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Before and After: इजरायल से जंग में खंडहर में तब्दील हुआ गाजा, तस्वीरों में देखें एक साल में कितना बदला शहर

गाजा पर इजरायल की जंग ने शहर को नेस्तनाबूद कर दिया है. मसलन, इजरायल ने एक साल में ही इतनी तबाही मचाई और इमारतों को नष्ट किया, जितना की रूस ने दो साल में पूरे यूक्रेन में अंजाम दिया है. आलम ये है कि पूरे गाजा में 40 मिलियन टन मलबा जमा हो गया है, जिसे हटाने में 15 साल का समय लग सकता है.

पहले और अब में कितना बदला गाजा? पहले और अब में कितना बदला गाजा?
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST

इजरायल पर हमास के हमले को आज एक साल हो गए हैं. इसके बाद नेतन्याहू की जंग ने गाजा पट्टी को खंडहर बना दिया. बिल्डिंग्स की जगह अब मलबे के पहाड़ हैं, इससे आ रही शवों की बदबू और सीवेज के दूषित पानी से बीमारियां फैल रही हैं. शहर की सड़कें गंदगी से भरी घाटियों में तब्दील हो चुकी हैं.

इजरायल और हमास के बीच जंग पहले भी हुई हैं, लेकिन मौजूदा जंग ने गाजा पट्टी में 41000 से ज्यादा जानें ली हैं. इनमें आधे से ज्यादा महिलाएं और बच्चे हैं. जंग का कोई अंत नजर नहीं आ रहा और हर दिन गाजावासियों के लिए एक चुनौती बन रही है. जंग खत्म होने के बाद भी उन्हें सालों तक गंदे टेन्ट में रहने को मजबूर होना पड़ सकता है.

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एक्सर्ट मानते हैं कि शहर के री-कंस्ट्रक्शन में दशकों लग सकते हैं. सैटेलाइट फुटेज के आधार पर यूनाइेड नेशन ने एक आकलन में बताया था कि जंग के दौरान गाजा की लगभग एक चौथाई रेजिडेंशियल बिल्डिंग्स, अस्पताल और अन्य भवनों को नष्ट कर दिया गया है. 66% या 227,000 से ज्यादा रेजिडेंशियल बिल्डिंग को कुछ न कुछ नुकसान हुआ है.

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यूनाइटेड नेशन का अनुमान है कि गाजा में इजरायली बॉम्बिंग की वजह से 40 मिलियन टन मलबा जमा हो गया है. कहा जा रहा है कि यह इतना मलबा है कि इससे 25 फीट गहरे तालाब को भरा जा सकता है. शहर से इन मलबों को हटाने में 15 साल का वक्त लग सकता है, और इसपर लगभग 650 मिलियन डॉलर खर्च करने की जरूरत होगी.

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गाजा में 70% वाटर और सीवेज सिस्टम को ध्वस्त कर दिया गया है. यहां 80% से ज्यादा हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर और इससे भी ज्यादा सड़कें क्षतिग्रस्त या नष्ट कर दी गई हैं. शहर की 23 लाख में 90% आबादी जंग में विस्थापित हो गई हैं.

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हजारों लोग टेन्ट्स में बिना बिजली, खाने-पीने की व्यवस्था और शौचालय सुविधा के बगैर रहने को मजबूर हैं. सितंबर में स्थानीय संस्था ने अनुमान लगाया था कि 900,000 लोगों को अभी भी टेन्ट की जरूरत है.

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यूनाइटेड नेशन की संस्थाओं की मानें तो यहां बेरोजगारी का स्तर 80% तक पहुंच गई है, और लगभग पूरी आबादी गरीबी में है.

असल बात शहर के री-कंस्ट्रक्शन को लेकर है, जहां इजरायल इसके खिलाफ नजर आता है और अपना रुख साफ कर चुका है. जंग से पहले और बाद में भी जहां इजरायली एडमिनिस्ट्रेशन गाजा को कब्जाने की अपनी मंशा से इनकार कर रहा था, उसका रुख अब बदल चुका है.

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एपी की एक रिपोर्ट की मानें तो इजरायली पीएम नेतन्याहू खुद कह चुके हैं कि इजरायल गाजा शहर पर सिक्योरिटी कंट्रोल बनाए रखेगा और लोकल एडमिनिस्ट्रेशन फिलिस्तीनियों को सौंप दिया जाएगा.

गाजा में तबाही और शहर के फ्यूचर के सवाल पर सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे अमीर अरब मुल्क शहर के री-कंस्ट्रक्शन के समर्थन में है और ऐलान भी कर चुके हैं कि वे शहर के पुनर्निर्माण में मदद करेंगे.

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