
दो दिवसीय भारत दौरे पहुंचे जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने पीएम मोदी से मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने स्वच्छ ऊर्जा, कारोबार, रक्षा एवं नई प्रौद्योगिकी, आतंकवाद और रूस-यूक्रेन युद्ध समेत कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की. इस दौरान पीएम मोदी के सामने ही जर्मन चांसलर ने असहज होने वाली बात कह दी.
जर्मन चांसलर ने पीएम मोदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सख्त लहजे में दुनिया के देशों को रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आह्वान किया. भारत भी उन देशों में शामिल है जो रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थ रुख अपनाए हुए हैं. भारत युद्ध की शुरुआत से ही बातचीत से हल निकालने का पक्षधर रहा है.
जर्मन चांसलर का यह बयान इसलिए मायने रखता है क्योंकि संयुक्त राष्ट महासभा ने दो दिन पहले ही स्थायी शांति के लिए यूक्रेन युद्ध के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है. यूक्रेन और उसके समर्थक देशों की ओर से लाए गए इस प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं की. भारत ने इससे पहले भी युद्ध से जुड़े ऐसे सभी प्रस्तावों पर वोटिंग नहीं की थी.
यूक्रेन युद्ध अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन ः स्कोल्ज
जर्मन चांसलर ने जोर देते हुए कहा कि यूक्रेन युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय कानून के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि बॉर्डर को बदलने के लिए हिंसा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र में हम इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें. हम बार बार-बार बहुत स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि हम इस विषय पर कहां खड़े हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्कोल्ज ने कहा कि यूक्रेन युद्ध से भारी तबाही हो रही है. यूक्रेन में रूस ने शहरों, रेलवे लाइनों और पावर ग्रिड को नष्ट कर दिया है जिससे भारी नुकसान हुआ है.
भारत ने रूस की नहीं की है आलोचना
भारत किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच से यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाइयों की आलोचना नहीं की है. इसके अलावा भारत रूस से भारी मात्रा में रियायत कीमतों के साथ कच्चा तेल खरीद रहा है. दूसरी ओर यूरोप का सबसे बड़ा गैस उपभोक्ता देश जर्मनी रूस से गैस खरीदना बंद कर दिया है.
हालांकि, जर्मन मीडिया में भी इस बात की चर्चा तेज है कि जर्मनी और भारत के बीच यूक्रेन को लेकर मतभेद हैं. लेकिन इस बात की कोई उम्मीद नहीं है कि ओलाफ स्कोल्ज की यात्रा के बाद भारत रूस-यूक्रेन को लेकर अपना मन बदल ले.
स्कोल्ज के भारत दौरे के दौरान कोई भी संयुक्त बयान नहीं जारी किया गया. हालांकि, दोनों देशों ने "इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी में सहयोग बढ़ाने के लिए भारत-जर्मनी विजन" शीर्षक से एक कॉमन पेपर जारी किया.
भारत ने कही ये बात
भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा के अनुसार, मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने यूक्रेन मुद्दे पर काफी विस्तार से चर्चा की. क्वात्रा से जब यह पूछा गया कि जर्मन चांसलर की ओर से संयुक्त राष्ट्र में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का संदेश क्या भारत के लिए था? उन्होंने असहमति जताते हुए कहा कि यूक्रेन की स्थिति को लेकर दोनों देश एक-दूसरे के रुख को समझते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के 'ग्लोबल साउथ' पर प्रभाव और युद्ध रोकने की कोशिशों को लेकर भी दोनों देशों की गहरी समझ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत ने बातचीत और कूटनीति के माध्यम से समाधान का आह्वान किया है. भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है.
दोनों देशों के बीच बेहतर व्यापारिक संबंध
कूटनीतिक मतभेद होने के बावजूद यूरोप में भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर जर्मनी है. इसके अलावा जर्मनी भारत के साथ आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने को लेकर इच्छुक है.
भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट बातचीत पर टिप्पणी करते हुए ओलाफ स्कोल्ज ने कहा कि पीएम मोदी के साथ बातचीत को व्यक्तिगत रूप से लिया जाएगा, ताकि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में और समय न लगे. यहां से इसमें तेजी आने की संभावना है.
भारत और जर्मनी के बीच 2021-22 में कुल 24.8 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. इस वित्तीय वर्ष के दौरान जर्मनी भारत के टॉप 10 ट्रेड पार्टनर में शामिल रहा है. भारत में जर्मनी की लगभग 1800 कंपनियां हैं और भारत में नौवां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है.
इस दौरान जर्मन चांसलर ने यह भी घोषणा की कि जर्मन व्यवसाय के एशिया प्रशांत सम्मेलन की अगली बैठक 2024 में भारत में ही आयोजित की जाएगी.