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जॉर्ज सोरोस को लेकर कॉन्सपिरेसी थ्योरीज क्या हैं? क्यों ये यहूदी-अमेरिकी कारोबारी अलग-अलग देशों में है विवादित

जॉर्ज सोरोस और उनकी ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को कई देशों की सरकारों और विरोधी समूहों ने 'तबाही का एजेंट' करार दिया है. उन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का तख्तापलट करने की कथित साजिश का अहम किरदार भी बताया गया.

जॉर्ज सोरोस (Photo: Reuters file) जॉर्ज सोरोस (Photo: Reuters file)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:58 PM IST

अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस (George Soros) को लेकर भारत में एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी ने 9 दिसंबर को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर भारत को कथित तौर पर अस्थिर करने के लिए जॉर्ज सोरोस जैसी 'अंतरराष्ट्रीय ताकतों' के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया. सोरोस हमेशा से कॉन्स्पिरेसी थ्योरीज के केंद्र में रहे हैं. इस वजह से वह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई देशों में विवादित शख्सियत भी हैं.  

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जॉर्ज सोरोस पर दक्षिणपंथी समूहों की ओर से अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक विरोध प्रदर्शन या संकट पैदा करने का आरोप लगाया जाता है. सोरोस एक अत्यंत विवादित शख्सियत हैं. लेकिन वह अपने समर्थकों के लिए लोकतंत्र, मानवाधिकार और खुले समाज को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध, दूरदर्शी और परोपकारी व्यक्ति हैं. वहीं उनके आलोचक सोरोस को एक कुटिल और शक्तिशाली अरबपति मानते हैं, जो अपनी संपत्ति का उपयोग अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिर करने और संप्रभु राष्ट्रों के राजनीतिक मामलों को प्रभावित करने के लिए करता है. 

जॉर्ज सोरोस और उनकी ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को कई देशों की सरकारों और विरोधी समूहों ने 'तबाही का एजेंट' करार दिया है. उन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का तख्तापलट करने की कथित साजिश का अहम किरदार भी बताया गया. इसके साथ ही माइग्रेशन की वजह से यूरोपीय यूनियन में अस्थिरता और अरब स्प्रिंग प्रोटेस्ट की फंडिंग करने का भी आरोप लगा है.

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करेंसी मैनिपुलेशन में रहा है रोल!

कहा जा रहा है कि सोरोस की वजह से 1997 में एशिया के वित्तीय संकट खड़ा हो गया था. उन पर मलेशिया और थाइलैंड की करेंसी से छेड़छाड़ करने के आरोप लगे हैं.

यूके में सोरोस को बैंक ऑफ इंग्लैंड को 'बर्बाद' करने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है. कथित रूप से सोरोस ने पहले पाउंड उधार लिए और फिर उन्हें बेच दिया. इससे यूके की करेंसी कमजोर हो गई. इस पूरे लेन-देन से सोरोस को कथित तौर पर एक अरब डॉलर का मुनाफा हुआ था.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट बताती है कि इस करेंसी मैनिपुलेशन की वजह से कई एशियाई देशों में सत्ता बदल गई. साउथ कोरिया में पहली बार किसी विपक्षी उम्मीदवार ने राष्ट्रपति चुनाव जीता था. इंडोनेशिया में तीन दशकों की आर्थिक वृद्धि के बावजूद सुहार्तो को सत्ता गंवानी पड़ी थी.

जॉर्ज सोरोस और ओपन सोसायटी फाउंडेशन

जॉर्ज सोरोस ने 1984 में ओपन सोसायटी फाउंडेशन की शुरुआत की थी. फाउंडेशन का दावा है कि उसकी टीम 120 से ज्यादा देशों में लोकतंत्र, न्याय और मानवाधिकारों के मूल्यों को बढ़ावा देने का काम कर रही है.

सोरोस खुद को जरूरतमंदों की मदद करने वाला बताते हैं. उनकी वेबसाइट पर दावा किया है कि सोरोस अब तक अपनी पर्सनल वेल्थ से 32 अरब डॉलर जरूरतमंदों की मदद के लिए दे चुके हैं.

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फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में एक भाषण में, सोरोस ने राष्ट्रवाद के प्रसार से निपटने के लिए एक नए यूनिवर्सिटी नेटवर्क को फंडिंग करने के लिए 1 अरब डॉलर देने का वादा किया था. उस भाषण में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आलोचना की थी.

सत्ता परिवर्तन करने की साजिश के आरोप

जॉर्ज सोरोस और उनकी संस्था ओपन सोसायटी फाउंडेशन पर सत्ता परिवर्तन करने की साजिश रचने के आरोप भी लगते रहे हैं. 2016 में रूस की न्यूज एजेंसी स्पुतनिक ने रिपोर्ट में दावा किया था कि ओपन सोसायटी फाउंडेशन पुतिन को राष्ट्रपति पद से हटाने की साजिश रच रही है.

स्पुतनिक ने दावा किया था कि ओपन सोसायटी फाउंडेशन और जॉर्ज सोरोस दुनियाभर में अपने विचारों को थोपने के लिए पैसे और प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं.

केवल रूस ही नहीं, अमेरिका में भी तख्तापलट की साजिश रचने के आरोप जॉर्ज सोरस और ओपन सोसायटी पर लगे हैं. 2011 में अमेरिका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. इन विरोध प्रदर्शनों के लिए फंडिंग करने का आरोप जॉर्ज सोरोस पर लगा था. आरोप लगा था कि अरब स्प्रिंग की तरह ही जॉर्ज सोरोस अमेरिका में भी विद्रोह भड़काने की साजिश रच रहे हैं.

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ये भी आरोप लगा कि सोरोस ने अरब स्प्रिंग के पीछे स्थानीय संगठनों को फंडिंग की थी. 2011 में मध्य पूर्व के कई मुल्कों में विद्रोह की लहर उठी थी. इसमें ट्यूनीशिया और मिस्र जैसे देशों में तख्तापलट हो गया था.

जब कहा था- बुश को हटाना 'जिंदगी और मौत का सवाल' 

जॉर्ज सोरोस अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के सबसे बड़े आलोचक रहे हैं. उन्होंने 2003 में ऐलान कर दिया था कि जॉर्ज डब्ल्यू बुश को सत्ता से हटाना उनका मकसद है.

11 नवंबर 2003 को वॉशिंगटन पोस्ट को दिए इंटरव्यू में सोरोस ने कहा था कि जॉर्ज डब्ल्यू बुश को राष्ट्रपति पद से हटाना उनके जीवन का सबसे बड़ा मकसद है और ये उनके लिए 'जीवन और मौत का सवाल' है. सोरोस ने कहा था कि अगर कोई उन्हें सत्ता से बेदखल करने की गारंटी लेता है, तो वो उस पर अपनी पूरी संपत्ति लुटा देंगे.

रिपोर्ट के मुताबिक, सोरोस ने अमेरिकन प्रोग्रेस को 3 मिलियन डॉलर, MoveOn.org को 2.5 मिलियन डॉलर और अमेरिका कमिंग टूगेदर को 20 मिलियन डॉलर दिए थे. ये संगठन 2004 के अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेट्स का समर्थन करने का काम कर रहे थे.

सितंबर 2004 में सोरोस ने डेमोक्रेट्स के समर्थन में और पैसा लुटाया था. उन्होंने एक भाषण भी दिया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि 'हमें बुश को दोबारा क्यों नहीं चुनना चाहिए?' 

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इतना ही नहीं, सोरोस अमेरिका के भी कट्टर आलोचक रहे हैं. 9/11 के हमले के बाद अमेरिका ने जब आतंकवाद के खिलाफ जंग की शुरुआत की तो सोरोस ने इसकी भी आलोचना की. सोरोस ने एक इंटरव्यू में कहा, 'अमेरिका दुनिया के लिए एजेंडा सेट करता है और वो चाहता है कि दुनिया उसके हिसाब से चले. 11 सितंबर के बाद जब आपने आतंकवाद के खिलाफ जंग का ऐलान किया तो आपने गलत एजेंडा सेट कर दिया, क्योंकि जब आप जंग छेड़ते हैं तो आप निर्दोषों को शिकार बनाते हैं.' 

2017 में सोरोस ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को 'ठग' बताया था. सोरोस ने कहा था कि उनका मानना है कि ट्रम्प ट्रेड वॉर शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं और उम्मीद करते थे कि फाइनेंशियल मार्केट खराब परफॉर्म करेंगी.

भारत के खिलाफ जहर उगलते रहे हैं सोरोस

जॉर्ज सोरोस भारत के खिलाफ भी जहर उगलते रहे हैं. 2017 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में भाषण देते हुए सोरोस ने कहा था, 'सबसे बड़ा और सबसे भयावह झटका भारत में लगा है, जहां लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नरेंद्र मोदी एक हिंदू राष्ट्र बना रहे हैं. कश्मीर पर दंडात्मक उपाय लागू किए जा रहे हैं. लाखों मुसलमानों से उनकी नागरिकता छीनने की धमकी दी जा रही है.'

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जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सोरोस ने कहा था, प्रधानमंत्री कश्मीर पर प्रतिबंध लगाकर वहां के लोगों को सजा दे रहे हैं और लाखों मुसलमानों से नागरिकता छीनने की धमकी दे रहे हैं.

पिछले साल जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी, तब भी सोरोस ने भारत विरोधी बातें कही थीं. जॉर्ज सोरोस ने कहा, 'मोदी और अडानी करीबी हैं. अडानी ने शेयर बाजार में फंड जुटाने की कोशिश की, लेकिन वो फेल हो गए. अडानी पर स्टॉक में गड़बड़ी करने के आरोप हैं, उनके स्टॉक ताश के पत्तों की तरह ढह गए. मोदी इस मुद्दे पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों के जवाब देने होंगे.'

इस पर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पलटवार किया और कहा था कि विदेशी धरती से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. जॉर्ज सोरोस ने भारत के लोकतंत्र में दखल देने की कोशिश की है और प्रधानमंत्री मोदी उनके निशाने पर हैं. ईरानी ने आरोप लगाया कि सोरोस भारतीय लोकतंत्र को नष्ट करना चाहते हैं और अपने 'चुने हुए लोगों' से यहां सरकार चलवाना चाहते हैं.

कौन हैं जॉर्ज सोरोस?

जॉर्ज सोरोस का जन्म 1930 में हंगरी के बुडापेस्ट में हुआ था. उनकी वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब हंगरी में यहूदियों को मारा जा रहा था, तब उनके परिवार ने झूठी आईडी बनवाकर जान बचाई थी.

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विश्व युद्ध खत्म होने के बाद जब हंगरी में कम्युनिस्ट सरकार बनी तो 1947 में वो बुडापेस्ट छोड़कर लंदन आ गए. यहां उन्होंने रेलवे कुली से लेकर एक क्लब में वेटर का काम भी किया. इसी दौरान उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की.

1956 में वो लंदन से अमेरिका आ गए. यहां आकर उन्होंने फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट की दुनिया में कदम रखा और अपनी किस्मत बदली. 1973 में उन्होंने 'सोरोस फंड मैनेजमेंट' लॉन्च किया. उनका दावा है कि अमेरिकी इतिहास में उनका फंड सबसे बड़ा और कामयाब इन्वेस्टर है. 

सोरोस ने 1979 से अपनी संपत्ति से दान देना शुरू किया. उन्होंने पहली बार रंगभेद का सामना कर रहे ब्लैक अफ्रीकी छात्रों को पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी.

जॉर्ज सोरोस ने तीन शादियां की हैं. 1960 में उन्होंने एनालिसे विश्चेक से शादी की थी. एनालिसे जर्मनी की प्रवासी थीं, जो विश्व युद्ध के दौरान अनाथ हो गई थीं. सोरोस और एनालिसे के तीन बच्चे हैं. हालांकि, ये शादी ज्यादा नहीं चली और उन्होंने तलाक ले लिया. एनालिसे से तलाक के बाद 1983 में जॉर्ज सोरोस ने सुसेन वीबर से शादी की. इनसे उन्हें दो बच्चे हुए. 2005 में सोरोस और सुसेन का तलाक हो गया. 2008 में सोरोस की मुलाकात तामिको बोल्टन से हुई. दोनों ने अगस्त 2012 में शादी की. तामिको जापानी-अमेरिकी हैं. उनकी परवरिश कैलिफोर्निया में ही हुई है.

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