hotlinefalcone ने ट्वीट किया- अभी फ्रांस में 18 साल से नीचे की महिलाओं के सार्वजनिक तौर पर हिजाब पहनने पर रोक लगाई गई है. हालांकि कि ये बिल नया नहीं है, लेकिन वो दलील दे रहे हैं कि इसमें युवा मुस्लिम महिलाओं को ‘मदद’ होगी और ये उन्हें खुद को ऐसा कुछ पहनने के लिए दबाव में होना महसूस करने से रोकेगा, जिसके लिए फैसला करने का हक उन्हीं को है.
पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर ऐसे भी तर्क दिए जा रहे हैं कि जब वर्ष 2010 में जब निकोलस सरकोजी फ्रांस के राष्ट्रपति थे तो सार्वजनिक जगहों पर चेहरे को ढकने वाले नकाब पहनने पर रोक लगा दी गई थी. पिछले साल फ्रांस में कोविड-19 के खतरे को देखते हुए सभी के लिए मास्क पहनना जरूरी कर दिया गया. लेकिन नकाब को अब भी ‘धार्मिक’ मानते हुए उसके पहनने पर जुर्माना किया जाता है जबकि वो भी मास्क जितना ही चेहरे को ढकता है.