
फ्रांस में रविवार को राष्ट्रपति चुनावों के लिए मतदान होने हैं. इससे पहले उम्मीदवारों के बीच मतदाताओं को लुभाने की होड़ सी लग गई है. दक्षिणपंथी विचारधारा रखने वाली राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मरीन ले पेन ने गुरुवार को घोषणा की कि अगर वो राष्ट्रपति चुनकर आती हैं तो सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने वालों को जुर्माना देना पड़ेगा.
ऐसा माना जा रहा था कि राष्ट्रपति पद की दावेदारी में इमैनुएल मैक्रों के टक्कर का कोई नहीं है लेकिन पेन ने आक्रामक तरीके से चुनाव प्रचार किया है और अब ये कहा जाने लगा है कि वो मैक्रों को कड़ी टक्कर देने वाली हैं.
RTL रेडियो से बात करते हुए ले पेन ने कहा कि जिस तरह गाड़ियों में सीटबेल्ट पहनने को अनिवार्य बनाया गया है, उसी तरह ये फैसला भी लागू किया जाएगा कि मुसलमान सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब न पहनें.
उन्होंने कहा, 'जिस तरह सीटबेल्ट नहीं पहनने पर जुर्माना देना पड़ता है, लोगों को ठीक उसी तरह हिजाब पहनने पर जुर्माना देना होगा. मुझे लगता है कि पुलिस इसको लागू करने में सक्षम होगी.'
ले पेन ने कहा कि उनके कानूनों को भेदभावपूर्ण और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन बताकर संवैधानिक चुनौती दी जा सकती है. इस तरह की चुनौतियों से बचने के लिए वो जनमत संग्रह का रास्ता अपनाएंगी.
फ्रांस में इससे पहले स्कूलों में धार्मिक प्रतीकों पर प्रतिबंध लगा दिया है. सार्वजनिक स्थानों पर पूरा चेहरा ढकने की भी मनाही है.
53 वर्षीय ले पेन इससे पहले के चुनावों में अप्रवासियों के खिलाफ अधिक बयानबाजी करती थी लेकिन इस साल उन्होंने घरेलू मुद्दों पर अधिक ध्यान दिया है. वो मैक्रों की चुनावी रणनीति को कड़ी टक्कर दे रही हैं.
फ्रांस में राष्ट्रपति चुनावों को लेकर जो सर्वेक्षण सामने आ रहे हैं, उससे पता चलता है कि इस रविवार को होने वाले मतदानों में ले पेन मैक्रों को ज्यादा कड़ी टक्कर नहीं दे पाएंगी लेकिन दूसरे चरण में वो मैक्रों को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही हैं. 24 अप्रैल को दूसरे दौर का मतदान होना है. इस दौर में मैक्रों को 54% वोट मिलते दिख रहे हैं, वहीं ले पेन को 46%.
इस बार फ्रांस के चुनावों में स्वास्थ्य, महंगाई, आय आदि बुनियादी चीजें बड़ी प्राथमिकता है. कोविड-19 और यूक्रेन युद्ध के कारण फ्रांस की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ा है जिससे लोग परेशान हैं.