
वरिष्ठ पत्रकार और भू-राजनीतिक विशेषज्ञ फरीद जकारिया ने इंडिया टुडे टीवी को बताया कि पश्चिम एशिया में खतरे का वास्तविक दौर चल रहा है, जो इस बात की संभावना है कि अगर इजरायल और ईरान के बीच सीधा युद्ध होता है तो यह एक पूर्ण क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है. इंडिया टुडे टीवी के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से बात करते हुए जकारिया ने कहा कि यहूदी राष्ट्र द्वारा क्षेत्र में ईरान समर्थित आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के फैसले के बाद अब ध्यान गाजा में इजरायल के युद्ध से हट गया है.
जकारिया ने कहा, "इजरायल उत्तरी इजरायल में (ईरानी प्रॉक्सी संगठनों द्वारा) लगातार रॉकेट दागे जाने की इस गतिशीलता को समाप्त करने का प्रयास कर रहा है. इसलिए वे पीछे हट रहे हैं और अब वे खुद से यह पूछना शुरू कर रहे हैं कि क्या उन्हें ईरान के खिलाफ ही पीछे हटना चाहिए. इसलिए मैं कहता हूं कि यह अधिकतम खतरे का क्षण है, क्योंकि अब आपके पास इजरायल और ईरान के बीच सीधे तनाव बढ़ने की वास्तविक संभावना है."
जकारिया ने पिछले हफ्ते इजरायल पर ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल हमले का जिक्र करते हुए कहा कि ईरान भले ही बहुत शक्तिशाली देश न हो, लेकिन यह हिज़्बुल्लाह जैसा मिलिशिया भी नहीं है. यह 80 मिलियन की आबादी वाला एक मजबूत देश है और दुनिया के सबसे बड़े पेट्रोलियम निर्यातकों में से एक है. संघर्ष में अमेरिका की भूमिका के बारे में बात करते हुए, जो इस क्षेत्र में इजरायल का सबसे बड़ा समर्थक रहा है, ज़कारिया ने कहा कि वाशिंगटन इज़रायल को ईरान पर हमला करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इस तरह से कि यह खतरनाक रूप से उग्रवादी न हो.
उन्होंने स्पष्ट किया, "इसका मतलब है कि (ईरान के) परमाणु स्थलों और तेल रिफाइनरियों पर हमला न करें."
जकारिया ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को दुनिया के सबसे चतुर खिलाड़ियों में से एक बताया और कहा कि वे अगले 30 दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों का लाभ उठाते हुए इस क्षेत्र में अधिक स्वतंत्रता के साथ काम करने की कोशिश करेंगे.
जब उनसे पूछा गया कि अगर ईरान के साथ इजरायल का बढ़ता संघर्ष युद्ध में बदल जाता है तो क्या अमेरिका सीधे लड़ाई में शामिल होगा, तो ज़कारिया ने कहा, "मेरा अनुमान है कि अमेरिका इस हाल में बाहर रहने की कोशिश करेगा कि वह इजरायल को रक्षात्मक तकनीक और रक्षात्मक मदद प्रदान करेगा. अगर ईरानी रॉकेट इजरायली शहरों पर बरसते हैं, तो अमेरिका उन्हें रोकने की कोशिश करेगा. लेकिन मुझे नहीं लगता कि अमेरिका सीधे तौर पर इसमें शामिल होगा."